छत्तीसगढ़ पीएससी घोटाला: शिवपुरी से जुड़े तार, कारोबारी श्रवण गोयल ने बेटा-बहू को बनवाया उप जिलाधीश, निभाई थी बिचौलिए की भूमिका
शिवपुरी/रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के बहुचर्चित भर्ती घोटाले के तार अब मप्र के शिवपुरी जिले के कोलारस से भी जुड़ गए हैं। कोलारस निवासी कारोबारी श्रवण गोयल ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग से न केवल अपने बहू-बेटा को उप जिलाधीश बनवाया, बल्कि पीएससी घोटाले में बिचौलिए की भूमिका निभाई थी। सीबीआई भूपेश बघेल के कार्यकाल में हुई पीएससी भर्ती की जांच कर रही है।
पूर्व आईएएस एवं छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के अलावा शिवपुरी के कारोबारी श्रवन गोयल को भी सीबीआई ने गिरफ्तारी के बाद कोर्ट से रिमांड पर लिया है। बताया जाता है कि करीब 150 लोगों को गोयल और सोनवानी ने मोटी रकम लेकर गलत तरीके से पीएससी में चयनित कराया।
मप्र के शिवपुरी जिले के कोलारस कस्बे में श्रवण गोयल के पिता किराने की दुकान किया करते थे। श्रवण गोयल इंजीनियरिंग करने के बाद एक प्राइवेट कम्पनी में काम करने लगे । 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद वह रायपुर में बस गए और उन्होंने बजरंग पावर नामक एक कम्पनी बना ली।
गोयल ने कांग्रेस सरकार के दौरान खूब पैसा कमाया और नेताओं के अलावा भूपेश बघेल सरकार के कुछ ताकतवर अफसरों से दोस्ती गांठ ली। इसी दौरान गोयल पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के सम्पर्क में आये, जिन्हें सीबीआई ने गोयल के साथ पीएससी भर्ती कांड में गिरफ्तार किया है।
गोयल पर आरोप है कि उन्होंने न केवल अपने बेटे और बहू को डिप्टी कलेक्टर बनबाया, बल्कि 2021 एवं 2020 बैच की पीएससी भर्ती में बड़ी संख्या में चेयरमैन सोनवानी के बिचौलिये की भूमिका भी निभाई।
कोलारस में मनाया गया था जश्न
श्रवण गोयल का परिवार अभी भी कोलारस में रहता है। उनके एक भाई किराने की परंपरागत दुकान करते है। एक अन्य भाई इरिगेशन में इंजीनियर रहे हैं। जब श्रवण के बेटे शशांक और बहू भूमिका का चयन 2021 बैच पीएससी में एक साथ हुआ तो पूरे कोलारस में जश्न मनाया गया। स्थानीय अखबारों में शशांक और भूमिका की सफलता के किस्से प्रकाशित हुए थे।
श्रवण ने सीएसआर के जरिये दिए 45 लाख
इस भर्ती में नेताओं,दलालों, अधिकारियों के बेटे बेटियां, रिश्तेदार के नाम शामिल होने पर भाजपा नेता ननकीराम कंवर ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की थी।
जिस पर सीबीआई ने जांच के दौरान छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और कारोबारी दलाल श्रवण गोयल को गिरफ्तार किया है। गोयल ने खुद के बहु बेटे को डिप्टी कलेक्टर बनाने के लिए पीएससी चेयरमैन सोनवानी की पत्नी द्वारा चलाये जा रहे एनजीओ को 45 लाख रुपए दिए थे। यह 45 लाख बजरंग पावर कम्पनी के सीएसआर मद से दिए गए थे।
घोटाले में फंसी भूपेश सरकार
विधानसभा चुनाव 2023 से पहले पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार पीएससी घोटाले में बुरी तरह से फंसी गई थी। पूर्व गृह मंत्री व भाजपा नेता ननकी राम कंवर ने हाई कोर्ट बिलासपुर में आरोप पत्र दाखिल करके कई भाई-बहन, बेटी-दामाद और रिश्तेदारों को लेकर सवाल उठाया था।
इसके लेकर हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार से पूछा था कि अधिकारियों और नेताओं के बेटा-बेटियों का चयन कैसे हो गया। कोर्ट ने 18 अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगाते हुए शासन को जांच करने कहा था। गृहमंत्री ननकीराम कंवर द्वारा न्यायालय में दाखिल आरोप पत्र में पीएससी के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के पांच रिश्तेदारों की नियुक्ति की सूची सौंपी गई थी।
इसमें उनके करीबी रिश्तेदार नितेश की नियुक्ति उप जिलाधीश के पद पर की गई है और उनके सरनेम को छिपाया गया है। बहू निशा कोशले का भी चयन उप जिलाधीश के पद पर हुआ है। बड़े भाई के बेटे साहिल का चयन डीएसपी के पद पर हुआ है।
इसमें भी सरनेम नहीं लिखा गया है। उनके भाई की बहू दीपा अजगले आदिल की नियुक्ति जिला आबकारी अधिकारी और बहन की बेटी सुनीता जोशी को श्रम अधिकारी बनाया गया है।
आयोग के सचिव व सेवानिवृत्त आइएएस जीवन किशोर ध्रुव के रिश्तेदार सुमित ध्रुव उप जिलाधीश बने थे। मामले में जीवन किशोर ध्रुव के खिलाफ भी जांच चल रही है। पीएससी के सहायक नियंत्रक ललित गनवीर की बहू का भी पीएससी में चयन हुआ है।
राज्यपाल के सचिव रहे खलको के बेटा-बेटी की जोड़ी राज्यपाल के सचिव रहे अमृत खलको की बेटी नेहा खलको और उनके बेटे निखिल खलको के उप जिलाधीश बनने पर जांच के दायरे में रखा गया है। भाई-बहन के चयन ने सबको चौकाया दीनदयाल उपाध्याय नगर सेक्टर-2 निवासी, रायपुर की प्रज्ञा नायक ने सीजीपीएससी 2021 में पहली रैंक प्राप्त की थी।
प्रज्ञा के भाई प्रखर नायक ने भी सीजी-पीएससी में 20वां रैंक हासिल की थी। न्यायालय में दाखिल आरोप पत्र में लिखा गया था कि कांग्रेस नेता के ओएसडी के रिश्तेदार की बेटी प्रज्ञा नायक और बेटा प्रखर नायक का चयन हुआ है। इनके चयन ने सबको चौका दिया था।
बस्तर नक्सल आपरेशन के डीआईजी ध्रुव की बेटी साक्षी ध्रुव उप जिलाधीश बनीं थी। इसी तरह कांग्रेस नेता के ओएसडी के साढू भाई की बेटी खुशबू बिजौरा उप जिलाधीश, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी स्वर्णिम शुक्ला के उप जिलाधीश बनने के बाद प्रश्न खड़े हुए थे। आरोप पत्र के अनुसार कांग्रेस नेता की बेटी अनन्या अग्रवाल का चयन भी उप जिलाधीश के पद पर हुआ है।
भूपेश सरकार में हुई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा 2019 में भी जमकर भर्राशाही हुई। इसमें भी एक कांग्रेस नेता के बेटी-दामाद का चयन हुआ है। 9 जुलाई को दर्ज कराए गए प्रकरण के अनुसार 2019 में की गई 1,384 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती में भी गड़बड़ी की गई है।
पहले तो इस परीक्षा में अनुपस्थित अभ्यर्थी का चयन कर लिया गया। वहीं एक ही परीक्षा केंद्र में बैठे 50 अभ्यर्थियों में 36 लोगों को भी असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया गया। इसमें छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग में तत्कालीन अध्यक्ष रहे टामन सिंह सोनवानी, कुछ अधिकारियों और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के रिश्तेदारों के नाम भी शामिल हैं।