फिजी की फिजा में भारत की खुशबू
वेबडेस्क। एक दो हजार नहीं भारत से लगभग 12 हजार किलोमीटर की दूरी पर आनंद का देश है, फिजी। दक्षिणी प्रशांत महासागर में मात्र नौ लाख की आबादी वाले इस खूबसूरत देश के नादी में आज उत्सवी वातावरण है। नादी हवाई अड्डे पर, 'ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे के मधुर गीत के साथ पारंपरिक वेश में भारत के शिष्ट मण्डल का जब स्वागत होता है तो आप अनुभूत कर सकते हैं कि यह सिर्फ रस्मी नहीं है। एक तार है जो फिजी और भारत को जोड़ता है।
प्रवासी संसार के संपादक और देश विदेश में साहित्यिक यात्रा में असर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले राकेश पांडे कहते हैं कि विश्व हिंदी समेलन का फिजी में होना एक महत्वपूर्ण प्रयोजन है। फिजी और आसपास के निवासियों में काफी लोग अवध क्षेत्र से हैं। साहित्य परिषद के वरिष्ठ राष्ट्रीय मन्त्री प्रवीण आर्य बताते हैं कि यहाँ आर्य समाज के दयानंद सरस्वती के दर्शन की पोथी श्रद्धा से पढ़ी जाती है। हिंदी और भारत के प्रति यहाँ आदर है, प्रेम है। नई पीढ़ी के लिए यह समेलन इन दो देशों को सिर्फ भाषा के स्तर पर ही नहीं सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी और करीब लायेगा।
सम्मेलन को लेकर देडराउ कन्वेंशन सेंटर को पारंपरिक साज सज्जा से सजाया गया है। फिजी और भारत की संस्कृति यहाँ देखी जा सकती है। सम्मेलन में हिंदी के चिकित्सक डॉक्टर मनोहर भंडारी, जवाहर कर्नावट एवं त्रिभुवननाथ शुल का समान मध्यप्रदेश के लिए गौरव का विषय होगा। सम्मलेन के प्रथम सत्र में फिजी के राष्ट्रपति एवं भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का उद्बोधन नि:संदेह आयोजन को गरिमा देगा। सम्मेलन में लगभग 270 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इसमें उत्तर पूर्वी भारत की उल्लेखनीय उपस्थिति तो सुखद अनुभूति कराती ही है, सुदूर अमेरिका सहित कई देशों के प्रतिनिधियों का उत्साह बता रहा है कि हिंदी अब एक वैश्विक बिंदी है।
फिजी में आज से शुरू होगा 12वां विश्व हिंदी समेलन
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका ने आज बुधवार को फिजी के नांदी शहर में 12वें विश्व हिंदी समेलन का उद्घाटन किया। भारत का विदेश मंत्रालय फिजी सरकार के साथ मिलकर 15 से 17 फरवरी तक यहां 12वें विश्व हिन्दी समेलन का आयोजन कर रहा है।
समेलन का मुख्य विषय 'हिंदी -
पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम बुद्धिमत्ता तक है। सम्मेलन में एक पूर्ण सत्र के अलावा गिरमिटिया देशों में हिंदी, फिजी और प्रशांत क्षेत्र में हिंदी, सूचना प्रौद्योगिकी और 21वीं सदी में हिंदी, मीडिया और हिंदी को लेकर वैश्विक धारणा, भारतीय ज्ञान परंपराओं और हिंदी का वैश्विक संदर्भ, भाषायी समन्वय एवं हिंदी अनुवाद जैसे विषयों पर 10 समानांतर सत्र होंगे। समेलन में हिंदी सिनेमा के विभिन्न रूप और वैश्विक परिदृश्य, वैश्विक बाजार और हिंदी, बदलते परिदृश्य में प्रवासी हिंदी साहित्य तथा भारत एवं विदेश में हिंदी शिक्षण, चुनौतियां व समाधान पर भी समानांतर सत्र होंगे। भारत से हिंदी के विद्वानों और अधिकारियों के 270 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के अलावा 50 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।