पड़ोसी राज्यों में कोविड मरीजों के इलाज में यूपी कर रहा मदद

जिलाधिकारी झांसी के अनुसार 17 अप्रैल से 24 अप्रैल तक सीएमओ टीकमगढ़, सीएमओ शिवपुरी और सीएमओ निवारी तथा जिला अस्पताल टीकमगढ़ औ जिला अस्पताल शिवपुरी को 404 सिलेंडर ऑक्सीजन झांसी से भेजी गई है।

Update: 2021-04-26 15:35 GMT

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि कोविड से एक भी नागरिक की मृत्यु दुःखद है, यह प्रदेश की क्षति है। इसलिए हर कोविड संक्रमित मरीज में कोई भी कमी ना रहने पाए। कोविड मरीजों चाहे किसी भी राज्य का हो उसका इलाज किया जाए।

मुख्यमंत्री के ऐसे स्पष्ट निर्देश के चलते अब यूपी से सटे राज्यों के लोगों का इलाज भी सूबे के अस्पतालों में किया जा रहा है, इसके साथ ही यूपी से सटे राज्यों के अस्पतालों में कोविड मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन भी मुहैया कराई जा रही है। इसके तहत ही मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, शिवपुरी और निवारी के अस्पतालों में भर्ती कोविड मरीजों के इलाज के लिए 404 सिलेंडर ऑक्सीजन झांसी से भेजी गई। सरकार के इस प्रयास से टीकमगढ़, शिवपुरी और निवारी में इलाज करा रहे सैंकड़ों मरीजों की जिंदगी बचाई गई।

इस बारे में झांसी के जिलाधिकारी आंद्रा वामसी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हर कोविड संक्रमित मरीज के जीवन को बचाने के लिए मुख्यमंत्री जी के स्पष्ट निर्देश हैं। इसके तहत ही मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों के आग्रह पर टीकमगढ़, शिवपुरी और निवारी के अस्पतालों में झांसी से ऑक्सीजन के सिलेंडर भेज गए और अभी भी भेज रहें है। ऐसा करते हुए आंद्रा वामसी झांसी में कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन की समुचित व्यवस्था करने का दावा भी करते हैं। उनके अनुसार झांसी में अभी करीब 7,821 कोविड मरीज 58 अस्पतालों में इलाज करा रहें हैं।

इसके अलावा कोविड से प्रभावित करीब ढ़ाई हजार लोग घरों में हैं जिनके इलाज पर नजर रखी जा रही है। वर्तमान में झांसी में कोविड प्रभावी मरीजों के लिए बीस टन ऑक्सीजन प्रति दिन उपलब्ध है। देहरादून के मेडिकल कालेज से यह आक्सीजन झांसी को मिल रही है। जो कि सूबे के 58 अस्पतालों में इलाज करा रहे कोविड मरीजो के लिए अभी पर्याप्त है। इसके अलावा भी जिले के गोरामछिया और बिजौली में दो ऑक्सीजन सप्लाई प्लांट भी लगे हैं। यहां से सिलिंडरों के जरिए अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है। इन्ही प्लांटों के जरिए मध्य प्रदेश के अस्पतालों को जिले से कोविड मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे गए।

जिलाधिकारी झांसी के अनुसार 17 अप्रैल से 24 अप्रैल तक सीएमओ टीकमगढ़, सीएमओ शिवपुरी और सीएमओ निवारी तथा जिला अस्पताल टीकमगढ़ औ जिला अस्पताल शिवपुरी को 404 सिलेंडर ऑक्सीजन झांसी से भेजी गई है। जिले से भेजी गई इस ऑक्सीजन से सैंकड़ों मरीजों की संकट से बचाया जा सका। झांसी में कोविड मरीजों के इलाज को लेकर ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर जिलाधिकारी का कहना था कि इस कमी को पूरा करने के लिए यहां मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया जा रहा है।

इस ऑक्सीजन प्लांट में रोजाना 9,000 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन होगा। इस प्लांट की स्थापना के लिए 85 लाख रुपए प्रदेश सरकार से मिल गए हैं। इसके अलावा जिला अस्पताल में भी प्रतिदिन 5,000 लीटर क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इन दोनों अस्पतालों में पाइप लाइन के जरिये मरीज के पलंग तक ऑक्सीजन पहुंचाई जाएगी। इनकी खासियत ये होगी कि ये दोनों ही प्लांट हवा से ऑक्सीजन तैयार करेंगे। दस दिनों की भीतर यह दोनों प्लांटों के बनकर तैयार हो जाएंगे। और उसके बाद झांसी में मरीजों के इलाज में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने पायेगी।

जिलाधिकारी झांसी का यह भी कहना है कि झांसी में कोविड मरीजों के बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए झांसी की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में निजी अस्पताल रामराजा हॉस्पिटल को फिर से खोला गया है। तीन सौ बेड वाले इस अस्पताल को झांसी से ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाएगी, बदले में इस अस्पताल के सौ बेड झांसी के कोविड मरीजों के इलाज में उपयोग किए जायंगे। इस अस्पताल में भर्ती लोगों के इलाज के लिए झांसी से ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे गए। अब इसी तरह से यूपी से सटे अन्य राज्यों के कोविड मरीजों के इलाज के लिए जिलों के अधिकारी मदद कर रहें हैं। जिसके चलते नोयडा और गाजियाबाद के अस्पतालों में दिल्ली से इलाज कराने के लिए बड़ी संख्या में कोविड मरीज इलाज करा रहें हैं।

उत्तराखंड और नेपाल से सटे यूपी के जिलों में भी उत्तराखंड और नेपाल से लोग इलाज कराने का रहें हैं। यूपी में किसी का भी इलाज करने के मना नहीं किया जा रहा है, हर मरीज का इलाज कराने का प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में आज भी मुख्यमंत्री ने आधिकारियों को निर्देश दिया है कि कोई भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल बेड उपलब्ध होने पर कोविड पॉजिटिव मरीज को भर्ती के लिए मना नहीं कर सकता है। यदि सरकारी अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित अस्पताल उसे निजी चिकित्सालय में रेफर करेगा। निजी हॉस्पिटल में मरीज भुगतान के आधार पर उपचार कराने में यदि सक्षम नहीं होगा, तो ऐसी दशा में राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत अनुमन्य दर पर वहां उसके इलाज का भुगतान करेगी।

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