अपने पैंतरों से पस्त पाकिस्तान
भारत सम्पूर्ण प्रभुत्त्व सम्पन्न राष्ट्र है। इस हैसियत से ही उसने अनुच्छेद 370 को हटाया है। लेकिन पाकिस्तान इस बेगाने मामले में दीवाना हुआ जा रहा है। पाकिस्तानी इसे संयुक्त राष्ट्र संघ ले गया। हालांकि इसका कोई मतलब नहीं था। जब शीतयुद्ध के समय संयुक्त राष्ट्र इस पर कुछ नहीं कर सका, तो अब इस पर चर्चा ही बेमानी थी। फिर भी भारत को विश्व समुदाय का व्यापक समर्थन मिला। पाकिस्तान की इस पर जगहंसाई हुई है। इसमें इमरान खान का योगदान भी कम नहीं। वह अपने मुल्क के स्वतंत्रता दिवस पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में तकरीर करने पहुंच गए। उन्हें लगा कि इससे दुनिया का ध्यान कश्मीर पर जाएगा। लेकिन हुआ उल्टा। इमरान के भाषण से उनकी ही नहीं उनके मुल्क की छवि बिगड़ी है। इमरान ने अनुच्छेद 370 हटाने को भारत की रणनीतिक गलती बताया था। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने यह अंतिम कार्ड खेलकर एक रणनीतिक गलती की है। मोदी और भाजपा को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी, क्योंकि उन्होंने कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण कर दिया है। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि भारत के आंतरिक मामले को इस तरह उठाकर इमरान ने रणनीतिक गलती की है। जिसने पाकिस्तान में उनकी स्थिति कमजोर कर दी है। अब सेना का उन पर दबाव बढ़ेगा। अमेरिका ने उसे मिलने वाली सहायता में कटौती कर दी है। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने परमाणु अस्त्र प्रयोग पर नीति में बदलाव की बात कही है। इमरान से अधिक सही बयान उनके विदेशमंत्री ने दिया। पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को समर्थन मिलना मुश्किल है। पाकिस्तान अकेला पड़ता जा रहा है। अकेले चीन के समर्थन से कुछ नहीं होगा। कुरैशी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों के भी निजी हित भारत से हैं। उन्होंने वहां पर अरबों का निवेश किया हुआ है। ऐसे में वह पाकिस्तान का साथ देंगे, यह बेहद मुश्किल है। जाहिर है कि पाकिस्तान अपने ही पैतरों से पस्त हो गया है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान से भारत अनुच्छेद 370 और 35ए के मुद्दे पर कोई बात नहीं करेगा। यदि वार्ता हुई तो केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुद्दे पर होगी। पाकिस्तान से आतंकवाद को खत्म करने के मुद्दे पर भी बात होगी। अनुच्छेद 370 पर अमेरिका भी पाकिस्तान को फटकार लगा चुका है। अनुच्छेद 370 व 35ए को समाप्त करने से पहले कुछ लोग कहते थे कि यदि इससे छेड़छाड़ की तो देश बंट जाएगा और दंगे होंगे। उन्हें जानना चाहिए कि भाजपा वोट बैंक की नहीं बल्कि अपना वचन निभाने की राजनीति करती है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए को खत्म करके भाजपा ने अपने वचन को पूरा किया है। इससे पड़ोसी देश पूरी तरह बौखलाया हुआ है। वह दुनिया के हर देश का दरवाजा खटखटा रहा है, लेकिन उसे हर जगह दुत्कार मिल रही है। पड़ोसी देश आतंकवाद के जरिये भारत को कमजोर करने की कोशिश करता है, लेकिन देश की सेनाएं आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देती रही हैं।
इमरान ने डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बात की। लेकिन यहां भी निराशा मिली। ट्रम्प ने कश्मीर मसले पर दखल से इनकार कर दिया। कहा कि आप भारत से ही बात करें। जबकि भारत कह चुका है कि आतंकवाद रोकें तब बात होगी। उधर, ट्रम्प ने सोमवार को हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी से आधा घंटा बात कर पाकिस्तान की बेचैनी और बढ़ा दी है। जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के भारत के फैसले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में हुई बैठक से पहले ट्रम्प और इमरान ने फोन पर बातचीत की थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान अनुच्छेद 370 पर पस्त हो गया। चीन को छोड़कर अन्य किसी भी देश ने पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। भारत पर उसने आरोप लगाया। लेकिन उसे निराश होना पड़ा। यहां तक कि बाद में चीन के राजदूत झांग जुन ने भारत और पाकिस्तान से अपने मतभेद शांतिपूर्वक सुलझाने की सलाह दी। वैसे चीन का यह कहना गलत है कि भारत ने एकतरफा निर्णय लेकर स्थिति को बदला है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। भारत ने अपने संविधान के अस्थाई अनुच्छेद को हटाया है और अपने ही प्रदेश में प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से बदलाव किया है। चीन को यह देखना चाहिए कि पाकिस्तान ने अपने दो मुस्लिम बहुल प्रदेशों में क्या किया? वैसे चीन की नजर पाकिस्तान और पीओके में अपने निवेश पर ही है।
चीन को अपवाद मान लें तो भारत के अधिकार को विश्व समुदाय का समर्थन मिला है। पाकिस्तान ने खुद अपनी फजीहत कराई है। यहां तक कि इमरान खान पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस का भी सम्मान नहीं कर सके। उन्होंने आजादी के मुख्य समारोह को इतनी तवज्जो नहीं दी। दुनिया को दिखाने के लिए इस दिन वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भाषण देने चले गए। यहां भी इन्होंने पाकिस्तान पर नहीं भारत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और नरेंद्र मोदी पर अपना भाषण केन्द्रित रखा। लगा ही नहीं कि वह अपने मुल्क की आजादी का जश्न मना रहे हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)