गांधी परिवार के ट्रस्ट के गोरखधंधे की होगी जांच
नई दिल्ली। गांधी परिवार की समाजसेवा का चित्र सामने आने की संभावना बढ़ गई है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जिन तीन ट्रस्टों राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच कराई जा रही है। जांच काले धन को सफेद करने और विदेश से मिले चंदे का होना है। उसमें पूरा कुनबा जांच की जद में आ गया है। कारण, इसके सदस्य सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा हैं।
तीनों ट्रस्ट पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट और इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप है। यह जांच ईडी के विशेष निदेशक की देखरेख में होगी। इस जांच में पता लगाया जाएगा कि गांधी परिवार से जुड़े तीनों ट्रस्टों ने नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया गया। दरअसल, गांधी परिवार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री इंजिरा गांधी के नाम पर समाजसेवा के नाम पर ट्रस्ट बनाया गया। जिसमें राजीव गांधी के सपने को पूरा करने और उनके लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए 21 जून 1991 को सोनिया गांधी ने राजीव गांधी फाउंडेशन की शुरूआत की थी। गांधी परिवार द्वारा इस फाउंडेशन के जरिए स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, महिला एवं बाल विकास, दिव्यांग सहयोग, पंजायती राज, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन क्षेत्रों में काम करने का दावा किया गया। संघर्ष से प्रभावित ब'चों को शैक्षणिक मदद, शारीरिक रूप से निशक्त युवाओं की गतिशीलता बढ़ाने और मेधावी ब'चों को कैंब्रिज में पढऩे हेतु वित्तीय सहायता जैसे कार्यक्रम फाउंडेशन की ओर से चलाए जाते हैं।
राजीव गांधी फॉउंडेशन का कामकाज दान से मिलने वाली रकम से चलता है। इस फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, डा. शेखर राहा, संजीव गोयनका ट्रस्टी हैं। इस ट्रस्ट को कहां से कितना धन आया। धन देने वाले लोग कौन हैं। संस्थानों से जो धन दिया गया, वह कालाधन तो नहीं था, इसी बात की जांच होनी है। इसी तरह से राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन साल 2002 में हुआ था। इसके उद्देश्यों में देश के वंचित समाज, खासकर ग्रामीण गरीबों के विकास संबंधी जरूरतों की पूर्ति में मदद करना शामिल है। यह दावा किया जा रहा है कि ट्रस्ट इस समय राजीव गांधी महिला विकास परियोजना तथा इंदिरा गांधी आई हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर परियोजनाओं के तहत उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के पिछड़े इलाकों में काम कर रहा है। परन्तु कहां कौन सा काम हो रहा। इस सेंटर के पास आने वाले धन की भी जांच होनी है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना की गई थी। यह ट्रस्ट इंदिरा गांधी के जीवन के आदर्शों को प्रचारित करने के साथ उनकी यादों को सहेजकर रखने का काम करती है। इस ट्रस्ट के जरिए कांग्रेस पार्टी नेहरू-गांधी के विचारों को लेकर शोध कराने से लेकर तमाम सामाजिक कार्य करने का दावा करती है। इसके अलावा हर साल इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी फोटो प्रदर्शनी लगाता है। इंदिरा गांधी मेमोरिल ट्रस्ट 1986 से हर साल विश्व के किसी ऐसे व्यक्ति या संगठन को इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण और विकास पुरस्कार भी दे रहा है, जिसने समाज सेवा, निरस्त्रीकरण या विकास कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। इस पुरस्कार में 25 लाख रु. नकद, एक ट्रॉफी और प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जाता है।
इंदिरा मेमोरियल ट्रस्ट उत्कृष्ट कार्य और उपलब्धियों के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तियों और संस्थानों को सम्मानित कर चुका है। इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार का पात्र होने के लिए एक लिखित कार्य प्रकाशित होना चाहिए। जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल को 201& में इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार दिया गया है। इसके अलावा साल 2012 में लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ को और साल 2011 के लिए सामाजिक कार्यकर्ता इला रमेश भट्ट को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह तीनों ट्रस्ट संदेह के दायरे में हैं। इसीलिए केन्द्रीय गृहमंत्रालय जांच कराकर दूध का दूध पानी का पानी करना चाहता है।
गांधी परिवार दो मामलों में पहले से उलझा हुआ है। नेशनल हेराल्ड मामला कोर्ट में है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने कांग्रेस की एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की करोड़ों की संपत्ति जब्त कर चुका है। इसमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा फंसे हैं। उन पर एजेएल को हरियाणा के पंचकूला में एक प्लॉट के आवंटन में कानून का उल्लंघन करने का आरोप है। दरअसल, भाजपा अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा की तरफ से राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलने का आरोप लगाया गया। नड्डा ने कहा कि मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री रहते 1991 के बजट में फाउंडेशन को 100 करोड़ रुपए दिए थे। अब जांच से पता चलेगा कि गांधी परिवार इन ट्रस्टों के नाम पर क्या-क्या गोरखधंधा किया है।