चंडीगढ़।कृषि कानूनों के खिलाफ करीब एक साल तक दिल्ली की सीमा में आंदोलन करने के बाद पंजाब में राजनीतिक दल के रूप में सक्रिय हुए किसानों की उम्मीदों को धक्का लगा है। चुनाव आयोग ने संयुक्त समाज मोर्चा को राजनीतिक दल के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया है।
संयुक्त समाज मोर्चा को उनकी मांग के अनुसार समूचे पंजाब में ट्रैक्टर का चुनाव चिह्न भी नहीं मिलेगा। संयुक्त समाज मोर्चा ने इसके लिए भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। आंदोलन करने वाले किसानों के कई संगठनों ने संयुक्त समाज मोर्चा का गठन किया था। मोर्चा 104 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार चुका है।
इस मोर्चे के पंजीकरण की प्रक्रिया चल रही थी जिसका आम आदमी पार्टी द्वारा खुलकर विरोध किया जा रहा था। कई दिनों की उठापटक के बाद चुनाव आयोग ने संयुक्त समाज मोर्चा के राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण से इनकार कर दिया है। ऐसे में यह भी साफ हो गया है कि संयुक्त समाज मोर्चा को अब पूरे पंजाब के सभी सीटों पर ट्रैक्टर का चुनाव चिन्ह नहीं मिलेगा।
संयुक्त समाज मोर्चा के प्रवक्ता किसान नेता रूलदू सिंह ने इसके लिए सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी व आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। भाजपा महासचिव सुभाष शर्मा ने आरोपों को निराधार करार देते हुए कहा कि संयुक्त समाज मोर्चा एक राजनीतिक दल के रूप में काम कर रहा है। किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर चलानी बंद की जाए। राजनीतिक दल की तरह काम करते हुए जनता में जाएं और जनता का फतवा स्वीकार करें।