विकास के लिए कांग्रेस को फिर खारिज करेगी असम की जनता
- असम मुख्यमंत्री सर्बानंद सेानोवाल से अतुल तारे एवं सौमित्र जोशी की भेंट
वाकई सर्बानंद हैं असम के मुख्यमंत्री
रात के दस बज रहे हैं। असम सरकार के उच्च प्रशासनिक अधिकारी मुख्यमंत्री के उच्च प्रतीक्षालय में बैठकर चर्चा कर रहे हैं। चर्चा का सार यह है कि मुख्यमंत्रीसर्बानंद सेानोवाल इतनी ऊर्जा लाते कहां से हैं? आज ही उन्होंने दिनभर प्रदेश के कई हिस्सों का दौरा किया है। राजधानी गुवाहाटी में पार्टी के एक महिला समारोह को संबोधित किया है। कैबिनेट चल रही है और उसके बाद इतने शिष्टमंडल हैं जिनसे भेंट होनी है। मैं खुद ही विचार कर रहा था कि आज 'स्वदेश' से भेंट संभव नहीं है, तभी संदेश आता है थोड़ी और प्रतीक्षा करें। मुयमंत्री जी भेंट करेंगे। और जब भेंट हुई तो देखा कि सर्बानंद ऊर्जा और उल्लास से भरे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी खुद को देश का प्रधान सेवक कहते हैं। ठीक यही भाव श्री सानेावाल का प्रगट हुआ। वह कहते हैं प्रदेश की जनता का आनंद ही उनके लिए आनंद है। आखिर वह सर्बानंद यूं ही नहीं हैं। वाकई सर्बानंद हैं असम के मुख्यमंत्री।
गुवाहाटी/अतुल तारे/सौमित्र जोशी। असम ने इन छह सालों में विकास को जमीन पर महसूस किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर भारत शेष भारत से जुड़ाव अनुभव कर रहा है। घुसपैठ की समस्या लगभग समाह्रश्वत हो गई है। कांग्रेस अपनी संभावित पराजय देखकर अवसरवादी और देशविरोधी ताकतों से गठबंधन कर अपना चरित्र उजागर रही है। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल इसे पूरे विश्वास के साथ कहते हैं। श्री सोनोवाल ने कहा कि पार्टी का कार्यकर्ता उत्साह व विश्वास में है और संगठन के सहयोग एवं मार्गदर्शन हम फिर से सरकार बनाकर असम को देश का सबसे विकसित राज्य बनाएंगे। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के सात राज्यों में असम की पहचान असीम क्षमता, संभावनाओं और समृद्धि वाले राज्य के रूप में है। प्राकृतिक संशाधनों की भरमार के चलते राज्य में अगर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए तो यह विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है। 2016 में सत्ता में आकर भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' के नारे से प्रेरित होकर भ्रष्टाचार मुक्त, प्रदूषण मुक्त, घुसपैठ मुक्त और उग्रवाद मुक्त राज्य के चौमुखी विकास के एजेंडे पर सवार होकर नए आयाम स्थापित किए हैं। प्रदेश के मुयमंत्री सर्बानंद सोनोवाल केंद्र के साथ बेहतर तालमेल बिठाकर प्रदेश को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। राज्य में आसन्न विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सोनोवाल अपनी सरकार की वापसी के प्रति आश्वस्त नजर आते हैं। इसके लिए सोनोवाल ने सरकार व संगठन में समन्वय बनाया है। व्यस्ततम दिनचर्या होने के बावजूद उन्होंने 'स्वदेश' के साथ बातचीत के लिए समय निकाला। श्री सोनोवाल का कहना है कि साठ सालों में प्रदेश का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाया। इसके पीछे केंद्र व राज्य में कांग्रेस की सरकारों का होना था। भ्रष्टाचार व कांग्रेस की गलत नीति व नीयत के चलते लोग भाषायी और जातिवाद के उन्माद से पीडि़त थे।
राज्य का विकास करने के बजाय लोग आपस में ही लड़ते-झगड़ते रहे। जिसके चलते असम अपने लक्ष्य को पाने से काफी पीछे रह गया। कांग्रेस नेता विहीन और लक्ष्य विहीन पार्टी है और यही कारण है कि चुनाव से पहले उसने एक बार फिर भ्रष्ट और अवसरवादी ताकतों के साथ हाथ मिलाया है। बदले हुए परिवेश में असम के लोग कांग्रेस के भीतर वाले चरित्र को देख रहे हैं। लोग कांग्रेस के साठ साल बनाम भाजपा के छह साल के शासन से तुलना कर रहे हैं। पछले चुनाव में असम के लोगों ने कांग्रेस को सिरे से खारिज कर दिया था। भाजपा को विरासत में सामाजिक व सांप्रदायिक असमानताएं मिली थीं तिस पर आतंकवाद और विदेशी घुसपैठ ने राज्य को असहज बना दिया था। लेकिन भाजपा ने असम को इन चीजों से बाहर निकाला है। चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को हराने के लिए कई दलों से हाथ मिलाया है, या भाजपा के लिए यह कड़ी चुनौती माना जाए? इस पर सोनोवाल का कहना है कि हमने असम के लोगों के हितों की रक्षा के लिए विशेष प्रयास किए हैं और असम समझौते के खंड छह के कार्यान्वयन के लिए समीचीन उपाय किए हैं, जो सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई या राजनीतिक सभी पहलुओं में असमिया पहचान को संरक्षित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। स्वदेशी लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए हमने 'जाति-माटी-भेटी (समुदाय, भूमि और आधार) के अपने वादे का पालन करते हुए 2019 में एक नई भूमि नीति लागू की और भूमिहीन स्थानीय स्वदेशी परिवारों को 3360 पट्टे वितरित किया। जहां तक गठबंधन का सवाल है तो भाजपा ने समावेशी विचारधारा वाले दलों को साथ लिया है। जैसे असोम गण परिषद, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल और अन्य राजनीतिक संगठन शामिल हैं।
राज्य में नागरिक संशोधन कानून और एनआरसी लागू करने के दौरान व्यापक हिंसा के कारणों को गिनाते हुए सोनोवाल ने माना कि नागरिकता संशोधन अधिनियम भारत में रहने वाले किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है। असम सरकार उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एनआरसी 'अपडेशन' प्रक्रिया को उसके तार्किक निष्कर्ष पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है। जहां तक राज्य में हिंसा का सवाल है तो इसके लिए कुछ अराजक तत्वों ने सीएए से संबंधित विरोध को पूरी तरह से गुमराह किया। पिछले साल कोरोना महामारी ने जिस तरह देश व दुनिया में कहर बरपाया उससे असम भी अछूता नहीं रहा लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में असम ने वायरस के संक्रमण प्रसार पर न केवल रोकथाम की बल्कि इसके खिलाफ शानदार लड़ाई भी लड़ी। यह समय संकट के समय अपनी क्षमता साबित करने का था, जिसे चिकित्सकों, नर्सों, आशा कार्यकर्ताओं, सफाई कर्मचारियों, प्रयोगशाला तकनीशियनों, एबुलेंस चालकों और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों ने साबित भी किया। कहना न होगा समेकित प्रयासों से ही सफलता मिलती है। या उत्तर-पूर्वी राज्य शेष भारत के साथ-साथ सर्वांगीण विकास की दौड़ में शामिल हैं? इस पर सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता एवं उनकी 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' ने पूर्वी राज्यों को नया आयाम दिया है। अब शेष भारत की तरह पूर्वी राज्य भी नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। भारत के पूर्वी राज्य विशेष रूप से आसियान देशों के लोगों के साथ व्यापार, और अन्य संबंधों को बढ़ावा दे रहे हैं। केंद्र और राज्यों दोनों में कांग्रेस की सरकार असम और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार करती रहीं। परिणामस्वरूप, उत्तर पूर्व के लोगों में अलगाव की भावना बढ़ी। यही कारण है कि क्षेत्र के लोगों में निराशा और हताशा व्यापती गई। अब यहां माहौल पूरी तरह बदल गया। प्रधानमंत्री मोदी भी लगातार क्षेत्र का दौरा कर लोंगों का भरोसा जीत रहे हैं। सरकार की उपलब्धियों के सवाल पर मुख्यमंत्री सोनोवाल ने कहा कि पिछले चार-पांच वर्षों के दौरान असम में सरकार ने राज्य के विकास के नए लक्ष्य साधे हैं। हालांकि अभी इस दिशा में काफी कुछ किया जाना बाकी है। लेकिन फिर भी समेकित प्रयासों से अभूतपूर्व सफलताएं हासिल की हैं। स्वदेशी भाषाओं और उनके साहित्य को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने 'भाषा गौरव' योजना शुरू की और असोम साहित्य सभा, बोडो साहित्य सभा और 20 स्वदेशी साहित्य सभाओं के कॉर्पस फंड को एकमुश्त विषय सहायता प्रदान की। इसके अलावा, सरकार ने स्वायत्त परिषदों की घोषणा की और अधिक राजकोषीय आवंटन के साथ अहोम, चुटिया और कोच राजबंग्स के विकास परिषदों का पुनर्गठन किया। सरकार ने प्रदेश में छह नए चिकित्सा महाविद्यालय, छह प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, 16 पॉलिटेक्निक महाविद्यालय और नौ विधि महाविद्यालय खुलवाए। पिछली सरकारों के कार्यकाल की कुछ विसंगतियों को भी सरकार ने दूर किया। विभिन्न योजनाओं में शामिल सात लाख बच्चों के मनरेगा योजना में चार लाख फर्जी जॉब कार्ड और 36 हजार फर्जी राशन कार्डों का खुलासा किया है। 2016-17 के बाद से सरकार ने स्थायी सरकारी पदों में एक लाख से अधिक युवाओं को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से रोजगार दिया है। राज्य की कानून-व्यवस्था को बढ़ावा देने में भी हमारी नीतियां सफल रही हैं। उग्रवादी संगठनों के प्रतिनिधियों को बातचीत की मेज पर लाने के लिए विशेष पहल की गई। परिणामस्वरूप इनके समूहों ने अपने हथियार डाल दिए और मुय धारा में लौट आए। मुयमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्य जीवन अभयारण्यों में होने वाले अवैध शिकार पर अंकुश लगाना वर्तमान में राज्य सरकार की एक बड़ी सफलता है। एट ईस्ट पॉलिसी की पृष्ठभूमि में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट ने असम के निवेश के साथ व्यापार के नए अवसर खोले। 79,000 करोड़ रुपए जिसने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ असम के आर्थिक, सामाजिक और जनसांख्यिकी संबंधों को मजबूत किया।