शब्द दिग्विजय सिंह के, सोच कांग्रेस की

शब्द दिग्विजय सिंह के, सोच कांग्रेस की
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अतुल तारे

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता,राज्य सभा सांसद और पूर्व मुख्यमन्त्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस की राजनीति का एक चेहरा हैं।वह इतिहास से अनभिज्ञ हैं।वह तथ्यों से वाक़िफ़ नहीं है,यह बिलकुल नहीं है।वह पूरे होशोहवास में विगत दो दशक से भी अधिक समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ख़िलाफ़ एक नकारात्मक अभियान छेड़े हुए हैं।और इसके लिए वह किसी भी हद तक जा भी सकतें हैं,गिर भी सकतें हैं।

आतंक के पर्याय ओसामा लादेन को जब वह “जी”लगाते हैं तो उनकी कोई ज़बान नहीं फिसलती ,वह देश द्रोही ताक़तों की तरफ़ कांग्रेस का हाथ ही बढ़ाते हैं।संघ के द्वितीय सरसंघचालक रहे स्वर्गीय गुरुजी के फ़ोटो के साथ अपना ज़हर उन्होंने उनके नाम के साथ देश के सामने जो परोसा है ,निश्चितरूप से क़ानून तो उन्हें सजा देगा ही पर क्षूद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए वह जिस रास्ते पर चल पड़े हैं,इतिहास उन्हें क्षमा नहीं करेगा।

अपने स्थापना काल से संघ कांग्रेस के निशाने पर है।सर्वोच्च न्यायालय से निर्णय आने के बावजूद गांधी हत्या के लिए संघ को कठघरे में आज तक किया जाता रहा है।देश का विभाजन का अपराध कांग्रेस ने किया,पर कांग्रेस इसके लिए भी संघ को ही दोष देती है।यह अलग बात है कि अपने जीवन काल में तीन तीन प्रतिबंध और तमाम यातनाओं के बावजूद संघ अपने जीवन के न केवल यशस्वी १०० वर्ष पूर्ण करने जा रहा है बल्कि आज उसके विचार नवनीत से विश्व कि मानवता को एक ऊर्जा मिल रही है।

यद्यपी संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील अम्बेकर ने अत्यंत साढ़े शब्दों में श्री दिंग्विजय सिंह के कुत्सित विचारों का कड़ा उत्तर दिया है।संघ के दृष्टिकोण से यह आवश्यक भी है।पर यहाँ संघ के पूर्व सरसंघंचालक स्वर्गीय देवरस जी के वक्तव्य को भी स्मरण करना चाहिये।वह कहते थे जो सोया है उसे जगाने का हम प्रयास करेंगे,पर जिसने सोने का अभिनय करने का तय किया है,उसके लिए संघ अपनी ऊर्जा नहीं लगायेगा।यह सही है कि श्री सिंह अपने एजेंडे पर काम कर रहे हैं।वह वीर सावरकर को ग़द्दार कहते हैं और जाकर नाईक के साथ मंच साझा करते हैं।वह बाटला हाउस मुठभेड़ को फर्जी कहते हैं और आजमगढ़ में आतंकियों की मज़ार पर आसूँ बहाते हैं।वह मुंबई हमले के लिए संघ को दोषी ठहराते हैं और बजरंग दल की तुलना सिमी से करते हैं।पर परिणाम क्या है ?आज दिग्विजय सिंह स्वयं में एक उपहास का केंद्र हैं।उन्हें कोई गंभीरता से लेता ही नहीं है।

वनवासियों के बीच कल्याण आश्रम ,एकल विद्यालय ,सेवा भारती के प्रकल्पों से दिग्विजय सिंह अच्छे से परिचित हैं।उनका अध्ययन कम नहीं है। पर आज वह जंगल,जल की बात कह कर ,संघ को बदनाम करने का असफल प्रयास कर ही इसीलिये रहे हैं कारण आज इन क्षेत्रों में राष्ट्र द्रोही तत्वों के पैर उखड़ रहे हैं।वह श्री गुरुजी की उस पुस्तक का हवाला दे रहे है जो उन्होंने लिखी ही नहीं।श्री गुरुजी की पुस्तक का नाम “we or our Nationhood Defined” है। पर श्री सिंह पुस्तक का नाम “we and our Nationhood I”identified”बता रहे हैं। और वह यह गलती से नहीं कर रहे है। वह किताब पढ़ भी चुके है और अनुभव भी कर रहे है कि देश का अनुसूचित जाति ,जनजाति और मुस्लिम समाज ठीक वैसे समरस हो रहा है जिसकी भविष्यवाणीं इस ऋषि ने दशकों पहले ही कर दी थी।इसीलिए दिंग्विजय सिंह का ताज़ा ज्ञान उन विधर्मी ताक़तों को संदेश देने के लिए है।उनका प्रयास इसके ज़रिए संघ विचार से जो एक नई सृष्टि निर्मित हो रही है,उसे बिखेरने की है।अच्छा है ,उन पर क़ानून का शिकंजा भी कसा जा रहा है।श्री राहुल गांधी की तरह वह भी क़ानून की सजा के तो हक़दार हो ही गये हैं।यह प्रक्रिया और तीव्र होनी चाहिए।पर यह भी पर्याप्त नहीं है।लक्ष्य तो निर्णयक युद्ध में अंतिम विजय ही है और इस प्रकार के विष वमन का उत्तर हर स्तर पर देने के लिये सज्जन शक्तियों को और सज्ज़ होना होगा।

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