UP News: VHP के कार्यक्रम में शामिल हुए थे हाई कोर्ट के जज, अब असदुद्दीन ओवैसी ने उठा दिए सवाल
UP News : उत्तरप्रदेश। बीते दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में शामिल होकर उन्होंने ट्रिपल तलाक, हलाला और UCC समेत कई मुद्दों पर अपने विचार रखे थे। अब असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर कई सवाल उठाए हैं।
असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर ट्वीट करते हुए कहा -
वीएचपी पर कई बार प्रतिबंध लगाया गया। यह आरएसएस से जुड़ा है, एक ऐसा संगठन जिसे वल्लभभाई पटेल ने ‘घृणा और हिंसा की ताकत’ होने के कारण प्रतिबंधित किया था।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने ऐसे संगठन के सम्मेलन में भाग लिया। इस “भाषण” का आसानी से खंडन किया जा सकता है, लेकिन माननीय न्यायाधीश को यह याद दिलाना अधिक महत्वपूर्ण है कि भारत का संविधान न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता की अपेक्षा करता है।
मैं उनका ध्यान एओआर एसोसिएशन बनाम भारत संघ की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ “निष्पक्षता, स्वतंत्रता, निष्पक्षता और निर्णय लेने में तर्कसंगतता न्यायपालिका की पहचान है।”
भारत का संविधान बहुमतवादी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक है। लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है। जैसा कि अंबेडकर ने कहा था “…जैसे राजा को शासन करने का कोई दैवीय अधिकार नहीं है, वैसे ही बहुमत को भी शासन करने का कोई दैवीय अधिकार नहीं है।”
यह भाषण कॉलेजियम प्रणाली पर आरोप लगाता है और न्यायिक निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। वीएचपी के कार्यक्रमों में भाग लेने वाले व्यक्ति के सामने अल्पसंख्यक पार्टी न्याय की उम्मीद कैसे कर सकती है?
इलाहबाद हाई कोर्ट के जज ने क्या कहा था -
हमारे शास्त्रों और वेदों में जिन महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है, उनका कोई अपमान नहीं कर सकता। विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में जस्टिस शेखर कुमार यादव ने अपने बयान में कहा कि किसी को भी चार पत्नियां रखने, हलाला करने या तीन तलाक देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि लोग सोचते हैं कि हमें तीन तलाक कहने और महिलाओं को गुजारा भत्ता न देने का अधिकार है। यह अधिकार काम नहीं करेगा। उन्होंने आगे कहा कि समान नागरिक संहिता ऐसी चीज नहीं है जिसकी वकालत वीएचपी, आरएसएस या हिंदू धर्म करता है। देश का सर्वोच्च न्यायालय भी इस बारे में बात करता है।
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने यह भी कहा कि, "मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह देश भारत में बहुसंख्यकों के अनुसार ही चलेगा। दरअसल कानून भी बहुसंख्यकों के अनुसार ही काम करता है। इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें।"