कोलकाता। महाचक्रवात अम्फान ने बुधवार को ओडिशा और पश्चिम बंगाल में जमकर कहर बरपाया। पश्चिम बंगाल में करीब 190 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं और भारी बारिश ने ऐसी तबाही मचाई कि न सिर्फ जानमाल का भारी नुकसान किया, बल्कि करीब दर्जनों लोग मारे गए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि कोरोना वायरस महामारी की तुलना में स्थिति अधिक चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि सुपर साइक्लोन अम्फान की तबाही में करीब 10 से 12 लोगों की जानें चली गई हैं। वहीं ओडिशा में भी इसका खौफनाक मंजर देखने को मिल रहा है और यहां दो लोगों की जान गई है। बता दें कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्यों में एनडीआरएफ की 39 टीमें तैनात हैं।
-अम्फान की वजह से पश्चिम बंगाल में जमकर बारिश भी हुई। बारिश की वजह से कोलकाता के कई हिस्सो में सड़कों पर घुटनों तक पानी जम गया है। तेज हवा से पेड़ों के उखड़ने से कई घर, गाडियाों को नुकसान पहुंचा है।
- अम्फान की तबाही के बाद पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सड़कों पर गिरे पेड़ हटाए जा रहे हैं और बहाली का काम चल रहा है।
-दरअसल, चक्रवात तूफान अम्फान का पश्चिम बंगाल की खाड़ी में दोपहर करीब 3.30 से 5.30 बजे के बीच लैंडफॉल शुरू हुआ। अम्फान की तबाही में करीब बंगाल के सिर्फ एक जिले में 5500 घरों को नुकसान हुआ है। ओडिशा में जहां दो लोगों की मौत हुई है, वहीं बांग्लादेश ने 6 लोगों के मौत की पुष्टि की है।
West Bengal: Trees uprooted & waterlogging in several parts of Kolkata in wake of #CycloneAmphan. The cyclone is very likely to weaken into a deep depression during the next 3 hours as per India Meteorological Department (IMD). pic.twitter.com/f81DZw3a0W
— ANI (@ANI) May 21, 2020
-6.5 लाख को निकाला: बंगाल के दीघा इलाके और बांग्लादेश के हटिया द्वीप के बीच दोपहर 3 बजे तूफान ने दस्तक दी। हालांकि एनडीआरएफ और राज्य सरकारों द्वारा साढ़े छह लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने से जानमाल का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। ओडिशा के केंद्रपाड़ा, बालासोर, भद्रक में तेज हवा पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए।
190 किमी की रफ्तार से हवा मौसम विभाग के मुताबिक, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तटीय इलाकों में 185 से 190 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं से उत्तरी और दक्षिण 24 परगना, ईस्ट मिदनापुर जिले में तूफान का ज्यादा प्रभाव रहा। समुद्र में भी पांच मीटर ऊंची लहरें उठीं।