हरदोई: नाबालिग बालिका से गैंगरेप में रिटायर्ड दरोगा, दो भाईयों सहित चार को कारावास...
28 साल बाद आया फैसला, 10 वर्ष कारावास दुष्कर्मी विवेचक को, 3 आरोपी मर चुके। तत्कालीन विवेचक (रिटायर्ड) ने बेटी से दुष्कर्म की पिता के विरुद्ध कोर्ट में कर दी थी चार्जशीट दाखिल।
हरदोई। माइनर बिटिया से कई दिन तक सामूहिक दुष्कर्म किए जाने के मामले में निर्णय आने में 28 साल लग गए। इस दौरान 03 अभियुक्तों की मौत हो गई। मामले के विवेचक ने भी नाबालिग बिटिया से मुंह काला किया। यही नहीं, विवेचक ने पीड़िता से दुष्कर्म का उसके पिता के ही विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया था।
मुकदमे की गलत विवेचना सहित अन्य तथ्य प्रकाश में आने के बाद न्यायाधीश ने पुलिस विवेचक को 10 वर्ष सहित चार अभियुक्तों को अलग अलग अवधि के कारावास का दंड देने के साथ जुर्माना आरोपित किया है।
विक्टिम की राज्य सरकार की ओर से पैरवी करने वाले सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अमलेंद्र सिंह के अनुसार, 1996 में रेप पीड़िता के पिता ने मझिला थाने में 25 अगस्त को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कहा था, 24 अगस्त को दोपहर 12 बजे 13 वर्षीय पुत्री पेशाब करने गई थी। वापस नही लौटी।
उसकी आवाज सुनाई देने पर उसने गांव के राजाराम का दरवाजा खुलवाया तो उसकी तहमद ओढ़े लड़की को बैठा पाया। राजाराम उल्टे उसे धमकाने लगा और लड़की को भगा दिया। मामले में पुलिस ने 29 अगस्त को लड़की की बरामदगी की। विवेचक ने धारा 164 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट को दिए बयान के आधार पर विवेचक कुलपति राम ने विक्टिम के पिता पर ही दुष्कर्म का आरोप पत्र प्रेषित कर दिया।
प्रकरण सत्र न्यायालय में पंहुचने पर पीड़िता ने बताया, विवेचक कुलपति राम ने उससे अनेक बार दुष्कर्म किया। डरा धमका कर पिता के खिलाफ दुष्कर्म का बयान देने को विवश किया। पीड़िता के न्यायालय में दिए बयान के आधार पर विवेचक कुलपति राम, राजाराम और रामचंद्र पुत्र रामलड़ैते ग्राम अंडौवा थाना मझिला, बाबूराम, अवधेश सिंह और रामलड़ैते सहित अन्य को तलब किया।
दौरान मुकदमा तीन अभियुक्तों की मृत्यु हो गई। पीड़िता के बयान, अभियोजन पक्ष के प्रस्तुत साक्ष्यों और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अमलेंद्र सिंह और निजी वकील एजाज अहमद के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने अभियुक्त राजाराम और विवेचक दरोगा कुलपति विराम को 28-28 हजार रुपए अर्थदंड के साथ 10 वर्ष कारावास का दंड दिया। अभियुक्त बाबूराम और रामचन्द्र को एक हजार रुपए अर्थदंड और 9 माह कारावास की सजा दी।
डिफेंस की दलील और अपील कोर्ट में ध्वस्त : बचाव पक्ष से अधिवक्ता संघ के दो पूर्व अध्यक्ष अमलेंद्र नाथ मिश्रा ’मोंटी बाबू’ और रामेश्वर प्रसाद बाजपेई के साथ अखिलेश कुमार त्रिपाठी पैरवी कर रहे थे। तीनों ने अभियुक्तों की उम्र और पारिवारिक स्थिति की दलील देते हुए सजा शिथिल करने की अपील की, पर न्यायाधीश ने स्वीकार नहीं की।