नक्सल विरोधी अभियान रुकेंगे तो होगी शान्ति वार्ता: गृहमंत्री शाह के दौरे से पहले माओवादी संगठन का परचा जारी

गृहमंत्री शाह के दौरे से पहले माओवादी संगठन का परचा जारी
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Naxalites Shanti Varta Letter : रायपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के 5 अप्रैल 2025 को प्रस्तावित बस्तर दौरे से पहले नक्सलियों ने केंद्र और राज्य सरकार के साथ शांति वार्ता की पेशकश की है। नक्सलियों की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने तेलुगु भाषा में एक पर्चा जारी कर कहा कि अगर सरकार नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियानों को रोक देती है, तो वे बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार हैं। अभय ने बताया कि पिछले 15 महीनों में उनके संगठन के 400 से अधिक सदस्य मारे गए हैं, जिसके बाद जनता के हित में वे अब शांति वार्ता की दिशा में कदम बढ़ाना चाहते हैं।

नक्सलियों की शांति वार्ता की पेशकश

नक्सली प्रवक्ता अभय ने पर्चे में लिखा कि 24 मार्च 2025 को हैदराबाद में संगठन की एक बैठक हुई थी, जिसमें बिना किसी शर्त के शांति वार्ता और युद्धविराम की घोषणा पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने पहले भी शांति वार्ता की पहल की थी।

दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य विकल्प ने शांति वार्ता के लिए शर्तें रखी थीं, जिसमें सशस्त्र बलों को कैंप तक सीमित रखने और ऑपरेशन बंद करने की मांग थी। हालांकि, इन शर्तों का जवाब दिए बिना सरकार ने ऑपरेशन जारी रखे, जिसके चलते पिछले 15 महीनों में 400 से अधिक नक्सली नेता, कमांडर और पीएलजीए लड़ाके मारे गए। सैकड़ों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।

अभय ने कहा, "अब हम जनता के हित में केंद्र और राज्य सरकार के सामने शांति वार्ता का प्रस्ताव रख रहे हैं। इसके लिए हमारी मांग है कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र (गढ़चिरौली), ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में ऑपरेशन के नाम पर हत्याएं और नरसंहार बंद हों। नए सशस्त्र बलों के कैंप की स्थापना रोकी जाए।" उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार इन प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देती है, तो नक्सली तुरंत युद्धविराम की घोषणा कर देंगे।

2026 तक नक्सलवाद खत्म

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अगस्त 2024 और दिसंबर 2024 में छत्तीसगढ़ के रायपुर और जगदलपुर में अलग-अलग कार्यक्रमों के दौरान नक्सलवाद को लेकर सख्त रुख अपनाया था। उन्होंने नक्सलियों को चेतावनी दी थी कि वे हथियार डाल दें, वरना सुरक्षा बल उनसे निपटेंगे। शाह ने 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने की डेडलाइन भी दी थी।

इस डेडलाइन के बाद से बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज हो गए हैं। 2024 में 287 नक्सली मारे गए, 1,000 से अधिक गिरफ्तार हुए और 837 ने आत्मसमर्पण किया। 2025 में अब तक 130 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें से 110 बस्तर संभाग में ढेर किए गए।

साल 2021 में की थी शान्ति वार्ता की पेशकश

यह पहली बार नहीं है जब नक्सलियों ने शांति वार्ता की पेशकश की है। 2021 में भी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने शांति वार्ता की पेशकश की थी, लेकिन तब भी उन्होंने शर्तें रखी थीं, जैसे कैंप हटाना और ऑपरेशन बंद करना। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन शर्तों को खारिज करते हुए कहा था कि नक्सलियों को पहले हिंसा का रास्ता छोड़ना होगा।

भूपेश बघेल ने तब कहा था कि वार्ता संविधान के दायरे में ही होगी। नक्सलियों ने उस समय सरकार पर विश्वासघात का आरोप लगाया था, जिसमें उन्होंने 2010 में स्वामी अग्निवेश की मध्यस्थता वाली वार्ता का हवाला दिया था, जो असफल रही थी।

नक्सलियों की कमजोर स्थिति

पिछले कुछ वर्षों में नक्सलियों की स्थिति कमजोर हुई है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद से नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी आई है। 2024 में 14 बड़े नक्सली नेता मारे गए और 2025 में भी कई बड़े ऑपरेशन हुए। नक्सलियों ने हाल ही में एक बयान में स्वीकार किया था कि बीजापुर जैसे उनके सुरक्षित ठिकाने अब सुरक्षा बलों की पहुंच में आ गए हैं।

इसके अलावा, छत्तीसगढ़ सरकार की नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति ने भी कई नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया है। 30 मार्च 2025 को बीजापुर में 50 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 14 पर 68 लाख रुपये का इनाम था।

सरकार की रणनीति

अमित शाह और छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलवाद को खत्म करने के लिए दोहरी रणनीति अपनाई है: सख्त सैन्य कार्रवाई और आत्मसमर्पण के बाद पुनर्वास। गृहमंत्री शाह ने कई बार नक्सलियों से हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की है। हालांकि, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी सामने आए हैं।

कुछ संगठनों का दावा है कि सैन्य अभियानों के नाम पर निर्दोष आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा है। इसके अलावा, नक्सलियों द्वारा आईईडी हमलों का खतरा भी बना हुआ है, जैसा कि 7 जनवरी 2025 को बीजापुर में हुए हमले में देखा गया, जिसमें 8 सुरक्षाकर्मी और एक ड्राइवर मारे गए थे।

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