झांसी। यूपी एसटीएफ ने झांसी में कानपुर के इनामी बदमाश राशिद कालिया को मुठभेड़ में मार गिराया है। झांसी-खजुराहो राजमार्ग पर मऊरानीपुर तहसील इलाके में यह मुठभेड़ हुई जिसमें राशिद को तीन गोलियां लगीं। उसे गंभीर हालत में झांसी मेडिकल कॉलेज लाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
जानकारी के अनुसार हत्या एवं अपहरण के मुकदमों में वांछित चल रहे सवा लाख के इनामियां अपराधी राशिद ऊर्फ कालिया कानपुर निवासी की लगातार यूपी एसटीएफ तलाश कर रही थी। इसी दौरान एसटीएफ को पता चला कि उक्त अपराधी झांसी क्षेत्र में है। एसटीएफ ने अपराधी को पकड़ने के लिए झांसी में अपना डेरा डाल दिया। इसी दौरान रात्रि में एसटीएफ को सूचना मिली कि मऊरानीपुर में यह अपराधी किसी हत्या करने की फिराक में है। जिसको लेकर यूपी एसटीएफ और मऊरानीपुर पुलिस ने संयुक्त रूप से अपराधी को सितारा मार्ग पर उस समय घेर लिया। जब वह बाइक से जा रहा था। जिसमें अपराधी ने खुद को घिरते हुए देखा पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी। एसटीएफ और पुलिस ने आत्मरक्षा हेतु जवाबी फायरिंग की। जिसमें कुख्यात अपराधी की सीने में तीन गोली लगी जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसे घायल अवस्था में उसे झांसी के मेडिकल कॉलेज लाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
बसपा नेता का हत्यारोपी राशिद कालिया को तीन साल से तलाश रही थी 10 जिलों की पुलिस
महानगर में कुख्यात बदमाश राशिद कालिया को यूपी एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया। शनिवार को मुठभेड़ में उसके सीने में गोली लगी थी। कानपुर में 3 साल पहले हुई बसपा नेता नरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सेंगर की हत्या में कालिया वांछित था। उस पर 1.25 लाख का इनाम था। कालिया को 10 जिलों की पुलिस तलाश रही थी। जून 2020 को सेंगर की हत्या के बाद से फरार चल रहा था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश एस ने बताया कि शनिवार को एसटीएफ को सूचना मिली कि राशिद कालिया मऊरानीपुर में एक व्यक्ति की हत्या करने जा रहा है। बाइक से जा रहे कालिया को जब रोकने की कोशिश की, तो उसने फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग में एसटीएफ के डिप्टी एसपी संजीव दीक्षित और इंस्पेक्टर घनश्याम यादव को भी गोली लगी। मगर, बुलेट पू्रफ जैकेट पहने होने से उनकी जान बच गई। राशिद कालिया कानपुर के चकेरी थाना क्षेत्र के चिश्तीनगर का रहने वाला था।
सेंगर की हत्या के बाद एसटीएफ के टारगेट पर आया राशिद
20 जून, 2020 में कानपुर के चकेरी इलाके में बसपा नेता नरेंद्र सिंह की गोलियों से छलनी करके हत्या कर दी गई। हत्याकांड को अंजाम देने के लिए पल्सर और बाइकों पर सवार होकर चार शूटर आए थे। तफ्तीश में खुलासा हुआ कि पल्सर अहसान कुरैशी चला रहा था, जबकि पीछे राशिद कालिया बैठा था, जबकि दूसरी बाइक फैसल कुरैशी चला रहा था और सलमान बेग पीछे बैठा था। कार से उतरते ही पिंटू सेंगर पर चारों बदमाशों ने ऑटोमेटिक हथियारों से एक साथ फायरिंग कर दी। पुलिस को घटनास्थल से 11 कारतूस के 11 खोखे बरामद मिले थे। पुलिस ने सेंगर हत्याकांड में पप्पू स्मार्ट, महफूज अख्तर, साऊद अख्तर सहित 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, मगर राशिद कालिया फरार चल रहा था।
सुपारी लेकर हत्याएं करता था राशिद
कालिया सुपारी लेकर हत्या करने के लिए कुख्यात था। 10 जिलों की पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। कालिया इतना शातिर था कि बताया जाता है कि उसकी एक भी फोटो पुलिस के पास नहीं थी। न ही वह मोबाइल का इस्तेमाल करता था। इसलिए, कालिया की गिरफ्तारी का जिम्मा एसटीएफ को दिया गया था। एसटीएफ लगातार कालिया को ट्रैक कर रही थी, लेकिन हर बार वह चकमा देकर फरार हो जाता था। कालिया पर झांसी, कानपुर नगर में लूट, हत्या जैसे संगीन अपराधों के 13 ममाले दर्ज हैं। कानपुर पुलिस ने कालिया पर 1 लाख जबकि झांसी पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा था।
2009 में अपहरण कर युवक की कर दी थी हत्या
शूटर राशीद कालिया का झांसी में अपराध की दुनिया में नाम रहा है। उसने 2009 में 20 साल के मोहसिन का अपहरण कर हत्या कर दी थी। तब से वह फरार था। उस पर झांसी में 25 हजार का इनाम घोषित किया गया था। अब वह सुपारी लेकर फिर से हत्या करने आया था।
कानपुर पुलिस राशिद का नहीं लगा पा रही थी सुराग
पिंटू सेंगर हत्या मामले में कालिया पर पहली बार 50 हजार रुपए इनाम घोषित किया गया था। मगर गिरफ्तारी नहीं होने के चलते 1 मई 2022 को 50 हजार रुपए बढ़ाकर इस इनामी राशि को एक लाख रुपए कर दिया गया था। इसके बाद भी कानपुर पुलिस कमिश्नरेट राशिद कालिया को गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी।
बसपा नेता का भी रहा है आपराधिक इतिहास
कानपुर के बसपा नेता नरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सेंगर का भी आपराधिक इतिहास कम नहीं रहा। पिंटू सेंगर पर चकेरी, किदवई नगर और कोहना थाने में कुल 28 मामले दर्ज हैं। गैंगेस्टर और गुंडा एक्ट की कार्रवाई के साथ भू-माफिया भी घोषित हो चुका था। उस पर हत्या के प्रयास, सम्पत्ति हथियाने, हत्या, रंगदारी जैसे संगीन धाराओं में मामले दर्ज हैं। चार मुकदमों में वह दोषमुक्त कर दिया गया था। पिंटू सेंगर ने पुलिस से बचने के लिए अपराध की दुनिया छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया था। दिवंगत फूलनदेवी ने पिंटू सेंगर की राजनीति में एंट्री कराई थी।
मायावती के लिए चांद पर जमीन खरीदने का दावा किया था
नरेंद्र सिंह सेंगर एक दशक पहले उस समय सुर्खियों में आया था, तब 2010 में मायावती के जन्मदिन पर उसने बसपा प्रमुख मायावती के लिए चांद पर जमीन खरीदने का दावा किया था। इसके बाद मायावती ने उसे पार्टी से निकाल दिया था। हालांकि दो साल पहले पिंटू फिर से बसपा में आ गया था। वह सांसद रहीं फूलनदेवी का भी करीबी था। हत्या से पहले पिंटू कानपुर देहात की भोगनीपुर से विधायक का चुनाव लड़ने की तैयारी में था।
राजनीति से जुड़ा है सेंगर का पूरा परिवार
नरेंद्र सिंह सेंगर और उसका परिवार राजनीति से जुड़ा रहा है। वह खुद बसपा का नेता रहा है। छावनी सीट से 2007 में बसपा से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था। बाद में उसे बसपा से निकाल दिया गया था। पिता सोने सिंह गजनेर (कानपुर देहात) के गोगामऊ से ग्राम प्रधान थे। मां शांति कठेती से जिला पंचायत सदस्य रही हैं।
कानपुर में प्रेम विवाह करके यहीं बस गया था शूटर
शार्प शूटर कालिया मूलरूप से महोबा का रहने वाला था। मगर अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद कानपुर पहुंचा और चिश्ती नगर चकेरी में रहने लगा था। यहां से ही उसने हत्या, लूट, रंगदारी सहित कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया। इसके बाद कानपुर के बड़े-बड़े अपराधियों के संपर्क में आ गया था। यहीं से उसे भाड़े पर हत्याओं के लिए सुपारी मिलने लगी थी। इसके बाद उसने चमनगंज गदियाना में आने-जाने के दौरान यहां की एक युवती से प्रेम विवाह किया था। इसके बाद चमनंगज में काफी दिनों तक रहा। मगर पिंटू सेंगर हत्या मामले में वांछित हुआ, तो पुलिस से बचने के लिए झांसी में परिवार के साथ छिपकर रहता था।