अयोध्या में त्रेता युग की झलक
दीपावली त्रेता युग से चली आ रही भारतीय परंपरा है। कई मान्यताओं में यह भी शामिल है कि इसी दिन प्रभु राम लंका विजय कर अयोध्या पधारे थे। अयोध्या की उदासी दूर हुई। उत्साह, उमंग का वातावरण बना। इसी की अभिव्यक्ति दीप जला कर की गई। इसी के साथ एक सन्देश भी निर्मित हो गया। तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात् अंधेरे से ज्योति की ओर बढ़ने का प्रतीक बन गया। दूसरा सन्देश असत्य पर सत्य की जीत का था। कार्तिक मास की गहन अंधकार वाली अमावस्या की रात्रि अयोध्या दीयों की रोशनी से नहा गई थी। दीपावली दीपों का पर्व भारतीय पहचान और अस्मिता से जुड़ गया।
भारतीय त्योहारों का केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व ही नहीं, बल्कि इसमें सामाजिक और पर्यावरणीय सन्देश भी समाहित होता है। अयोध्या में पहली बार समाज के सभी लोगों ने एक साथ मिलकर दीपोत्सव का आयोजन किया था। इस प्रकार हमारे समाज ने समरसता को प्रतिष्ठित किया। वर्षा के बाद सफाई की आवश्यकता होती है। लेकिन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली आतिशबाजी उस समय नहीं थी। अयोध्या की यह दीपावली पर्व के रूप में स्थापित हुई। भारत ही नहीं, विश्व के अनेक देशों में इसे मनाया जाता है। एक समय आया, जब हजारों वर्ष बाद अयोध्या की दीपावली उपेक्षित हुई। खासतौर पर विदेशी दासता में अयोध्या की विश्व स्तरीय दीपावली की प्रतिष्ठा कायम नहीं रह सकी। आजादी के बाद भी उत्तर प्रदेश में सरकारों ने यह मान लिया कि अयोध्या की दीपावली से उनका कोई सरोकार नहीं है। अब पहली बार यहां एक सन्यासी के नेतृत्व में सरकार बनी। अयोध्या की दीपावली को पुनः विश्वस्तरीय बनाने का संकल्प लिया गया। गत वर्ष इसकी शुरुआत हुई। इस बार कोरिया सहित अनेक देशों तक इसकी गूंज पहुंच गई।
अयोध्या में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित हुआ। अयोध्या में एक साथ तीन लाख दीपक जगमगा उठे। इससे पहले एक लाख पांच हजार दीए जलाने का रिकार्ड गिनीज बुक में दर्ज है। इस बार का एक अन्य आकर्षण वॉटर शो था। पिछली बार अयोध्या में लेज़र शो के माध्यम से रामकथा दर्शाई गई थी। इस बार वॉटर प्रोजेक्शन शो के माध्यम से इसे दिखाया गया। इसके अलावा इंडोनेशिया, रूस, टोबैगो, त्रिनिदाद, श्रीराम भारतीय कला केंद्र की टीमों ने रामलीला का मंचन भी किया।
अयोध्या में भगवान राम की दो सौ फीट से ऊंची प्रतिमा स्थापित होगी। इसके नीचे पचास मीटर का पेडेस्टल बनाया जाएगा। मूर्ति राम कथा पार्क में स्थापित होगी। प्रतिमा के ठीक नीचे पौराणिक कथाओं पर आधारित म्यूजियम बनाया जाएगा। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरिया गणराज्य की प्रथम महिला किम जुंग-सुक से नई दिल्ली में मुलाकात की थी। किम अयोध्या में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित दीपोत्सव समारोह तथा महारानी सुरीताना हिवो ह्वांग-वोक स्मारक के भूमिपूजन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं। भारत और कोरिया के बीच सभ्यता, संस्कृति और आध्यात्मिक संबंध बहुत मजबूत रहे हैं। योगी आदित्यनाथ का यह प्रयास सराहनीय है। केवल एक ही वर्ष में इसका स्वरूप व्यापक हो गया है। इस बार कोरिया गणराज्य की प्रथम महिला इसमें सहभागी बनीं। यह आशा की जा सकती है कि भविष्य में विदेशी अतिथियों के इस प्रकार शामिल होने की परंपरा आगे बढ़ेगी। इसके अलावा यहां रामलीला प्रस्तुत करने वाले देशों की संख्या भी बढ़ेगी। इस प्रकार अनेक देशों के साथ हमारा सांस्कृतिक संवाद बढ़ेगा।