चर्चा में भगवा-नीला कॉम्बिनेशन: सराही जा रही समरसता की अनोखी पहल, करणी सेना ने लखनऊ में चौराहों पर लगवाए बाबासाहेब जयंती के होर्डिंग….

सोशल मीडिया का विमर्श : सपा सांसद सुमन की टिप्पणी के खिलाफ एकजुटता से सार्थक जवाब;

Update: 2025-04-14 11:23 GMT
सराही जा रही समरसता की अनोखी पहल, करणी सेना ने लखनऊ में चौराहों पर लगवाए बाबासाहेब जयंती के होर्डिंग….
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अतुल मोहन सिंह, लखनऊ। राजधानी लखनऊ में 135वीं जयंती पर करणी सेना ने भी होर्डिंग लगवा कर भारत रत्न बाबासाहेब डॉ.भीमराव रामजी आंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन किया है। भगवा और नीले रंग के कॉम्बिनेशन वाले होर्डिंग काफी चर्चा में बने हुए हैं। सोशल मीडिया के जरिये सामाजिक एकीकरण के भागीरथी प्रयास की देश भर में काफी सराहना हो रही है।

करणी सेना के दो धड़ों के प्रदेश अध्यक्ष संदीप सिंह एवं राकेश सिंह रघुवंशी की ओर से शहर भर में लगवाए गए इन होर्डिंग के चित्र और वीडियो खूब वायराल हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले अधिकांश लोगों ने इसे भरपूर सराहना दी है।

गौरतलब हो कि महाराणा सांगा के खिलाफ सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन की अभद्र टिप्पणी के बाद देशभर में करणी सेना और क्षत्रिय संगठनों का आक्रोश सड़क से सोशल मीडिया तक देखने को मिल रहा है।

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सांसद सुमन की टिप्पणी पर उनका बचाव करते हुए न सिर्फ इसे बढ़ावा दिया बल्कि इस प्रकरण को क्षत्रिय बनाम दलित बनाने की कोशिश भी की। हालांकि, आगरा में हुए प्रदर्शन के बाद उनकी इस कोशिश को करारा जवाब मिल गया।

प्रदर्शन में सभी समाज के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी दिखाई और नैरेटिव बदल दिया। इसी कड़ी में राजधानी लखनऊ में बाबासाहेब जयंती पर डॉ.भीमराव रामजी आंबेडकर को याद करते हुए करणी सेना के होर्डिंग को भी जोड़कर देखा जा रहा है। याद हो कि आगरा जाने से पूर्व करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष संदीप सिंह और राकेश सिंह रघुवंशी ने सामाजिक परिवर्तन स्थल पर स्थापित बाबासाहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया था।

मां करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष संदीप सिंह ने स्वदेश को बताया कि राष्ट्र नायक बाबा साहब की जयंती पर पूरा देश उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहा है। करणी सेना भी संविधान में भरोसा करने वाला देश प्रमुख संगठन है। इसलिए यह हमारा भी कर्तव्य बनता है कि बाबासाहेब को नमन करते हुए उनके विचारों को आत्मसात करें।

उनके दिखाए गए मार्ग पर चलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि करणी सेना 36 कौमों को साथ लेकर चलने के लिए संकल्पित है। राष्ट्रवाद हम लोगों की पहचान है, इसलिए राष्ट्र नायकों का सम्मान है। आप कितनी भी कोशिश कर लें, धैर्य और अनुशासन हमारी पहचान है। कुछ लोगों के कार्यों से वैमनस्यता नहीं फैल सकती है।

श्री राजपूत करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी ने स्वदेश को बताया कि भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर की जयंती पर कोटि कोटि नमन करता हूं। बाबासाहेब के लिखे संविधान में पूरा भरोसा है।

उनका दिया अभिव्यक्ति का अधिकार 140 करोड़ भारतवासियों का हथियार है। करणी सेना भी उससे अलग थोड़े ही है। उन्होंने बताया कि देश के महापुरुष देश भर के होते हैं, चाहें वह बहसाहेब हों या महाराणा सांगा, करणी सेना सभी महापुरुषों का सम्मान करना जानती है। महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता का भाव हमारे खून में शामिल है।

देश बदल रहा है और क्षत्रिय भी : देवरिया के त्रिवेंद्र कुमार सिंह लिखते हैं, 'यह भगवा और नीले पृष्ठभूमि का अगल-बगल होना और एक ही संदेश देना सामाजिक एकीकरण के भागीरथी प्रयास पथ पर एक मजबूत कदम है।

देश बदल रहा है और क्षत्रिय भी। अपवाद से राजपूतों को कभी नहीं बचना चाहिए, पर आरोप से अवश्य बचना चाहिए, राम ने भी ऐसा प्रयास किया था।' वाराणसी के शरद सिंह लिखते हैं, 'पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने डॉ.भीमराव अंबेडकर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने ही डॉ.बीआर रामजी आंबेडकर का तेल चित्र संसद भवन में लगवाया था। संत रविदास को मेवाड़ राजघराना अपना गुरु मानता था।

जब पूर्वजों के समय में दलितों और क्षत्रियों में समन्वय था, तो इस लोकतंत्र में क्यों नहीं है? इस लोकतंत्र में दलित+क्षत्रिय (दक्ष) समीकरण दोनों ही वर्गों के हित में है। करणी सेना के प्रतिबद्ध सेनानी संदीप सिंह एवं राकेश सिंह रघुवंशी की सामाजिक समरसता की भावना को प्रणाम करता हूं।

काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है और वह 2024 में चढ़ चुकी : पेशे से चिकित्सक डॉ. भूपेंद्र सिंह लिखते हैं, 'अखिलेश यादव को नहीं पता था कि काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है और वह 2024 में चढ़ चुकी है।

विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच कृत्रिम रूप से झगड़ा उत्पन्न करके उनके बीच मनमुटाव पैदा करने के उनके साजिश को लोगों ने समझ लिया है। लखनऊ में करणी सेना के इस प्रकार के पोस्टर लगे हुए हैं जो स्पष्ट करता है कि लोगों के अंदर एक दूसरे के प्रति धीरे-धीरे ही सही, लेकिन एक समझदारीपूर्ण तरीके से सौहार्द का भाव जाग्रत कर रहा है। कुछ लोग कहेंगे कि यह दिखावा है, लेकिन दिखावे के स्तर पर ही सही एक समाज का व्यक्ति दूसरे समाज से आए हिंदू महापुरुष को स्वीकार तो रहा है। सकारात्मक परिवर्तन धीरे-धीरे ही होते हैं और वह होता दिख रहा है।'

सुमन और महाराणा सांगा का प्रकरण राजपूत वर्सेस दलित का नहीं : कुशीनगर के भूपेंद्र प्रताप सिंह बिसेन लिखते हैं, 'सशक्त लोकतंत्र के निर्माण हेतु भारतीय संविधान की रचना करने वाले, देश में समान अधिकार और सामाजिक न्याय हेतु जीवन भर समर्पित रहे ‘भारत रत्न’ बाबा साहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर की जयंती पर करणी सेना का नमन करते हुए होर्डिंग लगाने का प्रयास सराहनीय है। इससे देश में समानता और एकता स्थापित करने में मदद मिलेगी।

भारतीय संविधान के निर्माण के लिए यह कृतज्ञ राष्ट्र सदैव बाबासाहेब का ऋणी रहेगा। बस्ती के पीयूष सिंह गर्गवंशी लिखते हैं, 'लखनऊ में अंबेडकर पार्क पर देखा कि करणी सेना ने अंबेडकर जयंती पर होर्डिंग लगाया है। इससे यह प्रतीत होता है कि सुमन और महाराणा सांगा का प्रकरण राजपूत वर्सेस दलित का नहीं है। यह लड़ाई रामजीलाल सुमन वर्सेस क्षत्रिय का तो हो सकता है। मैं अपने अनुसूचित भाइयों से कहना चाहता हूं आप बहकावे में न आएं राजपूत समाज हमेशा सब समाज का सम्मान किया है और आगे भी करता रहेगा।'

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