सुरक्षाबलों के संयुक्त ऑपरेशन में फंसे नक्सली: नक्सलियों के सेफ कॉरिडोर में फोर्स की घेराबंदी, इसी से मिली कामयाबी

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गरियाबंद। अंतरराज्यीय सीमाओं पर सुरक्षा बलों ने संयुक्त ऑपरेशन के जरिए नक्सलियों के सेफ कॉरिडोर को घेर लिया है। इसी कारण हालिया मुठभेड़ों में नक्सलियों को खासा नुकसान उठाना पड़ा है। कॉरिडोर की कुछ इस तरह घेराबंदी की गई है कि नक्सली उसमें फंस गए हैं। उनके पास केवल दो ही रास्ते बच गए हैं या तो वे आत्समर्पण करें या फिर मुठभेड़ में गोलियों के शिकार बनें। छत्तीसगढ़ से लगे तेलंगाना, आंध्र, ओडिशा और महाराष्ट्र में भी जवान अलर्ट है।

नक्सली यहां से सेफ कॉरिडोर तैयार कर सीमा के आसपास पहुंचते हैं तो उन्हें सीमावर्ती राज्यों की फोर्स घेरकर ढेर कर देती है, लेकिन हाल ही में गरियाबंद में हुए मुठभेड़ ताजा उदाहरण है। 22 दिनों में ही ओडिशा, झारखंड, तेलंगाना और महाराष्ट्र सीमा पर 48 नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है। सुरक्षा बलों ने सीमाई क्षेत्रों से नक्सलियों के वह हर ठिकाना ढूंढ निकाला है, जो अभी तक पहेली बने हुए थे।

इस वर्ष के मुठभेड़ और मारे गए नक्सली

तीन जनवरी : ओडिशा से सटे गरियाबंद जिले के सोरनामाल जंगल में तीन नक्सली ढेर।

चार जनवरी : दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले की सीमा पर अबूझमाड़ में पांच नक्सली ढेर।

नौ जनवरी : तेलंगाना से सटे सुकमा-बीजापुर जिले की सीमा पर तीन नक्सली मारे गए।

12 जनवरी : बीजापुर के मद्देड़ में हुई मुठभेड़ में जवानों ने तीन नक्सलियों को मार गिराया।

16 जनवरी : बीजापुर-तेलंगाना सीमा के पुजारी कांकेर के पास जंगल में 18 नक्सली ढेर।

21 जनवरी : छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर गरियाबंद जिले में 16 नक्सलियों को मार गिराया।

हार्डकोर नक्सली चलपति की प्रेम कहानी, 37 साल छोटी लड़की से की शादी

गरियाबंद जिले में मंगलवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई एक बड़ी मुठभेड़ में 16 नक्सलियों को मार गिराया गया। इनमें सबसे महत्वपूर्ण नाम एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली जयराम उर्फ चलपति का था। यह माओवादी नेता लंबे समय से सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बना हुआ था। चलपति छत्तीसगढ़ और ओडिशा के जंगलों में सक्रिय था। वह नक्सली संगठन की केंद्रीय समिति का सदस्य था और खूंखार नक्सली हिड़मा का गुरु भी माना जाता था।

माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व में शामिल चलपति का जीवन अचानक चर्चा का विषय बन गया, जब उसकी प्रेम कहानी सामने आई। 2014-15 के दौरान, चलपति ने संगठन के एक छोटे कैडर की लड़की अरुणा से शादी कर ली। अरुणा उम्र में चलपति से 37 साल छोटी थी। यह शादी न केवल संगठन के भीतर विवाद का कारण बनी बल्कि चलपति को संगठन में हाशिए पर धकेल दिया गया।

चलपति, जो नक्सलियों का मास्टर ट्रेनर था, अपनी नई जीवनशैली और अरुणा के साथ शादी के कारण धीरे-धीरे संगठन के उच्च पदों से दूर होता चला गया। इस शादी का संगठन के वरिष्ठ कैडर ने विरोध किया, लेकिन चलपति ने किसी की नहीं सुनी। इसके बाद से वह संगठन की मुख्य धारा से अलग हो गया था। चलपति माओवादी संगठन का एक बड़ा नाम था। वह हमेशा 12 बॉडीगार्ड्स के साथ घूमता था और संगठन में उसका कद काफी ऊंचा था।

चलपति के ससुर बोले- एक बार बेटी से मिलना चाहता हूं

चलपति के एनकाउंटर के बाद उसके ससुर लक्ष्मण राव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्हें चलपति के बारे में अखबार के माध्यम से खबर मिली। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी अरुणा का शव अभी तक नहीं मिला है। वो बोले, मैं अपनी बेटी से एक बार मिलना चाहता हूं।


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