अयोध्या: यहाँ तो कुटीर उद्योग बन चुकी है कच्ची शराब, माफियाओं और तस्करों के आगे अबकारी विभाग बेबस…

Update: 2024-10-22 10:13 GMT

अयोध्या: बिहार में जहरीली शराब से लोगों की जान गई। ऐसे में भी जिले के आबकारी विभाग की कुम्भकर्णी नींद है कि टूटने का नाम ही नही ले रही है। यह पहला मौका नहीं है, जब भी प्रदेश या देश में कहीं जहरीली शराब से बड़ा हादसा होता है। जब भी कोई बड़ी घटना घटती है तो कार्रवाई के नाम पर कुछ जगहों पर और काशीराम आवासीय कॉलोनियों को खंगालने का दिखावा जरूर किया जाता है। एक-दो को पकड़कर जेल भेज गुडवर्क बटोर लिया जाता है। लेकिन इन इलाकों में कच्ची शराब का कारोबार कुटीर उद्योग की तरह चल रहा है। जिसे पूरी तरह आज तक बंद नहीं कराया जा सका।

जिले के सोहावल क्षेत्र में शराब माफियाओं के आगे जिला आबकारी विभाग और पुलिस प्रशासन पूरी तरह घुटने टेक चुका है। सूत्रों की माने तो सोहावल मिल्कीपुर, रुदौली, बीकापुर, तारुन क्षेत्र में मिलावटी शराब के साथ ग्रामीण क्षेत्रो में ओवर रेटिंग पर अंग्रेजी शराब की विक्री का धंधा जोरो पर है। सूत्रों की माने तो शहर की भी कुछ दुकानों पर अंग्रेजी शराब ओवर रेटिंग का शिकायत मिल रही है। अयोध्या के रास्ते हरियाणा पंजाब की शराब गुजरती है। जिसका फायदा भी शराब माफिया वर्षों से उठा रहे है।

जबकि वही दूसरी तरफ कच्ची शराब का धंधा शहर के रेतिया, राजघाट, काशीराम कालोनी सहित सरयू के कछारों में कुटीर उद्दोग के रूप विकसित हो रहा है। जहाँ पीने वाले शौकीनों के लिए ले जाने से लेकर बैठकर पिलाने तक की व्यवस्था रहती है। झोंपड़ियों के अंदर लोटा भरकर दे दिया जाता है। जबकि ले जाने वालों को थैली में पैक कर शराब थमा दी जाती है। इस जगह वर्षों से यह धंधा चल रहा है, जिसे आज तक बंद नहीं कराया जा सका। अयोध्या काशीराम आवास कॉलानी में भी कच्ची शराब का कारोबार लगातार चल रहा है। यहां भी इसी तरह की गतिविधियां दिनभर बनी रहती हैं। बताया जाता है कि यहां दिन भर झोले में भरकर कच्ची शराब बेची जा रही है।

बीस रुपये में होता है पूरे नशे का इंतज़ाम

अंग्रेजी के अलावा इस समय देशी शराब भी खूब महंगी है। ऐसे में शौकीनों को यह सस्ती कच्ची शराब अपनी ओर खींच लाती है। यहां 20 रुपये में नशे का इंतजाम उपलब्ध है। अधिकांश लोग एक पैकेट में मस्त हो जाते हैं। अधिक पीने वाले लोगों के लिए दो पैकेट बहुत हैं। सुबह से यहां शौकीनों का पहुंचना शुरू हो जाता है। सबसे ज्यादा संख्या मजदूर वर्ग की होती है। तमाम मजदूर नशा करके दिहाड़ी पर निकलते हैं।

जिला आबकारी अधिकारी का कहना है कि 'समय-समय पर अभियान चलाकर और औचक रूप से कार्रवाई की जाती है। पहले की अपेक्षा कमी भी आई है। समूल नाश एकदम से नहीं हो सकता है।'

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