बिहार में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव हुए कोरोना संक्रमित
पटना। स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव डॉ कौशल किशोर कोरोना जांच के बाद संक्रमित पाए गए। विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने इसकी पुष्टि की और बताया कि संक्रमित होने के तत्काल बाद वे होम आइसोलेशन में चले गए।
स्वास्थ्य विभाग में कोरोना के नियंत्रण को लेकर किये जा रहे उपायों की निगरानी में डॉ. कौशल किशोर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी होने के साथ ही एक चिकित्सक भी हैं।
वहीं, राज्य स्वास्थ्य समिति के वित्तीय सलाहकार केएल दास पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हो गए थे, उनकी इलाज के दौरान मौत हो गयी। मौत की सूचना मिलने के बाद से समिति के अधिकारियों व कर्मियों में घबराहट है। इससे कामकाज भी प्रभावित हुआ है। समिति कार्यालय को पूरी तरह से सेनेटाइज किया गया है।
बिहार में कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने 264 नए वेंटिलेटर उपलब्ध कराए हैं। पिछले दो माह में केंद्र से 364 वेंटिलेटर उपलब्ध कराया जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग कोरोना मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। कोरोना मरीजों के बेहतर इलाज के लिए केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में भेजे गए एक सौ वेंटिलेटर के अतिरिक्त और 264 वेंटिलेटर भेजा गया है। इसमें से 25 वेंटिलेटर एम्स, पटना एवं शेष वेंटिलेटर राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में लगेंगे। पिछले दो महीने में केंद्र द्वारा स्वास्थ्य विभाग को जहां 364 वेंटिलेटर की अधिप्राप्ति हुई, वहीं, राज्य सरकार द्वारा भी 30 वेंटिलेटर उपलब्ध कराया गया है। साथ ही और एक सौ वेंटिलेटर केंद्र सरकार की तरफ से प्राप्त होने वाले हैं।
केन्दीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पटना में कोरोना के फैलाव को देखते हुए और अस्पताल बनाने का सुझाव दिया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, मुख्य सचिव दीपक कुमार, एम्स पटना के निदेशक और पटना के ज़िलाधिकारी समेत अन्य सम्बंधित लोगों से इस विषय पर विस्तार से चर्चा की। अग्रह किया कि कोरोना की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र यह बहुत ज़रूरी है कि कोरोना के लिए समर्पित अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जाए। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना के इलाज के लिए एक अलग से विंग बने। पटना में जो बड़े निजी अस्पताल हैं वहाँ भी कोरोना के इलाज की व्यवस्था हो। इसके लिए सरकार पहल करे। इससे सरकारी अस्पताल पर दबाव कम होगा।