कोरोना से लड़ने सेना भी उतरी मैदान में, यूपी में जल्द दूर होगी ऑक्सीजन की किल्लत
रेलवे ने पहला रैक बुधवार रात को बोकारो भेज दिया है। एक रैक में सात ऑक्सीजन टैंकर होंगे। लखनऊ से बोकारो की 805 किमी दूरी ऑक्सीजन एक्सप्रेस का रैक 16 घंटे में इस दूरी को पूरी करेगा।
लखनऊ: राजधानी सहित सभी कोरोना प्रभावित शहरों में ऑक्सीजन की किल्लत जल्द ही दूर होने वाली है। सेना के जिस लो फ्लोर रैक से युद्धक टैंक और साज-ओ-सामान को मिलिट्री स्पेशल ट्रेन से भेजा जाता है, उसी का इस्तेमाल ऑक्सीजन एक्सप्रेस में मेडिकल ऑक्सीजन सिलिंडर यूपी लाने के लिए किया जा रहा है।
सेना के बेस से आए लो फ्लोर रैक पर खाली ऑक्सीजन टैंकर लोड कर रेलवे ने बुधवार को लखनऊ जंक्शन से उतरेटिया तक ट्रायल किया। रेलवे ने पहला रैक बुधवार रात को बोकारो भेज दिया है। एक रैक में सात ऑक्सीजन टैंकर होंगे। लखनऊ से बोकारो की 805 किमी दूरी ऑक्सीजन एक्सप्रेस का रैक 16 घंटे में पूरी करेगा।
दरअसल लखनऊ सहित प्रदेश के बड़े शहरों में बढ़ रहे ऑक्सीजन के संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने झारखंड के बोकारो व जमशेदपुर और उड़ीसा के राउरकेला से मेडिकल ऑक्सीजन मंगाने की तैयारी की है।
रेलवे ने ऑक्सीजन टैंकर के लिए सेना के पंजाब स्थित खंदारी कला, भटिंडा और यूपी के बबीना बेस से बीबीसीएम और एनबीडब्लूटी रैक को मंगवाया है। पहला रैक लखनऊ पहुंचा। जिसमें राज्य सरकार की ओर से आसपास के जिलों से खाली ऑक्सीजन टैंकरों को लाकर उनको चारबाग़ स्टेशन के कैब वे से सटी साइडिंग पर लोड किया गया।
अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी और डीआरएम संजय त्रिपाठी सहित कई आला अधिकारी भी यहां मौजूद रहे। डीआरएम से बताया कि हर एक रैक में कम से कम सात ऑक्सीजन टैंकर लोड कर भेजे जाएंगे। हालांकि टैंकर की संख्या बढ़ने से रैक में इनकी संख्या भी बढ़ाकर आठ से 10 की जा सकती है। अभी तीन और रैक सेना से मांगे गए हैं। जो कि जल्द लखनऊ आ जाएंगे। हम पहला ऑक्सीजन एक्सप्रेस का रैक रात 10 बजे बोकारो को रवाना करेंगे। इनको रवाना करने से पहले लखनऊ से उतरेटिया तक ट्रायल किया जा रहा है। जिससे उनको ले जाते समय कोई दिक्कत न हो। हम उम्मीद करते हैं कि बोकारो से लखनऊ आने में सड़क मार्ग से जो 32 से 36 घंटे का समय लगता है। वह रेलवे में 16 घंटे से भी कम लगेगा।
खाली टैंकर को ले जाने में अतिरिक्त सावधानी बरतनी होती है। हल्के होने हवा के दबाव और रैक के ब्रेक सिस्टम को देखते हुए गति 50 से 55 किलोमीटर प्रतिघंटा ही रखी जाएगी। हालांकि लोड ऑक्सीजन एक्सप्रेस जब लौटेगी तब उसकी स्पीड 5 से 15 किलोमीटर प्रतिघंटा तक बढ़ाई जा सकती है। बोकारो पहुंचकर टैंकर उतारे जाएंगे। वहां ऑक्सीजन प्लांट में उनको लोड कर वापस स्टेशन लाया जाएगा। जहां उनकी लोडिंग रैक पर होगी। ग्रीन कॉरिडोर के रूप में चलाने के लिए सभी रेल मंडल से बात हो गई है।