खाद संकट: 4 दिन की दौड़ के बाद किसान खाली हाथ लौटा, बीवी ने पकड़ी मायके की राह
हरदोई। टड़ियावां इलाके से ऐसी खबर आई है, जो जनपद में खाद का पर्याप्त भण्डार के दावे को चिंदी-चिंदी कर रही है। किसान चार दिन की दौड़ के बाद खाद की एक बोरी तक नहीं हासिल कर सका। वह खाली हाथ घर लौटा तो बीवी इस कदर भन्नाई कि कपड़े-लत्ते बैग में ठूंस बाल-बच्चे लेकर मायके चली गई।
वहीं, बड़ी संख्या में किसानों की तोहमत है, साधन सहकारी समिति सचिव नेताओं के नजदीकियों को खास तरजीह देता है। सामान्य किसान को एक बोरी खाद के लाले हैं और नेताओं के करीबियों को आठ से दस बोरी खाद बतौर नजराना दी रही है।
खाद किल्लत की घनघोर काली घटा, प्रशासन दावे पर डटा
शनिवार को साधन सहकारी समिति टड़ियावां में खाद वितरण की सूचना पर पांच सौ से भी अधिक किसान पहुंच गए। लेकिन, घंटों बाद भी स्टोर नहीं खुला तो किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। सूचना के बाद तहसीलदार सदर मौके पर पहुंचे और जतन से किसानों को समझाया-बुझाया।
जामूझाला के किसान मनोज कुमार, पड़री के प्रद्युम्न, जगदीश, मेढ़ई पुरवा के राजपाल, बरौली के मूलचंद्र, महिपाल, खेरवा के गोकरन, देशराज, जिगिनियां कलां के अजय कुमार, नयागांव भैंसरी मनीष मिश्रा, महाराज नगर के मिश्रीलाल, बरगदिया जावेंद्र, करवनताली के लाल मोहम्मद, गुरुदयाल पुरवा के बच्चालाल, लिलवाल के किसान रामस्वरूप, तारापुरवा के राजकुमार ने बताया कई दिन से टड़ियावां और हर्रई की इफको गोदाम पर पौ फटने से देर शाम तक कतार में लगे रहते हैं, लेकिन सचिव एक बोरी देना दूर दर्शन नहीं कराता है। महिलाएं भी चौका-चूल्हा छोड़ लाइन में लगती हैं। लेकिन, एक बोरी नहीं मिल पाती। आरोप लगाया, सफेदपोशों और उनके चमचों पर सचिव न्यौछावर रहता है और आठ से दस बोरी लुटा देता है।
खाद नहीं मिली तो रिश्तों की जड़ों में पड़ा 'मठ्ठा'
टड़ियावां इलाके के निंबुआई का किसान चार दिन से पौ फटने संग घर से निकल जाता और सांझ ढले लौटता, लेकिन खाली हाथ। चौथे दिन भी जब वह खाद लेकर नहीं पहुंचा तो उसकी बीवी के सब्र का बांध दरक गया। पति को खरी-खोटी सुनाई, बैग में अपने और दो बच्चों के कपड़े ठूंसे और ससुराल की दहलीज पार कर मायके की राह पकड़ ली। पीछे छोड़ गई विनोद के लिए अल्टीमेटम कि खाद का जुगाड़ नहीं हो सके तो उसके गांव की ओर निगाह उठा के भी नहीं देखे।
वितरण का मैसेज आने पर बंटेगी खाद
साधन सहकारी समिति टड़ियावां के सचिव विनोद राठौर ने माना, शनिवार को खाद की 600 बोरी की खेप मिली है, जो गोदाम में लगवाई गई है। समिति से खाद स्टॉक मिलने संबंधी चालान जाएगा, फिर विभाग से वितरण का मैसेज आने के बाद खाद किसानों को बांटी जाएगी। नियम विरुद्ध वितरण के आरोप के सवाल पर सचिव कन्नी काट गए।
सत्ता का चेहरा बदलता, नहीं बदलती अन्नदाताओं की बदहाली
सरकार में कोई आए, प्रशासन अच्छा-खराब जैसा भी हो, रबी हो या खरीफ बुवाई सीजन, खाद का संकट कोई दूर नहीं कर पाता। हालांकि, खाद के पर्याप्त भंडारण का हर सीजन में प्रशासन का दावा यथावत रहता है। कृषि विभाग किसानों की आए दिन होने वाली संगोष्ठी में उन्हें कृषि के आधुनिक तरीकों और उर्वरक के सलीके से प्रयोग का पाठ पढ़ाता है।
लेकिन, जब उर्वरक का दाना किसान के हाथ नहीं आए, तो किस विधि खेती करें, यह भी विभाग बताए तो बात बने। टड़ियावां का किस्सा बानगी भर है, पूरे जनपद में चहुंओर खाद संकट छाया हुआ है और किसान सिस्टम की चक्की के दो पाटों के बीच है।