नागरिकता संशोधन बिल पर जदयू नेताओं के मतभेद खुलकर आये सामने
पटना। लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर बहस के दौरान जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेताओं के मतभेद सामने आ गये हैं। इन बयानों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जदयू में सब कुछ सामान्य नहीं है। लोकसभा में सांसद व पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने इस बिल का समर्थन किया है। इस पर जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने आपत्ति जताते हुये इसे पार्टी के संविधान के विरुद्ध बताया। उन्होंने अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले पर दुख व्यक्त किया।
सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर बहस के दौरान जदयू ने समर्थन किया था।जदयू सांसद राजीव सिंह रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने इस बिल को धर्मनिरपेक्षता के पक्ष बताया। उन्होंने सदन में ये भी कहा कि बिल खास लोगों के सम्मान के लिए नहींं है। बल्कि दूसरे देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने के मसले पर किसी को एतराज नहींं होना चाहिए। जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इस बिल का अपनी पार्टी जदयू के समर्थन करने को निराशाजनक बताया। प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए कहा है कि वह इस बिल पर पार्टी के रुख को देखकर निराश हैं कि जेडीयू ने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया है जो धर्म के आधार पर नागरिकता देती है। प्रशांत किशोर ने पार्टी के फैसले पर कहा है कि इस बिल का समर्थन उनकी पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता है। उन्होंने कहा कि जनता दल यूनाइटेड के संविधान में पहले पेज के अंदर तीन बार धर्मनिरपेक्ष शब्द का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा कि जदयू का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है। उन्होंनेे अपने ट्वीट किया कि 'नागरिकता संशोधन बिल पर जेडीयू के समर्थन से दुखी हूं. यह बिल धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने वाला है जो भेदभाव पूर्ण है।'
प्रशांत के ट्वीट के बाद प्रवक्ता राजीव रंजन ने प्रशांत के बयान से कन्नी काटते हुए उनके बयान को उनकी निजी राय बताया है। उन्होंने कहा है कि पार्टी उनके बयान का किसी भी स्तर पर समर्थन नहीं करती है। अपनी पार्टी के समर्थन के निर्णय को अटूट तक कह दिया। इसी बीच राजद प्रवक्त भाई वीरेंद्र ने जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के बयान को जायज ठहराते हुए कहा कि हमारी पार्टी नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने पर विचार करना चाहिए।