मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक से डरे कांग्रेसी सेना को लांछित करने लगे

मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक से डरे कांग्रेसी सेना को लांछित करने लगे
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काल के कपाल पर... जयकृष्ण गौड़

संकट के समय पूरा देश सेना के साथ खड़ा होता है। देशभक्ति की ऊर्जा से ही देश की एकता-अखंडता सुरक्षित रहती है। जब 1962 से चीन ने हमला किया था, उस समय भी चाहे नेहरू सरकार की देश विरोधी नीति से हमारे जवानों के खून से हिमालय की भूमि लाल हुई हो, कई सैनिकों का बलिदान हुआ, लेकिन देश की जनता सरकार और सेना के लिए हर प्रकार की सहायता देने के लिए आगे आई। माता-बहिनों ने अपने आभूषणों का भी दान कर दिया। संसद में जब चीन के द्वारा भारतीय भूमि पर काबिज होने की आवाज उठी, तब प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने कहा था कि चीन ने जिस भारत भूमि पर कब्जा किया है, वह बर्फिली है, वहां कुछ पैदा नहीं होता। कांग्रेस के ही सांसद थे महावीर त्यागी, उन्होंने कहा था कि नेहरूजी आपके सिर पर और मेरे सिर पर बाल नहीं है, तो क्या सिर को काट देना चाहिए। यही दोविचार की टकराहट का सिलसिला आजादी के पहले और बाद से चल रहा है। एक विचार देश को भोग भूमि मानता है। इस विचार से जुड़े नेतृत्व और दल को न देश विभाजन का दर्द है और न देश के खिलाफ जाने से कोई फर्क पड़ता है। देश हित की बलि देकर भी वोट बंटोरने से इन्हें संकोच नहीं होता। दूसरा विचार है राष्ट्रवाद का, जो इस देश को मातृभूमि मानते हैं, गर्व से वंदे मातरम कहते हैं, राष्ट्रवाद से प्रेरित नेतृत्व के लिए राजनीति से ऊपर देश है, देश केलिए राजनीति है। 1965 एवं 1971 में पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में परस्पर विरोधी नेतृत्व भी सरकार और सेना के साथ खड़ा रहा। इंदिराजी ने सैनिक कार्यवाही के द्वारा बांग्लादेश को पाकिस्तान के पंजे से मुक्त कराया था, उस समय जनसंघ के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिराजी की संसद में न केवल सराहना की, बल्कि उनको पूरा समर्थन दिया। संकट के समय पक्ष-विपक्ष नहीं होता, सब मिलकर चुनौती का सामना करते हैं। सब की राजनीति संकट का सामना करने की होती है। सेना को यह आभास हो कि पूरा देश उनके साथ है, सेना, जनता और सरकार एक पुष्प कुंज के समान होते हैं। सेना को महत्व सबसे अधिक इसलिए है कि राष्ट्र जीवन सुरक्षित सेना के कारण रहता है। सैन्य और परमाणु शक्ति स पन्न देश है, वे स्वाभिमान से रह सकते हैं। इसलिए आधुनिक श ों के साथ सेना के मनोबल का आधार देश की जनता है। जो सेना के मनोबल को प्रभावित करता है, वह चाहे कोई भी दल या नेतृत्व हो,उसे और कुछ भी कहा जाए, लेकिन उसे देश भक्तों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। देश के लिए राजनीति है या किसी तरह वोट बटोर, सत्ता पर काबिज होकर अपना और अपने परिवार को समृद्ध करने के लिए राजनीतिक कर्मकांड है। इस अंतर को समझना होगा।

केन्द्र में राष्ट्रवादी मोदी सरकार है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निकट से जानते हैं। उनका बचपन प्लेटफार्म पर चाय बेचने के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा पर बीता। संघ के संस्कार देश के लिए जीना सिखाते हैं। चाहे सामाजिक क्षेत्र हो या राजनीतिक क्षेत्र हो, नरेन्द्र मोदी ने समाज सेवा और राष्ट्र सेवा को ही सर्वोपरि माना। चाहे उन्होंने भाजपा के संगठन का काम किया हो या गुजरात के मु यमंत्री के नाते विकास के एजेंडे से गुजरात को विकास का माडल बनाने में सफलता प्राप्त ही हो। गत 55 माह से अधिक केन्द्र और अधिकांश राज्यों में भाजपा या एनडीए की सरकारें है। पहली बार विकास के एजेंडे पर राजनीति केन्द्रित है। जातिवाद, परिवारवाद को जनता नकार रही है। मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत की दशा और दिशा बदल गई है। विकास और शक्ति में देश उस ऊंचाई पर पहुंचा है, जहां आज भारत की ओरकोई आंख दिखा नहीं सकता। दुनिया नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करती है। जहां भी मोदीजी जाते हैं, वहां मोदी-मोदी के नारे गूंजते हैं। भारत की कूटनीति और सामरिक नीति से चीन भी घबराने लगा है। आर्थिक समृद्धि भी देश की शक्ति होती है। दुनिया के देश मेकइन इंडिया की नीति से भारत में निवेश करने लगे हैं। दुनिया की सबसे तेज आर्थिक विकास भारत का है। भारत के सामने आतंकवाद की चुनौती है। गत करीब 60 वर्षों से पाकिस्तान का प्रायोजित आतंकवाद से कई निर्दोष नागरिकों का खून बहा और कई हमारे जवानों का बलिदान हुआ। शांति की चर्चा होती रही। ताशकंद से लेकर लाहौर आगरा से पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता हुई, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा भारत की पीठ में वार किया। पहली बार मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ आक्रमक नीति अपनाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह घोषित नीति है कि हम किसी को छोड़ेंगे नहीं और कोई हमें छोड़ेगा तो हम छोड़ेंगे नहीं है। उरी में हमारे सौते हुए जवानों पर कायराना हमला करके शहीद कर दिया था। मोदी सरकार ने बदले की कार्यवाही के लिए सेना को पूरी छूट दी। सेना के जाबांज कमांडों ने सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकी अड्डों को नष्ट किया और कई आतंकी मारे गए। पुलवामा में कायराना हमला कर हमारे सीमा सुरक्षा दल के 40 जवानों को शहीद कर दिया। आक्रोशित जनता की एक ही आवाज थी कि आतंकवाद को जड़मूल से समाप्त किया जाए। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि जो आग जनता के दिल में है, वह मेरे दिल में भी है। मां भवानी के आशीर्वाद से अब हिसाब पूरा होगा।

पुलवामा हमले के तेरवें दिन ही हमारे 12 मिराज लड़ाकू विमानों ने जाकर जैश-ए-मोह मद के तीन ठिकानों को ध्वस्त कर वहां स्थित करीब चार सौ आतंकवादियों और उनके ट्रेनर की कब्र बना दी। पूरे देश ने विजयोत्सव बनाया। जिस तरह श्रीराम रावण के राक्षस राज्य का नाश करके अयोध्या लौटे तो दिवाली मनी ती। इस वायु सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पूरे देश में दिवाली और होली एक साथ मनी। सभी ने वायु सेना के महावीर पायलटों को सलाम किया। कांग्रेस और उसके छुटभैया दल के नेताओं ने भी दबी जुबान से वायु सेना की कार्यवाही की सराहना की। कांग्रेस के मिलावटी गठबंधन को लगा कि उनकी वोटों की खेती चौपट हो गई है और चारों ओर मोदी-मोदी का जयकारा हो रहा है। देश विरोधी सपोले जहर फैलाने लगे। मेहबूबा मु ती और फारूख जैसे तो अलगाववादियों और आतंकवादियों के समर्थक है ही, लेकिन कांग्रेस के दिग्विजय सिंह जो हमेशा देशभक्तों का विरोध करते हैं, जिन्होंने अपने शासन काल से साध्वी प्रज्ञासिंह और सेना के अधिकारियों को झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल में प्रताडि़त कराया। उरी हमले के बाद की सर्जिकल के समय भी राहुल, केजरीवाल, कपिल सिब्बल ने प्रमाण मांगे थे। इसी प्रकार वायु सेना ने जो स्ट्राइक की उसके भी दिग्विजय और ममता बेनर्जी प्रमाण मांग रहे हैं। जिन्हें अपनी सेना पर भरोसा नहीं, जो सेना के मनोबल को प्रबावित करते हैं, ऐसे नेतृत्व को भय है कि मोदी सरकार के विकास और आतंकवाद के खिलाफ की गई स्ट्राइक से जनता कांग्रेस के मिलावटी गठबंधन को नकार देगी। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सेना को निशाने पर लेने वाले ऐसे सपोले हैं, जिनके देश विरोधी जहर को नष्ट करना होगा। कांग्रेस नेतृत्व की नीति में झूठ, फरेब और देश विरोधी कीड़े प्रभावी है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक हैं)

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