भगवान बिरसा मुंडा जयंती: आजादी के बाद आदिवासी इतिहास को मिटाने की कोशिशें की गईं...विपक्ष पर हमलावर पीएम मोदी
भगवान बिरसा मुंडा जयंती : आजादी के बाद के दशकों में आदिवासी इतिहास के अनमोल योगदान को मिटाने की कोशिशें की गईं। इसके पीछे भी स्वार्थ भरी राजनीति थी। राजनीति ये थी कि भारत की आजादी के लिए सिर्फ एक ही दल को श्रेय दिया जाए लेकिन अगर एक ही दल, एक ही परिवार ने आजादी दिलाई है, तो भगवान बिरसा मुंडा का उलगुलान आंदोलन क्यों हुआ था, संथाल क्रांति क्या थी, कोल क्रांति क्या थी? यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र ने जुमई में दिया है।
जुमई में प्रधानमंत्री मोदी भगवान बिरसा मुंडा जयंती में शामिल होने के लिए आए। यहां अपने संबोधन में आदिवासी समुदाय के योगदान पर बात करते हुए उन्होंने विपक्ष को भी आड़े हाथ लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्थानीय लोगों ने पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। पीएम ने पारंपरिक ढोल पर हाथ भी आजमाया। पीएम मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट का अनावरण किया। उन्होंने 6,640 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा "हमारी सरकार ने आदिवासी विरासत को संरक्षित करने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। आदिवासी कला और संस्कृति के लिए समर्पित कई लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हमने रांची में भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर एक विशाल संग्रहालय शुरू किया है...आज श्रीनगर और सिक्किम में दो आदिवासी अनुसंधान केंद्रों का भी उद्घाटन किया गया है...एनडीए सरकार ने लेह में राष्ट्रीय सोवा रिग्पा संस्थान की स्थापना की है, अरुणाचल प्रदेश में उत्तर पूर्वी आयुर्वेद और लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान को अपडेट किया गया है। भारत में डब्ल्यूएचओ का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन भी बनाया जा रहा है। इससे भारतीय आदिवासियों की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को देश और दुनिया तक पहुंचाने में भी मदद मिलेगी।"