Lucknow: मत छोड़ें आधे अधूरे, समय से लगवाएं टीके पूरे, उत्तर प्रदेश के 60 जिलों में चल रहा 'जीरो डोज' अभियान...

राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी का प्रदेशवासियों से आह्वान।

Update: 2024-09-03 11:20 GMT

लखनऊ। नियमित टीकाकरण न केवल बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाता है बल्कि उनकी प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। शिशु मृत्यु दर और बाल मृत्यु दर को कम करने में अहम भूमिका निभाता है जबकि जो बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं उन्हें कई तरह रोग और संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है। शून्य से पांच साल तक के बच्चों में डिप्थीरिया सहित 12 जानलेवा बीमारियों से बचाव को लेकर नियमित टीकाकरण किया जाता है। विभाग इसको लेकर बहुत ही संजीदा है और इसको लेकर अभियान भी चल रहे हैं।

हाल ही में स्वास्थ्य महानिदेशक परिवार कल्याण ने पत्र जारी कर सभी जिलों के सीएमओ को निर्देश दिए हैं कि टीकाकरण से इंकार वाले परिवारों की पहचान कर उन परिवारों के बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए। 60 जनपदों में 'जीरो डोज; अभियान चल रहा है जिसके तहत शून्य से दो साल की आयु के ऐसे बच्चों की पहचान कर उनका टीकाकरण सुनिश्चित किया जा रहा है जिन्हें कोई भी टीका नहीं लगा है। इतने प्रयासों के बावजूद प्रदेश में अभी भी 1.24 लाख परिवार टीकाकरण कराने से इंकार कर रहे हैं। जिन्हें टीकाकरण के लिए तैयार करने में समाज के सभी वर्गों को आगे आना चाहिए।

हाल ही में हरदोई, उन्नाव, आजमगढ़ सहित कई जनपद हैं जहां समय से बच्चों का नियमित टीकाकरण न होने से डिप्थीरिया (गलघोंटू) से संक्रमित हो रहें हैं। इस संबंध में राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ.अजय गुप्ता बताते हैं कि डिप्थीरिया संक्रमण का मुख्य कारण बच्चों का टीकाकरण न करवाना है। बहुत से अभिभावक अपने बच्चों का टीकाकरण यह सोचकर नहीं करवाते हैं कि टीका लगने के बाद बुखार आएगा। यह सही नहीं है। टीका लगाने के लिए मना न करें। बुखार आना बच्चे के लिए शुभ संकेत हैं कि टीका प्रभावी है। विभिन्न जनपदों में जनवरी से अब तक संदिग्ध डिप्थीरिया से 664 बच्चे संक्रमित हुए हैं। जिनमें से 615 पूर्णतः ठीक हो चुके हैं डिप्थीरिया कोराइन बैक्टीरियम डिप्थीरिया के कारण होती है। यह नाक और गले की श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करती है। संक्रमित होने के दो से चार दिनों के बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। यह एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैलती है। इस बीमारी से बच्चे ही नहीं वयस्क भी प्रभावित होते हैं।

इस बीमारी से बचने के उपाय : डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन माह, 16-24 माह और पांच से 6 साल की उम्र पर डीपीटी का बूस्टर लगवाना। 10 और 16 साल की आयु में डिप्थीरिया और टिटेनस (टीडी) का टीका लगवाना। नियमित टीकाकरण के तहत गर्भवती को भी व्यस्क डिप्थीरिया और टिटनेस का टीका लगवाना। बच्चों का नियमित टीकाकरण जरूर कराएं। यह टीके सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुफ्त लगते हैं। प्रत्येक बुधवार और शनिवार को जब भी एएनएम आपके गाँव में टीका लगाने के लिए आयें तो कोई आनाकानी न करें। टीका जरूर लगवाएं।

इन 12 बीमारियों से बचाव को लगाए जाते हैं टीके : टीबी, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, टिटनेस, काली खांसी, डिप्थीरिया, इन्फ्लूएंजा, खसरा, रूबेला, निमोनिया, वायरल डायरिया और जापानी इंसेफेलाइटिस।

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