तारकिशोर, रेणु का उपमुख्यमंत्री होना लगभग तय, जानिए इसके पीछे बीजेपी की रणनीति

तारकिशोर, रेणु का उपमुख्यमंत्री होना लगभग तय, जानिए इसके पीछे बीजेपी की रणनीति
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पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में बनने वाली एनडीए सरकार में भाजपा कोटे से तार किशोर प्रसाद व रेणु देवी उपमुख्यमंत्री बनेंगी। रविवार को एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में ही दोनों का चयन भाजपा विधानमंडल दल के नेता व उपनेता के तौर पर हुआ है। नेता चुने जाने के बाद तारकिशोर देर शाम बिहार भाजपा प्रभारी भूपेन्द्र यादव और चुनाव प्रभारी सह महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेन्द्र फडणवीस के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवास पहुंचे। रात 11 बजे तक चली इस बैठक में दो उपमुख्यमंत्री को लेकर सहमति बनी।

तारकिशोर प्रसाद को भाजपा विधानमंडल दल का नेता और रेणु देवी को उपनेता बनाकर पार्टी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। एक तरफ पार्टी ने वर्षों की चर्चित जोड़ी नीतीश कुमार-सुशील मोदी को अलग किया तो दूसरी ओर दो नए चेहरे को सत्ता के करीब लाकर यह संदेश देने में कामयाबी हासिल की भाजपा व्यक्ति के बदले कार्यकर्ताओं को महत्व देती है। जमे-जमाए चेहरों के बदले वह नए लोगों को भी सत्ता में शामिल होने का मौका देना जानती है।

बिहार में उपमुख्यमंत्री के तौर पर 11 वर्षों से अधिक समय से काम करने वाले वैश्य समुदाय से ही आने वाले सुशील कुमार मोदी मूल रूप से राजस्थान के हैं, जबकि वैश्य समाज से ही आने वाले तारकिशोर प्रसाद कटिहार यानी बिहार के मूल निवासी हैं। मोदी की जगह मूल बिहारी और वैश्य समुदाय से एक चेहरा को आगे कर भाजपा ने अपने कोर वोटर को निश्चिंत किया कि उसे अपने जनाधार का पूरा ख्याल है और नेता भले ही कोई हो पर समाज उपेक्षित नहीं होगा।

सुशील मोदी की एक पहचान सीएम की पहली पसंद और एनडीए सरकार को निर्बाध रूप से चलाने के लिए सबसे सहज राजनेता के तौर पर भी है। जबकि तारकिशोर प्रसाद भाजपा के खांटी संगठनकर्ता हैं और ऐसा माना जा रहा है कि वे गठबंधन से अधिक दल की नीतियों को प्राथमिकता देंगे। ऐसे में बिना मोदी नई सरकार के फैसलों और उसके क्रियान्वयन पर क्या असर होगा, इसका जवाब फिलहाल भविष्य में छिपा है।

दूसरी ओर, अतिपिछड़ा समाज नोनिया से आने वाली रेणु देवी को सामने लाकर भाजपा ने इस तबके को भी साधने की कोशिश की है। राज्यपाल फागू चौहान के बिहार आने पर रेणु देवी ने एक जातिगत सम्मेलन किया था। उस सम्मेलन के बहाने भाजपा ने अतिपिछड़ा समुदाय को साधने की कोशिश की थी। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अतिपिछड़ा को साइलेंट वोटर कहते हुए उसे एनडीए का समर्थक बताकर इस समुदाय को भाजपा में खींचने की कोशिश की थी।

रेणु देवी को उपनेता बनाकर पार्टी ने अतिपिछड़ा समुदाय को संदेश देने की कोशिश की है कि वह केवल कहना ही नहीं, अपनी बातों पर अमल करना भी जानती है। बिहार में अतिपिछड़ा समुदाय अब तक जदयू का कोर वोटर माना जाता रहा है। भाजपा ने रेणु के बहाने अपनी ही सहयोगी जदयू के कोर वोटर में सेंध लगाने और एक तरह से उस पर दबाव बनाने की भी कोशिश करती हुई दिख रही है।

तारकिशोर का व्यक्तिगत प्रोफाइल

भाजपा विधानमंडल दल के नेता बने तारकिशोर प्रसाद (64 वर्षकटिहार से चौथी बार विधायक बने हैं। 1974 में ललित नारायण विवि से इंटर पास तारकिशोर प्रसाद 1980 के दशक से ही ही राजनीति व सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। वे पहली बार फरवरी 2005 में कटिहार से विधायक बने। इसके बाद अक्टूबर 2005 और साल 2010 में भी विधायक बने। साल 2015 में महागठबंधन की लहर में भी तारकिशोर ने चुनाव जीता। 2020 में वे चौथी बार कटिहार से विधायक चुने गए हैं। संगठन में कई पदों पर रह चुके तारकिशोर प्रसाद अप्रत्याशित रूप से पार्टी के विधानमंडल दल के नेता चुने गए। शांत स्वभाव पर विभिन्न मोर्चों पर पार्टी का मजबूती से पक्ष रखना इनकी खासियत है।

रेणु का व्यक्तिगत प्रोफाइल

रेणु देवी (62वर्ष) बेतिया विधानसभा क्षेत्र से पांचवीं बार विधायक निर्वाचित हुई हैं। साल 2000 में पहली बार विधायक बनीं रेणु देवी 2005 और साल 2010 में विधायक निर्वाचित हुईं। साल 2015 में मात्र दो हजार से भी कम मतों से चुनाव हार गईं। इस बार 2020 में फिर वे बेतिया से चुनी गईं हैं। 1977 में मुजफ्फरपुर विवि से इंटर पास रेणु देवी 1988 से ही राजनीतिक व सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। उनकी मां संघ परिवार से जुड़ी थीं। ननिहाल से ही उनका भाजपा व संघ से लगाव हुआ। रेणु देवी संगठन में महिला मोर्चा की अध्यक्ष, तीन राज्यों में महिला मोर्चा की प्रभारी, राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य से लेकर अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमेटी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। वे 2005 से 2009 तक राज्य की खेल, कला एवं संस्कृति मंत्री भी रह चुकी हैं।

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