आओ फिर से दिया जलाएं
वेबडेस्क। ग्वालियर गौरव दिवस पर ग्वालियर के समस्त निवासियों का हार्दिक अभिनंदन। नि:संदेह प्रदेश के मुयमंत्री शिवराज सिंह की इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए कि मध्यप्रदेश शासन ने प्रत्येक जिले के गौरव दिवस को आयोजित करने का निर्णय लिया है। प्रदेश भर में आयोजित समारोहों की श्रृंखला में यह आयोजन कल ग्वालियर में भारत रत्न ,पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल जी के जन्म दिवस पर आयोजित होना एक सुखद अनुभूति है।
अटल जी का ग्वालियर से रिश्ता सर्वविदित है। बेशक उनका जन्म ग्वालियर का नहीं है। वह पहला चुनाव भी ग्वालियर से नहीं लड़े। वह अपना आखिरी चुनाव भी ग्वालियर से नहीं लड़े। वह देश के नेता थे। उनकी वैश्विक मान्यता थी। पर वह ग्वालियर के बेटे थे। दौलत गंज के मंगोड़े हों या बहादुरा के लड्डू या फिर मेले की मूंगफली उन्हें आज भी याद करती है। जी हाँ। यह सच है। उनकी यादें ग्वालियर ने ऐसे ही सहेज कर रखीं है। महारानी लक्ष्मीबाई महाविद्यालय हो या शिंदे की छावनी में लगने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में उनके किस्से आज भी नई पीढ़ी चाव से सुनती है।
जनसंघ एक पौधा था,छोटा सा। उसे विस्तार देते हुए भाजपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए जो श्रम अटल जी ने ग्वालियर की सड़कों पर किया है, उसे कौन विस्मृत कर सकता है ? प्रदेश के मुयमंत्री शिवराजसिंह सिंह एक संवेदनशील मुयमंत्री तो हैं हीं, अटल जी उनके लिए पितृ तुल्य थे। उनकी स्मृतियों को सहेजने के लिए गोरखी विद्यालय का विकास,अटल स्मृति न्यास की कल्पना,हिंदी भवन को आकार देने के प्रयास प्रशंसनीय है। ग्वालियरवासी भी चाहते हैं यह प्रयास और गति पकड़े।।
गौरव दिवस के निमित्त देश की विख्यात प्रतिभाओं का सम्मान जिनका नाता ग्वालियर से है,इसे एक उत्सवी रूप देगा।। आज ग्वालियर सौभाग्यशाली है कि उसके पास प्रदेश में ,देश में नेतृत्व करने वाली प्रतिभाएं हैं। गौरव दिवस सिर्फ एक आयोजन मात्र नहीं है। यह पोलिटिकल इवेंट भी नहीं है। ग्वालियर अपने स्व को पहचाने और देश के समग्र विकास में अपनी भूमिका के लिए खड़ा हो । इसमें ग्वालियर के प्रत्येक नागरिक की भूमिका है। यह सिर्फ शासन ,प्रशासन का विषय नहीं है। यही शुभकामनाएं। अंत में अटल जी को उन्ही की पंक्तियों से स्मरण कर अपनी बात पूरी करते हुए सभी का अभिनंदन।
छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता
टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।