लोकतंत्र में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की रक्षा सबसे महत्वपूर्ण : अमित शाह

लोकतंत्र में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की रक्षा सबसे महत्वपूर्ण : अमित शाह
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नईदिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि लोकतंत्र केवल चुनाव नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा है, जिसे पुलिस कानून-व्यवस्था बनाए रखते हुए सुनिश्चित करती है। शाह पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के 51वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में बोल रहे थे।

गृह मंत्री शाह ने कहा कि लोकतंत्र का अर्थ केवल पार्टियों को वोट देना और उनकी सरकार बनाना नहीं है, यह तो केवल व्यवस्था का हिस्सा है। लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण चीज व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की तभी सफलता है, जब देश के 130 करोड़ लोगों को अपनी-अपनी क्षमता और बुद्धि के अनुसार स्वयं को विकसित करने का मौका मिले। इसका संचयी लाभ देश को जाता है।

व्यक्ति की सुरक्षा सुनश्चित -

शाह ने कहा कि यदि कानून और व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है, तो लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता। इसके लिए व्यक्ति की सुरक्षा सुनश्चित करना आवश्यक है। आगे उन्होंने कहा कि लोगों को संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों की रक्षा करना कानून की जिम्मेदारी है। बीपीआरएनडी को लेकर जनता के बीच जानकारी के अभाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसका काम बेहद महत्वर्ण है। बीपीआरएनडी में अपनी पहली यात्रा के दौरान विजिटर बुक में दर्ज कथन को साझा करते हुए कहा कि बीपीआरएनडी के बिना अच्छी पुलिसिंग की कल्पना ही नहीं हो सकती।

देश की प्रकृति का हिस्सा -

शाह ने कहा कि भारत में लोकतंत्र 1950 में नहीं आया था, बल्कि यह देश की प्रकृति का हिस्सा था। जब मैं लोकतंत्र पर बहस देखता हूं तो लोग संसद, न्यायपालिका और अन्य संस्थानों का जिक्र करते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि यह बीट कांस्टेबल है, जिसने लोकतंत्र को सफल बनाया है। लेकिन किसी न किसी वजह से पुलिस की छवि को बदनाम करने की मुहिम चलाई गई है। कुछ खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर कवर किया जाता है, जबकि पुलिस द्वारा किए गए अच्छे कामों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि बीपीआरएंडडी को पुलिस की छवि सुधारने के लिए विशेष रूप से काम करना चाहिए।

पुलिसकर्मियों का कार्य सबसे कठिन -

गृह मंत्री शाह ने कहा कि लोकतंत्र में पुलिसकर्मियों का कार्य सबसे कठिन होता है। जब लोग त्यौहार मनाते हैं, उस समय पुलिस कानून व्यवस्था बनाए रखने में व्यस्त होती है। कोरोना काल में पुलिस बलों को उनकी सेवाओं के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उन्हें जिस प्रकार से सम्मानित किया गया, उससे हर भारतीय को गर्व व आनंद की अनुभूति हुई। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा किए गए सभी अच्छे कार्यों और बलिदानों के दस्तावेज होने चाहिए।

कानून व्यवस्था राज्य का विषय -

उन्होंने कहा कि बीपीआरएंडडी द्वारा बच्चों को वृत्तचित्र बनाकर दिखाना चाहिए। इन 75 वर्षों में देश के लिए 35,000 से अधिक पुलिसकर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। यह हमारा काम है और बीपीआरएंडडी को यह करना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि बीपीआरएंडडी के बिना अच्छी पुलिस व्यवस्था नहीं हो सकती। कानून व्यवस्था राज्य का विषय है। सभी राज्यों में अलग-अलग स्थिति और विचार के कारण अलग-अलग राजनीतिक व्यवस्थाएं हैं। अलग-अलग राज्यों के अपने भूगोल के कारण अलग-अलग कानून और अलग-अलग चुनौतियां हैं। बीपीआरएंडडी वह कड़ी है, जो सभी पुलिस बलों को एक साथ बांधती है। अगर यह लिंक नहीं हो, तो देश की कानून-व्यवस्था बिखर जाएगी।

अधिकारियों को सीमा पर नई चुनौतियों की याद दिलाते हुए शाह ने कहा कि बीपीआरएंडडी को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के आधुनिकीकरण और उनकी दक्षता में सुधार पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस सुधार का जमीनी स्तर पर कितना प्रभाव पड़ा, बीपीआरएंडडी को यह जानने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था बनानी चाहिए। एक संस्थागत व्यवस्था के बिना हमारे सुधार व्यावहारिक हैं या नहीं, जिस पुलिस बल के माध्यम से हम सुधार करना चाहते हैं, हम उन्हें प्रेरित कर पाए या नहीं, इसका पता नहीं चल सकता।

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