छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला: पूर्व IAS रानू साहू की बढ़ी मुश्किलें! छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज

Court Decision
Bail Plea of Former IAS Ranu Sahu Rejected : रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोयला घोटाला मामले में पूर्व आईएएस रानू साहू की मुश्किलें बढ़ गई हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उनकी दो अग्रिम जमानत याचिकाओं पर शुक्रवार को सुरक्षित फैसला सुनाया। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए रानू साहू की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
रानू साहू वर्तमान में रायपुर के सेंट्रल जेल में बंद हैं। रानू साहू पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) और 13(1)(बी) के तहत तथा आईपीसी की धारा 120B, 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 12 के तहत दो अलग-अलग मामले दर्ज हैं।
इन मामलों में संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए उनके वकील द्वारा दो जमानत याचिकाएं दायर की गई थीं, जिन पर 31 जनवरी 2025 को फैसला सुरक्षित रखा गया था। हालांकि, कोर्ट ने उन्हें कोई राहत देने से इंकार कर दिया है।
रानू साहू के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज शिकायत में आरोप है कि उनके पास आय से अधिक संपत्ति है। इसके अलावा, उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने सूर्यकांत तिवारी के कोयला लेवी सिंडिकेट की मदद की, जो अवैध रूप से कोयला डिलीवरी ऑर्डर पर परमिट जारी करने के लिए प्रति टन 25 रुपये की वसूली करता था।
शिकायत में यह भी कहा गया कि 2015 से अक्टूबर 2022 के बीच रानू साहू और उनके परिवार ने 24 अचल संपत्तियां खरीदीं, जबकि 2011 से 2022 तक उन्हें 92 लाख रुपये वेतन के रूप में प्राप्त हुए थे। इन संपत्तियों का कुल मूल्य 3.93 करोड़ रुपये था। इस आधार पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
कोयला घोटाला का खुलासा:
छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी में 570 करोड़ रुपये की अवैध कोल लेवी वसूली का खुलासा हुआ था। ईडी के अनुसार, खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को आदेश जारी कर कोल परिवहन में ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन कर दिया था, ताकि व्यापारियों से अवैध वसूली की जा सके। इस घोटाले का मास्टरमाइंड कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी था, जिसे ईडी के अनुसार निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया का समर्थन था।
ईडी ने बताया कि सूर्यकांत तिवारी ने 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम वसूलने के लिए एक सिंडिकेट तैयार किया था। व्यापारियों से अवैध वसूली के बाद ही उन्हें खनिज विभाग से पीट पास और परिवहन पास जारी किए जाते थे। इस मामले की जांच अब भी जारी है और संबंधित अधिकारियों तथा व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।