जब लाल आतंक के साये में था बेगूसराय, तो मैंने थामा था यहां भगवा ध्वज : गिरिराज सिंह

जब लाल आतंक के साये में था बेगूसराय, तो मैंने थामा था यहां भगवा ध्वज : गिरिराज सिंह
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बेगूसराय। विपक्ष पर निशाना साधते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि चुनावी मौसम में कुछ बरसाती मेंढक बेगूसराय में आपके बीच आकर टर्राने लगे हैं जिनका सेवा एवं संघर्ष से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। जिस राजनीति में संघर्ष ना हो, वो राजनीति सेवा का भाव कभी नहीं बन पाएगी। वरियारपुर, मिर्जापुर, सागी, चलकी, सिरसी, चकवा, सिवान चौक, खोदाबंदपुर, शाहपुर, चौफेर, सिहमा, बाजितपुर एवं गौड़ीडीह समेत छौड़ाही प्रखंड के विभिन्न गांवों में जनसम्पर्क के दौरान गिरिराज सिंह ने कहा कि मैंने बेगूसराय की इसी कालजयी धरा से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। उस दौर में जब बेगूसराय लाल आतंक के साये में था तो मैंने भगवा ध्वज थामा तथा अपने लोगों के हित के लिए, संगठन के लिए समर्पित रहा। उसी समर्पण का फल मुझे इस लोकसभा सीट से टिकट के रुप में मिला है। बेगूसराय राष्ट्रीय फलक पर अपनी बेबाकी तथा कर्त्तव्य परायणता को लेकर सदैव चर्चा का केंद्र रहा है, चाहे वो राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का दौर हो या फिर बिहार केसरी डॉ श्रीकृष्ण सिंह का। उसी क्रम को पूज्य भोला बाबू ने भी बनाये रखा और विकास की अविरल धारा बेगूसराय में बही। बन्द पड़े कारखाने मुंह चिढ़ाते थे तो केंद्र की सरकार ने उसका निराकरण किया। टूटी सड़कें, गंगा के आर पार की यात्रा, बिजली, पानी, शौचालय, आवास जैसे मूलभूत साधनों से अब बेगूसराय परिपूर्ण होकर पुनः औद्योगिक राजधानी के रूप में फलीभूत हो रहा है तो उसका श्रेय वर्तमान की केंद्र सरकार को जाता है। टीम में कुंदन भारती, मनोज सहनी, देवेन्द्र सिंह, राजीव वर्मा, महेश्वर सिंह बाबा, बमबम चौधरी, विजय सिंह, रामकुमार वर्मा, सुजाता मिश्रा, जवाहर चौधरी, पूर्व जिलाध्यक्ष संजय सिंह, मनीष चौधरी, मृत्युंजय कुमार वीरेश एवं राममूर्ति राघव समेत एनडीए के सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे।

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