सरकार बाढ़ प्रभावित जिलों में 'आपदा मित्र' कार्यक्रम की शुरुआत करेगी : अमित शाह
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नईदिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि आपदा से प्रभावित होने वाले 350 जिलों में स्थिति से तत्काल निपटने के लिए सरकार 'आपदा मित्र' कार्यक्रम की शुरुआत करेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ की स्थिति पर नियंत्रण के लिए एक कृत्रिम झील तैयार करने पर भी काम चल रहा है।
अमित शाह ने आज यहां राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के 17वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन किया। इस वर्ष के स्थापना दिवस का विषय हिमालयी क्षेत्र में आपदा से जुड़ी घटनाओं का व्यापक प्रभाव है।गृह मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय और राज्य स्तर के आपदा मोचन बल के लिए हर स्थिति में तत्काल प्रतिक्रिया देना संभव नहीं है। ऐसे में कुछ ही समय में कार्रवाई करने के लिए लोगों को ही तैयार करना होगा। एक प्रशिक्षित आपदा मित्र किसी ग्राम में आपदा की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।
प्रशिक्षित स्वयंसेवक तैयार करना -
'आपदा मित्र' कार्यक्रम का उद्देश्य संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षित स्वयंसेवक तैयार करना है। वर्तमान में 25 राज्यों के 30 बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में इसे लागू कराया गया है। 5500 लोगों को आपदा मित्र के तौर पर क्षेत्रों में तैनात किया गया है।
350 जिलों में लागू -
शाह ने कहा कि अभी शुरुआती तौर पर इसपर काम ल रहा है। हम इसे आपदा संवेदनशील 350 जिलों में लागू करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 17 सालों में आपदा को कम करने में देश ने काफी हद तक सफलता हासिल की है। अब असम में आने वाली बाढ़ से निपटने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। हम ब्रह्मपुत्र नदी की मैपिंग कर रहे हैं। अध्ययन से पता चला है कि एक हजार हेक्टेयर की झील में बाढ़ के चलते ब्रह्मपुत्र नदी में बढ़े अतिरिक्त जल को संरक्षित कर सकते हैं। उचित स्थान की वर्तमान में तलाश की जा रही है। 19 क्षेत्रों की पहचान की जा चुकी है। मंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) भारत में आपदा प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय है। एनडीएमए की स्थापना और राज्य तथा जिला स्तर पर संस्थागत तंत्र के लिए एक सक्षम वातावरण का निर्माण आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 द्वारा अनिवार्य है। एनडीएमए आपदा प्रबंधन के लिए नीतियों, योजनाओं और दिशा-निर्देशों को निर्धारित करना अनिवार्य बनाती है। भारत दुनियाभर में आपदा से जुड़े विषयों रोकथाम, शमन, तैयारी और प्रतिक्रिया के लोकाचार के विकास की कल्पना करता है।