नीतीश ने कहा - अब जदयू न सरकार में शामिल होगा, न बैठक में शरीक होकर हिस्सेदारी की बात करेगा
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में हिस्सेदारी के लिए भड़का जदयू
पटना। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को यहां घोषणा की कि केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में सीटों की भागीदारी को लेकर वे आगे न कभी बैठक में जायेंगे और न कभी भागदारी की बात करेंगे। नीतीश अन्य सहयोगी दलों की तरह केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में जदयू का भी एक मंत्री बनाने की सांकेतिक साझेदारी की पेशकश पर पूरी तरह भड़क गये हैं।
सीएम नीतीश ने कहा कि हम भाजपा के साथ में हैं। एनडीए में हैं लेकिन सरकार में नहीं हैं। अब जदयू केन्द्र सरकार में शामिल नहीं होगा। जदयू की केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में सांकेतिक साझेदारी की न दिलचस्पी है और न इसकी कोई आवश्यकता है। नीतीश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्यों के गुरुवार को शपथग्रहण समारोह में शरीक होकर शुक्रवार को पटना लौटने पर हवाई अडडा पर संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
संवाददाताओं के सवालों की बौंछार पर जदयू अध्यक्ष ने खुलकर बातें कीं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में 17 सीटों की बराबरी पर जदयू के चुनाव लड़ने और भाजपा से सिर्फ एक सीट कम यानी किशनगंज में हार के कारण 16 सीटें जीतने के बाद भाजपा के पांच केन्द्रीय मंत्री बनाये गये हैं। उन्होंने कहा कि वाजपेयी सरकार में पहले सहयोगियों से विचार -विमर्श होता था। मंत्रिमंडल में किसको कितनी हिस्सेदारी मिलेगी ,इसकी चर्चा होती थी। पिछले चुनाव में हारी नौ सीटों से जदयू 8 सीटों पर लड़ा और एक किशनगंज में हम हारे। हमारी पार्टी के नेतृत्व में किसी के मन में कुछ भी नहीं है। हमारे दल के बारे में क्या -क्या चल रहा था,हम लोग देख रहे थे। एनडीए में कॉमन मिनीमम प्रोग्राम बनेगा या नहीं ये भाजपा जानेगी। हमने पहले कई बातें एनडीए की बैठक में बता दी थीं,हमारी राय पब्लिक में है। हम जदयू अध्यक्ष के रूप में कह रहे हैं। आगे किसी तरह की बात में शामिल नहीं होंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार बनने के साथ ही यह तय कर लिया जाता है। हम भाजपा और राजद के साथ रहे तो हमने सब साफ कर दिया। हमारे कार्यकर्ता क्यों मायूस होंगे। किसको कौन मंत्रालय दिया गया,ये भाजपा का अंदरूनी मामला है। नीतीश ने कहा कि पहली बार एनडीए की बैठक में बात हुई थी। बाद में संसदीय दल की बैठक हुई थी। इसके बाद राष्ट्र्र्र्पति भवन गये थे। तभी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात हुई थी। एक सीट देने की बात कही थी। हम उनकी बात सुनते रहे थे। उनकी बात से लगा कि वे एनडीए के सभी घटक दलों को सांकेतिक रूप से ही शामिल करना चाहते थे । हमारे राज्यसभा में छह और लोकसभा में 16 सांसद हैं। हमसे सबसे बात हुई ,सबने मना किया,सबने कहा कि संख्या के आधार पर भागीदारी होनी चाहिए। हम तीन सीट नहीं मांग रहे थे। हमने कोई डिमांड नहीं की।
नीतीश ने कहा कि हमने सब तरह से सपोर्ट किया । गठबंधन में संख्या के आधार पर भागीदारी होनी चाहिए। हमने बिहर में ऐसा किया है चाहे जिसके साथ गठबंधन हो। हमने अपनी बात भाजपा के नेताओं को बता दी। हमने यह भी बता दिया कि हम एनडीए के साथ हैं। हमने बिहार के हित में गठबंधन किया । बिहार में हम काम कर रहे हैं। इसके बाद फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से बात हुई ,बिहार के प्रभारी भूपेन्द्र यादव से बात हुई । हम सांकेतिक भागीदारी के पक्ष में नहीं हैं। किसी तरह का प्रपोजल नहीं आया। उनकी तरफ से बताया जाना चाहिए। उनका संसद में पूर्ण बहुमत है। पीएम की ओर से किसी तरह का प्रस्ताव नहीं आया,केवल अमित शाह से बात हुई । जो बात अमित शाह ने कही वही बात भूपेन्द्र यादव ने कही।