झांसी अग्निकांड: हमारा बच्चा नहीं मिल रहा है...ये दर्द रोड पर बिलखते मां- बाप का, भरपाई कर पाएगा प्रशासन
Jhansi Fire Tragedy : झांसी। हमारा बच्चा नहीं मिल रहा है। सुबह आठ बजे हमारा बच्चा पैदा हुआ था और रात 11 बजे उसे मार डाला...। ये दर्द रोड पर बिलखते उन मां-बाप का है जो पहली बार माता-पिता बने थे। ना जाने कहां-कहां माथा टेकने और मन्नत मांगने के बाद उन्हें बच्चे का सुख नसीब हुआ था लेकिन प्रशासन की लापरवाही की वजह से वो सुख हमेशा के लिए छिन गया। सूबे के मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा तो की है लेकिन क्या प्रशासन वाकई इन माता-पिता के दुःख की भरपाई कर पाएगा? झांसी में हुई इस घटना के कई वीडियो सामने आ रहे हैं। मां - बाप राख में अपने बच्चे ढूंढ रहे है। सभी का एक ही सवाल है कि, आखिर उनकी क्या गलती थी...राख में अपने बच्चों के अवशेष को ढूंढना कितना हृदय विदारक है...।
हम किसे जाकर अपना दुःख बताएं
एक पीड़ित मां का कहना है कि, हमारा विश्वास उठ गया। अगर अपने बच्चे को भर्ती करना है तो साथ में रहें अकेला न छोड़ें। जैसे ही आग ज्यादा लगी सब के सब बच्चों को छोड़कर भाग गए। जिस दिन से बच्चे को भर्ती किया था तब से डॉक्टर्स ने मिलने नहीं दिया।
पीड़ित मां का कहना है कि, बीते रविवार को बच्चे का जन्म हुआ था, जन्म से ही उसे पीलिया, निमोनिया और सर्दी थी, जिसकी वजह से उसे अस्पताल में भर्ती किया गया था। जब बच्चे को देखने जाते तो डॉक्टर्स वहां से भगा देते थे। अब तो हम बच्चे से कभी मिल भी नहीं पायेंगे। हम कहां और किसे जाकर अपना दुःख बताएं।
फायर एक्सटिंग्विशर हो चुके थे एक्सपायर
इस घटना में अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां जो फायर एक्सटिंग्विशर थे वो सभी एक्सपायर हो चुके थे। फायर एक्सटिंग्विशर आग से बचाव के लिए लगाया जाता है, लेकिन मेडिकल कॉलेज में लगे फायर एक्सटिंग्विशर 2023 में ही एक्सपायर हो चुके थे। अस्पताल में जिस समय आग लगी तब मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने बिना किसी को बताए स्वयं उस पर काबू पाने की कोशिश की जब आग बेकाबू हो गई तो दमकल विभाग को सूचित किया। इससे पहले अस्पताल प्रशासन खुद ही उसे बुझाने का दिखावा कर रहा था।
ये है मेडिकल कॉलेज में आग लगाने का कारण
आग का कारण ‘ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर’ में आग लगना बताया जा रहा है। ये सीधे-सीधे चिकत्सीय प्रबंधन व प्रशासन की लापरवाही का मामला है या फिर ख़राब क्वॉलिटी के आक्सीजन कॉन्संट्रेटर का। अखिलेश यादव ने इस मामले में सभी ज़िम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई करने की सीएम से अपील की है।
फरवरी में अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया था फिर कैसे हुआ हादसा
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, "फरवरी में अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया गया था। जून में मॉक ड्रिल भी की गई थी। यह घटना कैसे हुई और क्यों हुई, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हम इस बारे में कुछ कह सकते हैं। सात नवजात शिशुओं के शवों की पहचान कर ली गई है, तीन शवों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। नवजात शिशुओं के परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
सीएम स्वास्थ्य और चिकित्सा की बदहाली पर ध्यान दें
इस हृदय विदारक घटना पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने झाँसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 बच्चों की मृत्यु एवं कई बच्चों के घायल होने का समाचार बेहद दुखद एवं चिंताजनक है। सबके प्रति संवेदनात्मक श्रद्धांजलि। मुख्यमंत्री जी चुनावी प्रचार छोड़कर, ‘सब ठीक होने के झूठे दावे’ छोड़कर स्वास्थ्य और चिकित्सा की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए। जिन्होंने अपने बच्चे गंवाएं हैं, वो परिवारवाले ही इसका दुख-दर्द समझ सकते हैं। ये सरकारी ही नहीं, नैतिक ज़िम्मेदारी भी है।
अखिलेश यादव ने कहा कि, उप्र के ‘स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री’ से कुछ नहीं कहना है। वो ‘स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री’ तो हैं, न तो उनके पास कोई शक्ति है न ही इच्छा शक्ति, बस उनके नाम की तख़्ती है। मेरा निवेदन है कि सबसे पहले उप्र भाजपा सरकार समस्त झुलसे बच्चों के लिए विश्वस्तरीय चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराए व जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है, उन समस्त शोक संतप्त परिवारों को 1-1 करोड़ संवेदना राशि दे। गोरखपुर न दोहराया जाए।