'भीलवाड़ा मॉडल' का क्रेडिट राहुल को देने पर सोनिया पर फूटा महिला सरपंच का गुस्सा
जयपुर। कोरोना वायरस के प्रकोप पर काबू पाने को लेकर राजस्थान का 'भीलवाड़ा मॉडल' आज पूरे देश में चर्चा में है। इस बीच कोरोना के खिलाफ जंग में भीलवाड़ा की सफलता का क्रेडिट सोनिया गांधी द्वारा राहुल गांधी को दिए जाने पर देवरिया ग्राम पंचायत की सरपंच ने कांग्रेस अध्यक्ष पर हमला बोला है। सोनिया गांधी पर राजनीति करने का आरोप लगा सरपंच किस्मत गुर्जर ने कहा कि जिले की महिलाओं, किसानों, ग्रामीणों और स्वयंसेवी संस्थाओं की कड़ी मेहनत की वजह से ही भीलवाड़ा में कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर काबू पाया गया है।
शनिवार को अपने ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो जारी कर सरपंच किस्मत गुर्जर ने कहा कि भीलवाड़ा वासियों की मेहनत का श्रेय सोनिया गांधी द्वारा राहुल गांधी को दिया जाना दुःखद है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान का क्रेडिट जिले के लोगों को मिलना चाहिए न कि राहुल गांधी और राज्य की सरकार को।
अपने वीडियो में सरपंच किस्मत गुर्जर ने कहती हैं, 'आज मैं पढ़ रही थी कि भीलवाड़ा मॉडल के लिए सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को क्रेडिट दिया और उनकी तारीफ की। मुझे इसका बहुत दुख हुआ।आज जिसे भीलवाड़ा मॉडल कहा जा रहा है, दरअसल उसके पीछे यहां के किसानों, महिलाओं, ग्रामीणों और भीलवाड़ा की स्वयंसेवी संस्थाओं की कड़ी मेहनत है। पिछले कई दिनों से राज्य सरकार जिसका क्रेडिट लेने की लगातार कोशिश कर रही है और आज राहुल गांधी ने लेने की कोशिश की, वो दरअसल स्थानीय लोगों की मेहनत का नतीजा है। जिन्होंने कोरोना से लड़ने के लिए छोटी-छोटी बातों का कड़ाई से पालन किया और आत्मसंयम का परिचय दिया।'
वह आगे कहती हैं, 'हम लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बहुत प्रभावित हुए हैं। यहां के लोगों ने न सिर्फ लॉकडाउन का सही से पालन किया, बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई का ध्यान रखा है। डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ के साथ सहयोग करने को लेकर प्रधानमंत्री ने जो आग्रह किया है, उसका यहां के लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह समय राजनीतिक स्वार्थ-सिद्धि का नहीं है, बल्कि सतर्कता और संयम के साथ रोज मेहनत करने का है।'
किस्मत गुर्जर कोरोना के खिलाफ लडा़ई में शुरू से ही काफी एक्टिव रही हैं। उनके ट्विटर को खंगालने पर पता चलता है कि अपने पंचायत में कोरोना के खिलाफ जंग की कमान वह खुद ही संभाल रही हैं। उन्होंने अपनी पंचायत में खुद सैनिटाइजेशन किया था। इसका वीडियो भी उन्होंने अपने ट्विटर पर अपलोड किया था, जिसमें वह हाथ से मशीन के सहारे गांव में स्प्रे करती नजर आई थीं।
जयपुर ग्रामीण के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने सरपंच किस्मत गुर्जर का वीडियो अपने ट्विटर पर शेयर किया है। सरपंच के वीडियो वाले ट्वीट को रिट्वीट कर उन्होंने लिखा है कि अब भूकंप आएगा। दरअसल, राज्यवर्धन सिंह राठौर ने राहुल गांधी पर एक तरह से कटाक्ष किया है, क्योंकि कुछ साल पहले राहुल गांधी ने कहा था कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जाता। अगर वह नोटबंदी पर संसद में बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा।
दरअसल, कोरोना संकट के मद्देनजर शुक्रवार को सोनिया गांधी ने सभी राज्यों के काग्रेस प्रदेश अध्यक्षों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत की थी। इस बैठक में ही सोनिया गांधी ने कोरोना संकट पर काबू पाने में सफल राजस्थान के 'भीलवाड़ा मॉडल' का क्रेडिट राहुल गांधी को दिया था। सोनिया गांधी ने कहा कि राहुल गांधी की चेतावनी ने भीलवाड़ा को कोविड -19 से लड़ने में मदद की और उसी की वजह से भीलवाड़ा में कोरोना पर काबू पाया गया।
क्या है भीलवाड़ा मॉडल
एक तरह से देखा जाए तो कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भीलवाड़ा में शासन-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमे के बीच एक टीम वर्क देखने को मिला। कुल मिलाकर कोरोना के खिलाफ जंग में जो टीम भावना दिखी, उसी का नतीजा है कि आज पूरे देश में इस मॉडल को लागू करने की बात हो रही है। भीलवाड़ा में बढ़ते मामले को देखते हुए जांच की गति बढ़ा दी गई, सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया जाने लगा और घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग की जाने लगी। जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया, हर किसी की आवाजाही को रोक दिया गया और फिर सरकार द्वारा गठित रैपिड रिस्पॉन्स टीम का जिला प्रशासन ने सही से इस्तेमाल किया। लोगों में कोरोना के लक्षण मिलते ही, उन्हें क्लारंटाइन किया गया, उन पर कड़ी निगरानी रखी गई।
कैसे भीलवाड़ा को मिली कोरोना से जीत
मार्च में राजस्थान के भीलवाड़ा में कोरोना के मरीजों की संख्या अचानक तेजी से बढ़ने लगी। यहां 27 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। लेकिन अब यहां एक भी कोरोना मरीज नहीं है। भीलवाड़ा ने जिस तरह कोरोना पर जीत पाई उसकी देश-विदेश में चर्चा हो रही है। मार्च के तीसरे सप्ताह में यहां 27 कोरोना मरीज मिले थे। करीब 20 दिन के बेहतर प्रबंधन के बाद अब यह कोरोना से मुक्त है। जिले के कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने तेजी दिखाते हुए सबसे पहले जिले की सीमाएं सील कर दीं। पहले से लागू लॉकडाउन को यहां काफी सख्त कर दिया गया। जरूरी सेवाओं के लिए खुलने वाली दुकानों को भी बंद कर दिया गया। किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी गई। मेडिकल टीम के अलावा शहर में किसी के लिए प्रवेश मुमकिन नहीं था। राशन और दूध जैसी सामग्री घर-घर पहुंचाने का इतंजाम किया गया। 1500 लोगों को आइसोलेट किया गया और इनके घर के बाहर जवान तैनात कर दिए गए। घर-घर सर्वे और लाखों लोगों की स्क्रीनिंग की गई। क्वारंटाइन के लिए जिले के सभी होटल, गेस्ट हाउस, अस्पताल और हॉस्टल को अधिग्रहित कर लिया गया। शहरी और ग्रामीण इलाकों में लगातार हाइपोक्लोराइड का छिड़काव कराया गया। जनता ने भी प्रशासन का पूरा सहयोग किया और इसका नतीजा है कि आज भीलवाड़ा ना सिर्फ कोरोना मुक्त हुआ है, बल्कि दूसरों के लिए एक मॉडल भी बन गया है।