सुप्रीम कोर्ट : ब्रजेश ठाकुर को क्यों न बिहार से बाहर की जेल में शिफ्ट करें ?
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस : कोर्ट ने कहा कि जिस तरह इस अपराध को अंजाम दिया गया वह काफी भयावह है
नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को बिहार से बाहर की जेल में शिफ्ट करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ब्रजेश ठाकुर काफी प्रभावशाली व्यक्ति है और वह जांच को बाधित करने की क्षमता रखता है। कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को नोटिस जारी कर पूछा कि बिहार के बाहर की जेल में क्यों नहीं शिफ्ट किया जाए ताकि शेल्टर होम रेप केस की निष्पक्ष जांच हो सके।
सीबीआई के स्टेटस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया और कहा कि जिस तरह इस अपराध को अंजाम दिया गया वह काफी भयावह है।
जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने बिहार सरकार से पूछा कि आप क्या कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव का समर्थन किया कि ब्रजेश ठाकुर को बिहार के बाहर की जेल में शिफ्ट कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और सीबीआई से पूछा कि इस मामले में पूर्व मंत्री मंजू शर्मा की अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई है।
पिछले 22 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया संगठनों से पूछा था कि उन्होंने उन रिपोर्टर्स और मीडिया घरानों पर क्या कार्रवाई की जिन्होंने रेप पीड़ितों के पहचान उजागर किए। जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज ब्राडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन ब्राडकास्टिंग फेडरेशन से पूछा था कि आपने क्या कार्रवाई की।
कोर्ट ने पूछा था कि आपने उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। कोर्ट ने कहा कि मीडिया संगठन इस जिम्मेदारी से बंधे हैं कि अगर कोई ऐसा उल्लंघन करता है तो उसकी सूचना पुलिस को दें। कोर्ट ने न्यूज ब्राडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी के उस हलफनामे को नोट किया जिसमें कहा गया था कि उन्होंने अभी तक किसी रिपोर्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। कोर्ट ने पूछा था कि आखिर इन संगठनों की क्या जरुरत है जब वे कानून का उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं।
पिछले 8 अक्टूबर को कोर्ट ने बिहार के सुपौल में 34 नाबालिग बच्चियों द्वारा दुष्कर्म का विरोध करने पर उन्हें मारने पीटने की घटना पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि अखबारों में छपी खबरें अच्छा संकेत नहीं हैं। बच्चियों के कंकाल मिल रहे हैं। 8 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के ज्वायंट सेक्रेटरी कोर्ट में पेश हुए थे। कोर्ट ने पूछा था कि आप बच्चियों से इस तरह कैसे पेश आ सकते हैं। रोज ही ऐसी घटनाएं हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि वे नाबालिग पीड़ितों के मनोवैज्ञानिक तरीके से पुनर्वास के लिए केंद्रीय स्तर पर एक संस्थान की स्थापना करें। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए एम्स के साइकोलॉजी विभाग, निमहंस, इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी इत्यादि संस्थानों से मदद लें। इस पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सुझावों पर अमल करने के लिए समय की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से हर जिले में बाल कल्याण कमिटियों को लेकर स्टेटस रिपोर्ट तलब करने का निर्देश दिया था।
पिछले 20 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया कवरेज पर रोक लगाने के पटना हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया था। कोर्ट ने मीडिया से कहा था कि वे सावधानी से केस की रिपोर्टिंग करें और इस बात का ध्यान रखें कि पीड़ितों की पहचान उजागर नहीं हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह सीबीआई जांच की मानिटरिंग खुद करेगा। कोर्ट ने सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने आयकर विभाग को निर्देश दिया कि वो मुख्य अभियुक्त ब्रजेश कुमार की संपत्ति की जांच करें।
पिछले 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए सीबीआई की नई टीम गठित करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई डायरेक्टर की ओर से गठित टीम में कोई फेरबदल की जरूरत नहीं है।