अब इस क्षेत्र में पैदा होंगी 35 लाख नौकरियां
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को ब्याज सब्सिडी योजना के साथ 15,000 करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचा विकास कोष की घोषणा की। इसका उद्देश्य डेयरी, मांस प्रसंस्करण और पशु चारा संयंत्रों में निजी कारोबारियों और एमएसएमई के निवेश को प्रोत्साहित करना है। इस पहल के कारण 35 लाख रोजगार सृजित होने की संभावना है। यह फंड, कोविड-19 वायरस की रोकथाम के लिए लागू किए गएलॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए मई में घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा है।
एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि डेयरी उत्पादक, मांस प्रसंस्करण और पशु चारा संयंत्रों की स्थापना के लिए किसान उत्पादक संगठनों, एमएसएमई और निजी कंपनियों को 3-4 प्रतिशत की ब्याज सहायता दी जायेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास कोष (एएचआईडीएफ) को मंजूरी दी गई।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ''मंत्रिमंडल द्वारा 15,000 करोड़ रुपये के फंड को मंजूरी दी गई है जो सभी के लिए खुला रहेगा और यह दूध उत्पादन बढ़ाने, निर्यात को बढ़ावा देने तथा देश में 35 लाख नौकरियां पैदा करने में मदद करेगा। पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार ने पहले डेयरी बुनियादी ढांचे के विकास के मकसद से सहकारी क्षेत्र द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये के डेयरी अवसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ) को मंजूरी दी थी।
उन्होंने कहा, ''हालांकि, एमएसएमई और निजी कंपनियों को, पशुपालन क्षेत्र में प्रसंस्करण और मूल्य वर्धित बुनियादी ढांचे में भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करने और सहायता दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), एमएसएमई, धारा -आठ के तहत आने वाली कंपनियां, निजी कंपनियां और व्यक्तिगत उद्यमी इस फंड से लाभ प्राप्त करने के पात्र होंगे। प्रस्तावित इंफ्रा परियोजना के लिए उद्यमी 10 प्रतिशत मार्जिन का योगदान करना होगा और बाकी 90 प्रतिशत ऋण घटक होगा जो अनुसूचित बैंकों द्वारा उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने कहा, ''पहली बार, हम डेयरी, पोल्ट्री और मांस प्रसंस्करण के बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए निजी कारोबारियों को तीन प्रतिशत तक ब्याज सहायता देंगे। एक सरकारी बयान में, सरकार ने कहा कि गैर-आकांक्षात्मक जिलों से पात्र लाभार्थियों को तीन प्रतिशत ब्याज सहायता दी जायेगी जबकि आकांक्षात्मक जिलों के लाभार्थियों को लगभग चार प्रतिशत की ब्याज सहायता दी जाएगी। देश में लगभग 115 आकांक्षी जिले हैं जो खराब सामाजिक-आर्थिक संकेतकों से प्रभावित हैं।
सरकार ने कहा कि ऋण को चुकाने के लिए दो साल की अवकाश अवधि होगी और उसके बाद छह साल में ऋण का पुनर्भुगतान करना होगा। इसके अलावा, केंद्र राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा प्रबंधित किये जाने वाले 750 करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी फंड भी स्थापित करेगा जो एमएसएमई द्वारा निर्धारित सीमा के तहत आने वाली परियोजनाओं को क्रेडिट गारंटी प्रदान करेगा। गारंटी कवरेज में उधारकर्ता की ऋण सुविधा का 25 प्रतिशत हिस्सा होगा। नए इन्फ्रा फंड के लाभों पर प्रकाश डालते हुए, सरकार ने कहा कि पशुपालन क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेश के माध्यम से भारी संभावनाओं के द्वार खुलने की अच्छी संभावना है।