Sahara India Refund Update: सहारा में अभी भी कई परिवारों के फंसे करोड़ो रुपए, छोटे निवेशकों को ही दिया रिफंड

Sahara India Refund Update
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Sahara India Refund Update : रायपुर। छत्तीसगढ़ में सहारा इंडिया में निवेश करने वाले कई छोटे निवेशकों को रिफंड मिला है लेकिन अभी भी कई परिवारों के करोड़ो रुपए इसमें फंसे हुए हैं। जानकारी के अनुसार, राज्य में लगभग 25 लाख परिवारों की 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि अभी भी फंसी हुई है।

वहीं रिफंड केवल 39 करोड़ रुपये ही किए गए हैं। बताया जा रहा है कि, सहारा रिफंड पोर्टल के माध्यम से मुख्य रूप से 10 हजार से 50 हजार रुपये तक निवेश करने वाले छोटे निवेशकों को ही रिफंड दिया जा रहा है।

CRCS को दिया गया अधूरा डेटा

सहारा पीड़ित जमाकर्ता-कार्यकर्ता कल्याण संघ के अधिकारियों के अनुसार, सहारा सोसाइटीज द्वारा CRCS को अधूरा डेटा दिया गया है, जिसकी वजह से कई निवेशकों को उनके जमा पैसे नहीं मिल पा रहे हैं।

दुर्ग जिले के निवेशकों को सबसे ज्यादा लगभग सात करोड़ रुपये का रिफंड मिला है। हालांकि बिलासपुर, गरियाबंद, रायपुर, मुंगेली, भाटापारा-बलौदाबाजार, रायगढ़, महासमुंद, धमतरी, जांजगीर-चांपा, अंबिकापुर, राजनांदगांव, कवर्धा में भी 50 लाख रुपये से लेकर पांच करोड़ रुपये तक की राशि वापस लौटाई गई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीड़ितों ने बताया कि, जिन मृत्यु हो गई है उनके नॉमिनिज को भी कोई रकम नहीं मिली है और न ही इसके के लिए ऑनलाइन पोर्टल में कोई विकल्प बनाया गया है। अधिकांश निवेशकों के बांड पेपर में सहारा के क्षेत्रीय कार्यालयों की सील नहीं हैं, जिसके कारण आवेदन खारिज हो जा रहे हैं।

सहारा इंडिया के एजेंट ने बताया कि, सिर्फ छत्तीसगढ़ से ही दो लाख से ज्यादा लोगों ने 10 से 50 हजार रुपये रिफंड पाने के लिए आवेदन किए हैं। जिसमें से लगभग 35- 40 हजार निवेशकों को ही रिफंड मिला है।

क्या है सहारा इंडिया केस?

सहारा इंडिया के नाम से साल 1978 में एक नई कंपनी की शुरुआत हुई।बेहद छोटे स्तर पर गोरखपुर से ये कंपनी शुरू की गई। काम था गांव-कस्बों में लोगों से पैसे लेकर उसपर रिटर्न देना। उत्तर प्रदेश के छोटे-छोटे लोग सहारा से जुड़ने लगे। इस उम्मीद पर कि उनको निवेश के बदले अच्छी बड़ी रकम मिलेगी। सहारा की चिट फंड कंपनी बेहद कम समय में ही काफी मशहूर होने लगी। सहारा ने लोगों को उनके निवेश पर मार्केट के मुकाबले काफी ज्यादा ब्याज दर दी।

साल 2009 में सामने आया ये स्कैम

कई सालों तक ये काम ऐसे ही चलता रहा। कंपनी में 86000 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका था, लेकिन साल 2009 में सहारा की असली हकीकत सामने आई जब आईपीओ के लिए सहारा ने सेबी में आवेदन दिया था। सेबी को सहारा के पैसा इकट्ठा करने के तरीके में कुछ गड़बड़ी नजर आई।

इसके बाद सेबी ने सहारा की दो कंपनियों को पैसा इकट्ठा करने के काम को बंद करने के आदेश दिए। इसके अलावा जिन लोगों का पैसा सहारा में जमा था उन्हें 15 फीसदी की दर से ब्याज समेत पैसा वापस लौटाने को कहा, लेकिन सहारा निवेशकों का पैसा वापस नहीं लौटाया। अदालत में केस चलता रहा और लोगों का पैसा फंसा रहा। सहारा पर मनी लॉन्डरिंग के आरोप लगे। कंपनी के चेयरमेन की गिरफ्तारी भी हुई।

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