Corruption Cases Against IAS: 27 IAS अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के 43 मामले, अनिल टुटेजा के खिलाफ सबसे ज्यादा

27 IAS अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के 43 मामले, अनिल टुटेजा के खिलाफ सबसे ज्यादा
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 टामन सिंह सोनवानी , रानू साहू , अनिल टुटेजा

Corruption Cases Against IAS officers of Chhattisgarh : रायपुर। छत्तीसगढ़ के 27 आईएएस अफसरों के दामन पर भ्रष्टाचार के दाग हैं। इनमें कुछ सेवानिवृत्त आईएएस भी शामिल हैं। इन अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कुल 43 मामले हैं। ईओडब्ल्यू इनमें से 11 मामलों में एफआईआर दर्ज कर चुकी है। एक प्रकरण की प्रारंभिक जांच चल रही है, जबकि बाकी 31 मामलों में शिकायत दर्ज की गई है।

भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे आईएएस अफसरों में मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए विवेक ढांड का भी नाम शामिल है। भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा सात शिकायतें सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा के खिलाफ है। राज्य सेवा से पदोन्नत टुटेजा 2003 बैच के आईएएस हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस में हुए शराब घोटाला में टुटेजा का नाम ही सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है। टुटेजा पर गवाहों का बयान बदलने का भी आरोप है।

टुटेजा खिलाफ पहला मामला 2020 में दर्ज हुआ था, तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। टुटेजा पर फारेन एक्सचेंज कानून के तहत क्रिमिनल केस और पासपोर्ट एक्ट और आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। बाकी केस 2024 में दर्ज किए गए है। इसमें गवाहों का बयान बदलने, शराब घोटाला, झारखंड की शराब नीति में बदलाव आदि शामिल है।

इसी तरह 2005 बैच के आईएएस राजेश सुकुमार टोप्पो के खिलाफ भ्रष्टाचार के पांच केस दर्ज है। ये केस 2019 से 2021 के बीच हुए हैं। इनमें पद का दुरुपयोग कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है।

कोरबा कलेक्टर रहते रानू पर लगे हैं आरोप

कोयला और डीएमएफ घोटाला में जेल में बंद रानू साहू के खिलाफ 2021 में पहला एफआईआर दर्ज किया था। 2010 बैच की आईएएस साहू पर दर्ज सभी मामले कोरबा उनके कलेक्टर रहने के दौरान के हैं। साहू पर 2021 में अवैध वसूली करने का आरोप लगा। इसके बाद 2022 में टेंडर गड़बड़ी करने का आरोप लगा। इसमें सरकार को आठ करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के आरोप हैं। इसी तरह 2024 साहू के खिलाफ तीन और मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें डीएमएफ और अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने का मामला शामिल है।

ढांड पर नजूल जमीन हड़पने का आरोप

मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए 1981 बैच के आईएएस विवेक ढांड भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) का अध्यक्ष रहने के दौरान नजूल जमीन को हड़पने के लिए फर्जी बैनामा का सहारा लेकर स्थायी पट्टा लेने का आरोप है। शराब घोटाला में भी ढांड की भूमिका की जांच चल रही है। ढांड 2014 से जनवरी 2018 तक राज्य के मुख्य सचिव थे।

सीजीपीएससी में ध्रुव और सोनवानी पर केस

कांग्रेस सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की भर्ती में गड़बड़ी के आरोप में तत्कालीन अध्यक्ष और सेवानिवृत्त आईएएस टामन सिंह सोनवानी के साथ ही जीवन किशोर ध्रुव पर केस दर्ज है। इसी तरह पीएससी की सचिव रही 2012 बैच की आईएएस पुष्पा साहू पर भर्ती के लिए 25-25 लाख रुपए लेने का आरोप है। साहू पर 2020 में ईओडब्ल्यू में प्रकरण आया था।

इन अफसरों के दामन पर भी दाग

संजय कुमार अलंग: संभाग आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हो चुके अलंग के खिलाफ 2020 में भ्रष्टाचार अधिनियम की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज किया गया है। अलंग पर पाठय पुस्तक निगम में संचालक के पद पर रहने के दौरान टेंडर में गड़बड़ी करने का आरोप है।

समीर विश्नोई: इनके खिलाफ 2023 में पहला एफआईआर अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने का दर्ज किया गया। इसके बाद 2024 में उनके खिलाफ दो और एफआईआर दर्ज हुआ है।

डॉ. आलोक शुक्ला: सेवानिवृत्त डॉ. शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार के दो मामलों की जांच चल रही है। दोनों मामले में 2024 में दर्ज किए गएै। डॉ. शुक्ला पर गलत तरीके से सरकारी पैसा अपने निजी खाते में जमा करने और पद का दुरुपयोग करते हुए गवाहों के बयान बदलवाने का आरोप है।

निरंजन दास: शराब घोटाला में फंसे निरंजन दास पर दो मामले हैं। इनमें आय से अधिक सपंत्ति अर्जित करने और शराब में भ्रष्टाचार करने का आरोप शामिल है।

कुलदीप शर्मा : इन पर 2019 में पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा था। तब शर्मा जशपुर जिला पंचायत के सीईओ थे।

सुरेंद्र कुमार जायसवाल: इन पर शासन की अनुमति के बिना करोड़ों रुपए के फ्लैट खरीदने के आरोप में एफआईआर दर्ज है। यह मामला 2019 का है तब जायसवाल ठाकुर प्यारे लाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संसथान निमोरा के संचालक थे।

गौरव द्विवेदी: इन पर 2019 में समग्र शिक्षा के तहत आईसीटी प्रोजेक्ट के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप है। नरेंद्र कुमार दुग्गा पर सर्व शिक्षा अभियान में बिना प्रशिक्षण के करोड़ों फर्जी बिल आहरण का आरोप है। अशोक अग्रवाल पर भी इसी ममाले में आरोपी हैं।

सुधाकर खलखो: माटीकला बोर्ड के डायरेक्टर रहे खलखो पर 2020 में दो केस दर्ज किया गया था। इसमें चाक और मशीन की खरीदी में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी का आरोप है। इसी तरह आईएएस राजेश सिंह राणा पर 2020 में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप का मामला चल रहा है।

डीडी सिंह: इन पर 2021 में आर्थिक अनियमितता, भ्रष्टाचार, शासकीय आदेशों की अवहेलना और शिकायत पत्रों को दबाने का आरोप है।

एस. प्रकाश: इन पर 2021 में 464 पदों पर नियुक्ति नियम विरुद्ध कर पैसों का लेन-देन कर गैर अनुभवी अयोग्य नियुक्ति करने का आरोप है।

अमृत कुमार खलखो: इन पर 2022 में भ्रष्टाचार और अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने का आरोप है।

नुपुर शर्मा: इन पर 2022 में अपर कलेक्टर के पद पर रहने के दौरान अवैध पैसे की मांग करने के आरोप है।

किरण कौशल: इन पर 2022 में नियम विरुद्ध आदेश जारी कर भ्रष्टाचार करने का आरोप है।

टी. राधाकृष्णन: इन पर 2023 में सरकारी खाते से पांच लाख से ज्यादा निकालने का आरोप है।

संजीव कुमार झा: इन पर सरगुजा कलेक्टर रहने के दौरान पुनर्वास पट्टा और भूमि बिक्री की अनुमति देने में करोड़ों रुपए लेने का आरोप है।

इफ्फत आरा: इन पर दो केस दर्ज है। इनमें एक सरगुजा कलेक्टर रहने के दौरान का है और दूसरा सूरजपुर कलेक्टर रहने के दौरान 100 करोड़ की गड़बड़ी का मामला है। दोनों केस 2024 में दर्ज किए गए।

भुवनेश कुमार यादव: इन पर सहायक प्राध्यापकों के ट्रांसफर में भ्रष्टाचार का आरोप है। यादव के खिलाफ 2024 में शिकायत दर्ज की गई।

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