कानपुर: “समरसता संघ की गतिविधि ही नहीं, संघ के स्वयंसेवक का स्वभाव है” - मोहन जी भागवत

Update: 2025-04-15 16:29 GMT
“समरसता संघ की गतिविधि ही नहीं, संघ के स्वयंसेवक का स्वभाव है” - मोहन जी भागवत
  • whatsapp icon

कानपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन जी भागवत कानपुर प्रवास पर हैं। उन्होंने मंगलवार को प्रांत कार्यालय पर सामाजिक समरसता गतिविधि की प्रांत टोली के बंधुओं के साथ बैठक की।

सरसंघचालक जी ने कहा कि समरसता संघ की गतिविधि ही नहीं, संघ के स्वयंसेवक का स्वभाव है। वर्षों से साथ में कार्य करने वाले कार्यकर्ता एक-दूसरे की जाति नहीं जानते, यही संघ का वैशिष्ट्य है। हमें अपने कार्य और स्वभाव के माध्यम से इस मानसिकता के साथ संपूर्ण समाज का निर्माण करनी है।

ऐसी कोई जाति नहीं, जिसमें देश के उत्थान में, देश के आए संकटों में संघर्ष में योगदान न दिया हो। सभी जातियों ने महापुरुष दिए हैं। शमशान मंदिर और जलाशय पर हिंदू समाज की सभी जातियों का समान अधिकार है।

बैठक में क्षेत्र प्रचारक अनिलजी, प्रान्त प्रचारक श्रीरामजी, प्रान्त संघचालक भवानी भीख तिवारी, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेंद्रजी, सह प्रांत प्रचारक मुनीशजी, प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉ.अनुपम, प्रांत के समरसता गतिविधि प्रमुख रविशंकर आदि उपस्थित रहे।

शताब्दी वर्ष में प्रत्येक गांव में पहुंचेगा संघ साहित्य

सरसंघचालक जी ने कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ का साहित्य लेकर हम गांव-गांव जाने वाले हैं। हमें समरसता के पवित्र संदेश को देना है। समय अंतराल के अंदर हम सामाजिक विषमता को समाप्त करेंगे। समतायुक्त, शोषणमुक्त, जाति-विद्वेषमुक्त भारत बनाना होगा। संघ के स्वयंसेवक का समरसतापूर्ण स्वभाव समाज का स्वभाव बने, इसका प्रयास हमें तेजी से करना है।

Similar News