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वे जीते तो फिर जीतते ही चले गए
विशेष प्रतिनिधि
डॉ. गोविन्द सिंह! जमीन से जुड़े इस व्यक्ति ने कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा। 1990 का चुनाव क्या जीते। फिर जीतते ही चले गए। चुनाव लडऩे की कला में वे ऐसी महारत हासिल कर चुके हैं कि उनके सामने कोई टिक नहीं पाता। डॉ. गोविन्द सिंह 1990 का चुनाव जनता दल से जीते और वर्ष 1993 के चुनाव में वे कांग्रेस में आ गए गए। और तब से वे कांग्रेस के लिए ही जी-जान से काम कर रहे हैं। वे 1993 और 1998 का चुनाव भी कांग्रेस से जीते। बीते तीन चुनावों में डॉ. गोविन्द सिंह को हराने के लिए बड़े-बड़े दिग्गज यहां तक कि रावतपुरा सरकार के महंत रविशंकर महाराज भी मैदान में आ गए। लेकिन डॉ. सिंह के चुनावी मैनेजमेंट ने रमाशंकर सिंह जैसे नेता को हरा दिया। वर्ष 2003 के चुनाव में रमाशंकर सिंह बसपा से तब चुनाव लड़े जब बसपा अपने चरमोत्कर्ष पर थी। इस चुनाव में डॉ. गोविन्द सिंह को 54633 वोट मिले और बसपा के रमाशंकर सिंह को 50548 वोट, जबकि भाजपा के अंबरीश शर्मा को 8621 वोट मिले। यह चुनाव डॉ. गोविन्द सिंह 4085 मतों के अंतर से जीते। वर्ष 2008 के चुनाव में बसपा से रोमेश महंत और डॉ. गोविन्द सिंह के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। भाजपा ने इस बार मुन्नी त्रिपाठी को मैदान में उतारा। इस चुनाव में डॉ. सिंह को 57745 वोट मिले और बसपा के रोमेश महंत को 52667 वोट, भाजपा की मुन्नी त्रिपाठी को लगभग तीन हजार वोट मिले। इस चुनाव में डॉ. सिंह 5078 वोटों के अंतर से जीते। ये दो चुनाव ऐसे थे जिसमें सत्तारुढ़ भाजपा प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके।
वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस के डॉ. गोविन्द सिंह के मुकाबले में भाजपा ने वरिष्ठ नेता रसाल सिंह को मैदान में उतारा और बसपा से फिर रोमेश महंत मैदान में थे। इस चुनाव में डॉ. सिंह को 53012, भाजपा के रसाल सिंह को 46739 और बसपा के रोमेश महंत को 34585 मत मिले। यह चुनाव भी कड़े संघर्ष के बाद डॉ. सिंह 6273 वोटों से जीत गए। वर्ष 2018 के चुनाव में बसपा के रोमेश महंत भाजपा में शामिल हो गए और रसाल सिंह की पैरवी कर उन्हें टिकट दिलाकर सोचा कि दोनों के वोट पिछले चुनाव में लगभग 80 हजार आए हैं इसलिए दोनों मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन उनकी इस रणनीति पर अंबरीश शर्मा ने जो कि भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार थे उन्होंने पानी फेर दिया और बसपा से चुनाव लड़ बैठे। अंबरीश शर्मा को महंत व रसाल सिंह बहुत कमजोर मानकर चल रहे थे लेकिन बसपा के अंबरीश शर्मा ने 28070 वोट प्राप्त कर रसाल सिंह व महंत के मंसूबों पर पानी फेर दिया। इस चुनाव में डॉ. गोविन्द सिंह को 55080 मत, भाजपा के रसाल सिंह को 45614 वोट और बसपा के अंबरीश को 28070 वोट मिले और डॉ. गोविन्द सिंह 9466 मतों के अंतर से चुनाव जीत गए।
डॉ. गोविन्द सिंह की लहार विधानसभा के हर गांव में जड़ें इतनी मजबूत हैं कि उन्हें पहले से ही पता रहता है कि किस पोलिंग पर उन्हें कितने मत मिलेंगे। डॉ. गोविन्द सिंह लहार के विजेता ही नहीं बल्कि अपराजेय योद्धा के रूप में जाने जाते हैं।