G-7 सम्मेलन में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी, कोरोना वैक्सीन को पेटेंट फ्री करने की बात उठी

एडवोकेट किशन भावनानी

Update: 2021-06-14 09:18 GMT
G-7 सम्मेलन में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी, कोरोना वैक्सीन को पेटेंट फ्री करने की बात उठी
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वेबडेस्क। विश्व की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले विकसित 7 देशों का जी-7 नाम से शिखर सम्मेलन का आयोजन ब्रिटेन में कॉर्बेट बेटॉरेंटबिल ब्रिटेन में 11 से 13 जून तक किया गया इसकी मेजबानी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के नेतृत्व में की गई इस शिखर सम्मेलन में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं। जी-7 की अध्यक्षता कररहे ब्रिटेन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को अतिथि देश के तौर पर आमंत्रित किया है जो भारत के लिए एक प्रतिष्ठा की ब

मीडिया के अनुसार,  जी- 7 में शामिल देशों के मंत्री और ऑफिसर पूरे साल अक्सर मीटिंग करते रहते हैं इस साल जी-7 मीटिंग में पहले इसके सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों ने मीटिंग की थी। उन्होंने तय किया था कि मल्टीनेशनल कंपनियों को ज्यादा टैक्स देना चाहिए, कोविड रिकवरी, ग्लोबल हेल्थ सिस्टम, क्लाइमेट चेंज, और ट्रेड भी आम मुद्दे होंगे। यह शिखर सम्मेलन रविवार 13 जून 2021 को सफलता पूर्वक रणनीतिक रोड मैप में संपन्न हुआ...। बात अगर हम भारत की करें तो...। पीएम का व्यक्तिगत रूप से स्वागत न कर पाने का बोरिश जॉनसन को अफसोस हुआ इस दौरान फ्रांसं के राष्ट्रपति मैक्रॉन ने भारत से ग्लोबल लेवल पर एक अहम उत्पादन के रूप में अपनी स्पेशियलिटी अन्य देशों के साथ शेयर करने की अपील की।

वन अर्थ वन हेल्थ - 

विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ने बताया कि यूके की ओर से जानकारी दी गई कि प्रधानमंत्री का व्यक्तिगत रूप से स्वागत न कर पाने का पीएम बोरिश जॉनसन को अफसोस है...। बात अगर हम जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री के संबोधन की करें तो, यह दूसरा मौका होगा जब प्रधानमंत्री जी-7 की बैठक में शामिल हुए वर्ष 2019 में फ्रांस की अध्यक्षता में हुए जी-7 के शिखर सम्मेलन में भारत को आमंत्रित किया गया था। इस सम्मेलन के जलवायु, जैव विविधता और महासागर और डिजिटल बदलाव से जुड़े सत्रों में प्रधानमंत्री ने हिस्सा लिया था। अबकी बार 2021 में प्रधानमंत्त्री ने शनिवार को जी-7 शिखर सम्मेलन के एक सत्र को डिजिटल तरीके से संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए वन अर्थ वन हेल्थ की वकालत की।

वैक्सीन पेटेंट फ्री - 

पीएम ने कोरोना वैक्सीन के लिए पेटेंट छोड़ने को लेकर जी-7 के देशों के समर्थन का भी आग्रह किया। भारत और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन में कोरोना की वैक्सीन और उससे जुड़ी दवाइयों को लेकर बौद्धिक संपदा अधिकारों को हटाने का प्रस्ताव रखा है, सूत्रों के मुताबिक भारत चाहता है कि वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के लिए कच्चे माल की सप्लाई चेन बनी रहे। भारत को इस मुद्दे पर व्यापक समर्थन मिला है।

मीडिया के अनुसार कोरोना वायरस टीकों पर पेटेंट माफ करने के प्रस्ताव को लेकर ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देशों ने पीएम के आह्वान का कड़ा समर्थन किया है। इनका मनाना है कि इससे वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। सूत्रों ने बताया कि वन अर्थ वन हेल्थ दृष्टिकोण अपनाने के मोदी के आह्वान का जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने समर्थन किया है। भविष्य की महामारियों को रोकने के लिए वैश्विक एकता, नेतृत्व और एकजुटता का आह्वान करते हुए, पीएम ने चुनौती से निपटने के लिए लोकतांत्रिक और पारदर्शी समाजों की विशेष जिम्मेदारी पर जोर दिया। पीएम ने संपर्क का पता लगाने और टीकों के प्रबंधन के लिए ओपन सोर्स डिजिटल प्रणाली के सफल इस्तेमाल के बारे में भी बताया। साथ ही दूसरे विकासशील देशों के साथ अपने अनुभव और विशेषज्ञता साझा करने की इच्छा प्रकट की।

ग्लोबल वैक्सीनेशन प्लान -

माननीय पीएम ने इस शिखर सम्मेलन को दूसरे दिन रविवार को भी संबोधित किया और एमईए के एडिशनल सेक्रेटरी के अनुसार, पीएम ने जी-7 देशों के नेताओं से कोरोना वैक्सीन को पेटेंट फ्री करने की वकालत की साथ ही सभी देशों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए सहयोग मांगा। इसके साथ ही उन्होंने शूट ट्रिप्स वाइबर के समर्थन का आग्रह किया। ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका ने इसका समर्थन किया इसके पहले डब्ल्यूटीओ भी इसका समर्थन कर चुके हैं इन सभी का मानना है कि ग्लोबल वैक्सीनेशन प्लान के लिए यह ट्रिप्स भी बहुत जरूरी है।

डब्ल्यूटीओ को भेजा प्रस्ताव - 

भारत और साउथ अफ्रीका ने डब्ल्यूटीओ को इसका प्रस्ताव भेजा है तथा विस्तार वाद और साइबर सिक्योरिटी पर मिलकर काम करना होगा प्रधानमंत्री ने दो सेशन में हिस्सा लिया गवर्नेंस, वैक्सीन की उपलब्धता और क्लाइमेट एक्शन पर भी सहयोग मांगा वन अर्थ वन हेल्थ का मंत्र पहले दिन उन्होंने दिया था और फ्रांस के राष्ट्रपति ने भी इसका समर्थन किया और कहा कि व्यक्ति के कच्चे माल की सप्लाई ना रुके।...बात अगर हम शिखर सम्मेलन में अमेरिकन राष्ट्रपति जो बिडेन की करें तो जी-7 देशों के नेताओं ने गरीब देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने के लिए एक प्लान सामने रखा यह प्लान चीन के वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) प्रोजेक्ट के खिलाफ लाया गया है उसे अमेरिका लीड करेगा जी-7 नेताओं की मुलाकात में यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने ही प्रस्ताव रखा था प्रस्ताव को बिल्ड, बैग, बेटर, वर्ल्ड, बीथ्रीडब्ल्यू नाम दिया गया है। 

भारत का बढ़ा महत्व - 

बात अगर हम इस शिखर सम्मेलन में भारत के महत्व की करें तो भारत यूएन सिक्योरिटी काउंसिल का स्थाई सदस्य नहीं बन पाया है। लेकिन इंटरनेशनल फोरम पर भारत की मौजूदगी हर लिहाज से ताकतवर रही है, जो हम पिछले वर्ष प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे में ट्रंप के साथ देख चुके हैं। और दुनिया ने भारत का लोहा माना था। जब डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति थे तब भारतीय प्रधानमंत्री ने जी-9 ,जी -11 बनाए जाने की बात रखी थी यह भी कहा गया था कि इसमें लोकतांत्रिक देश शामिल होने चाहिए या नहीं चाहिए और पश्चिमी देशों का विचार भी यही लगता है कि भारत ही चीन को विस्तार वादी नीति को रोक सकता है इस लिहाज से भारत को इस जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल किया गया है। वैसे भी भारत अपने 20 सैनिकों की गलवान घाटी में शहादत भूला नहीं है। 20-21 जून 2020 की मध्यरात्रि में चीनी सैनिकों से मुठभेड़ में शहादत हुई थी हालांकि चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था। अभी भी चीन बलवान घाटी में के पास अपने क्षेत्र में सैनिक अभ्यास में जुटा है। भारत भी पूरी तैयारी में है शायद 20-21 जून दिवस सामने है। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का गर्म अध्ययन कर विश्लेषण करें तो G7 शिखर सम्मेलन 2021 मैं भाग लेने से भारत की प्रतिष्ठा मैं एक मजबूत आती है जुड़ा है और प्रधानमंत्री द्वारा उठाए गए मुद्दों पर अनेक देशों ने सहमति जताई।

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