लालू प्रसाद यादव को नहीं मिली जमानत, अब 22 अप्रैल को होगी सुनवाई
रांची। झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को चारा घोटाले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें सीबीआई ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा। कोर्ट ने आगामी 22 अप्रैल को सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित कर दी। यह मामला जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था।
लालू प्रसाद की ओर से दिग्गज वकील कपिल सिब्बल भी जुड़े। लालू फिलहाल चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सलाखों के पीछे हैं। इस मामले में अदालत कृष्ण मोहन प्रसाद समेत अन्य तीन लोगों को जमानत दी है। कृष्ण मोहन तब कृषि निदेशक थे। जिन लोगों को जमानत मिली है उनमें डॉक्टर और सप्लायर शामिल हैं।
लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका में बढ़ती उम्र और 17 प्रकार की बीमारियां होने का हवाला दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि उन्होंने इस मामले में सजा की आधी अवधि जेल में पहले ही पूरी कर ली है। इस आधार पर उन्हें जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे पहले 22 मार्च को चारा घोटाले में यहां सजा भुगत रहे लालू प्रसाद यादव को किडनी में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए रिम्स के मेडिकल बोर्ड की सलाह पर विशेष विमान से उनकी बेटी मीसा भारती अपने साथ दिल्ली स्थित एम्स ले गयी थीं। फिलहाल वहीं उनका इलाज चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि 21 फरवरी को लालू यादव को सीबीआइ की विशेष अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में पांच साल की सजा सुनायी थी। साथ ही 60 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया था। इसके खिलाफ लालू यादव ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की। लालू यादव पर डोरंडा कोषागार मामले में 135 करोड़ रुपये अवैध निकासी मामले में सजा दी गयी है। इसके पहले लालू को चारा घोटाले के अन्य मामलों में सजा मिल चुकी है।
जानकारी के अनुसार लालू यादव की जमानत पर सबकी निगाहें लगी थी। इससे पहले एक अप्रैल को न्यायाधीश के अदालत में नहीं बैठने के कारण लालू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी थी। इसके पहल जमानत याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई होनी थी लेकिन उस समय भी सुनवाई नहीं हो सकी थी। उस तारीख पर अदालत ने सीबीआई कोर्ट से रिकॉर्ड मंगाने का निर्देश दिया था।
लालू प्रसाद यादव ने सीबीआई अदालत के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में 24 फरवरी को अपील दाखिल की थी। अपनी अपील के साथ ही लालू यादव ने जमानत के लिए भी आवेदन दिया था। इस पर चार मार्च को सुनवाई हुई थी। लेकिन अदालत ने याचिका में त्रुटियों को दुरुस्त करने का निर्देश देते हुए इसकी सुनवाई 11 मार्च को निर्धारित की थी।
अब तक क्या हुआ -
जानकारी के अनुसार चारा घोटाला संयुक्त बिहार के वक्त चार जिलों में हुई। इसमें चाईबासा जिला में चारा घोटाले के दो मामले हैं। सबसे अधिक अवैध निकासी रांची डोरंडा कोषागार से हुई। मामले में सबसे पहले प्राथमिकी चाईबासा में दर्ज की गयी, जहां चाईबासा कोषागार में 37.7 करोड़ की अवैध निकासी पर लालू को पांच साल की सजा और 25 लाख जुर्माना लगाया गया।
देवघर कोषागार से 89.5 लाख की अवैध निकासी। इसमें साढ़े तीन साल की सजा सुनायी गयी। साथ ही पांच लाख जुर्माना लगाया गया। चाईबासा कोषागार से 30 करोड़ की अवैध निकासी हुई। इसमें पांच साल की सजा और 10 लाख जुर्माना लगाया गया। दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ की अवैध निकासी पर सात साल की सजा और 30 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया। वहीं, डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की गयी है।