अटाला मस्जिद या अटाला देवी मंदिर?: संभल के बाद अब जौनपुर में गरमाया विवाद, हाई कोर्ट से बड़ा फैसला जल्द…

Update: 2024-12-07 10:42 GMT

संभल जामा मस्जिद के बाद अब उत्तर प्रदेश के जौनपुर में स्थित अटाला मस्जिद इन दिनों विवादों के केंद्र में है। कुछ लोगों ने इसे 'अटाला देवी मंदिर' बताते हुए इस पर अपना दावा ठोका है। मामला अब इलाहाबाद हाई कोर्ट तक पहुंच चुका है। स्वराज वाहिनी एसोसिएशन और संतोष कुमार मिश्रा द्वारा दायर याचिका में मस्जिद को पहले का 'अटाला देवी मंदिर' बताते हुए पूजा का अधिकार मांगा गया है।

क्या है मामला?

जौनपुर कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया कि अटाला मस्जिद पहले 'अटाला देवी मंदिर' थी और सनातन धर्म के अनुयायियों को इसमें पूजा करने का अधिकार होना चाहिए। याचिका में संपत्ति पर कब्जे की मांग भी की गई है। वहीं, मस्जिद प्रशासन ने इस दावे को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया।

जौनपुर कोर्ट का फैसला

इस साल मई में जौनपुर की लोकल कोर्ट ने मामले को सुनवाई के योग्य मानते हुए मुकदमा पंजीकृत किया। अगस्त में कोर्ट ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई की जा सकती है। इसके बाद वक्फ अटाला मस्जिद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी।

वक्फ अटाला मस्जिद का पक्ष

वक्फ अटाला मस्जिद की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह संपत्ति 1398 से मस्जिद के रूप में पंजीकृत है। यहां नियमित रूप से मुस्लिम समुदाय द्वारा जुमे की नमाज पढ़ी जाती है। उन्होंने लोकल कोर्ट पर मुकदमा स्वीकार करने में गलती करने का आरोप लगाया और कहा कि वक्फ बोर्ड को मामले में पक्ष नहीं बनाया गया।

ओवैसी ने उठाए सवाल

इस मामले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "भारत के लोगों को इतिहास के उन झगड़ों में धकेला जा रहा है जहां उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। कोई भी देश महाशक्ति नहीं बन सकता अगर उसकी 14% आबादी लगातार ऐसे दबावों का सामना करती रहे।"

अब हाई कोर्ट पर निगाहें

इलाहाबाद हाई कोर्ट अब यह तय करेगा कि जौनपुर कोर्ट में मामले की सुनवाई हो सकती है या नहीं। 9 दिसंबर को इस पर सुनवाई होनी है।

क्या कहता है इतिहास?

ऐसा कहा जाता है कि अटाला मस्जिद को 1398 में शरकी शासकों द्वारा बनवाया गया था लेकिन इसके स्थापत्य में हिंदू वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है। फिलहाल यह मस्जिद जौनपुर के प्रमुख ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। अवलोकन करने पर कोई भी आसानी से देख सकता है कि मस्जिद की भीतरी दीवारों के साथ-साथ आंतरिक स्तंभों में भी गहरी हिंदू वास्तुकला है।




नतीजे का इंतजार

अटाला मस्जिद बनाम अटाला देवी मंदिर का यह विवाद कई कानूनी और धार्मिक सवाल खड़े कर रहा है। हाई कोर्ट का फैसला इस मामले का रुख तय करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस ऐतिहासिक स्थल का भविष्य क्या होगा। 

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