भारत को 'पुराना दोस्त' देगा 43 लड़ाकू विमान
नई दिल्ली। चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच भारतीय वायुसेना ने रूस से लड़ाकू विमान खरीदने के लिए लंबित पड़े सौदों की डील फाइनल करने की योजना बनाई है। इसमें सुखोई 30 एमकेआई और रूसी मिग-29 लड़ाकू विमान शामिल हैं। ये सभी विमान वायुसेना को अपग्रेड होकर मिलेंगे। वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को अपना प्रस्ताव भेज दिया है।
दरअसल इससे पहले खुद रूस ने लड़ाकू विमानों मिग-29 की कमियों को दूर करके आधुनिक संस्करण के विमान देने का प्रस्ताव दिया था। इस पर वायुसेना ने इन नए मिग-29 का अध्ययन किया और फिर 31 विमान खरीदने की तैयारी कर रहा है। रूस भी भारत को जल्द से जल्द 31 लड़ाकू विमान मुहैया कराने के लिए तैयार है। रूस इन दिनों मिग-29 लड़ाकू विमानों को आधुनिक बनाने में जुटा हुआ है। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ये विमान चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के बराबर हो जाएंगे।
भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही मिग-29 के तीन स्क्वाड्रन हैं और पायलट भी इससे परिचित हैंं। भारतीय वायुसेना के बेड़े में मिग-29 पहले से ही शामिल हैं। नए मिग-29 के रडार और अन्य उपकरण भी आधुनिक मानकों के अनुरूप होंगे। आधुनिकीकरण के बाद मिग-29 विमान बहुत तेजी से और ऊंचाई वाले स्थानों पर उड़ान भर सकेंगे। यही नहीं ये विमान दुश्मनों की पहचान करने में और ज्यादा कारगर हो जाएंगे। ये विमान अगले 40 साल तक भारतीय वायुसेना में अपनी सेवा दे सकेंगे।
भारत इसके अलावा 12 सुखोई-30 एमकेआई विमानों को खरीदने जा रहा है। सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है। भारत में मौजूद सुखोई विमानों को इस साल जनवरी महीने में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से लैस किया गया था। सुखोई विमान हवा से हवा मार करने वाली नई मिसाइलों के लिए बेहद कारगर माने जाते हैं। इसलिए वायुसेना को 12 और सुखोई विमानों की जरूरत है।