देश में जल्द कम होगी खाद्य तेल की कीमतें, सरकार ने पाम ऑयल मिशन को दी मंजूरी
नईदिल्ली। केन्द्र सरकार ने देश में पाम तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए राष्ट्रीय मिशन की घोषणा की है जिसके तहत देश में इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 'खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन- पाम ऑयल' के कार्यान्वयन को मंजूरी दी गई। केन्द्र प्रायोजित यह योजना उत्तर-पूर्व क्षेत्र और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह को विशेष तौर पर ध्यान रखकर बनाई गई है। इसमें 11,040 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय होगा।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि योजना के माध्यम से पाम का रकबा वर्तमान के 3.5 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 10 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाएगा। इससे पाम तेल का उत्पादन 2025-26 में 11 लाख और 2029-30 में 28 लाख टन होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि मिशन योजना के तहत पाम तेल के कच्चे माल की कीमत सरकार तय करेगी। इससे किसान लाभ की दृष्टि से इसके उत्पादन की ओर प्रेरित होगा। बाजार में कीमतों की गिरावट की स्थिति में सरकार तय कीमत से कम भुगतान की राशी की सीधे किसानों को बैंक खातों में देगी। साथ लागत सामग्री में सहयोग को 12 हजार प्रति हेक्टयर से बढ़ाकर 29 हजार रूपये कर दिया गया है।
कृषि मंत्री ने बताया कि पाम ऑयल की पैदावार की क्षमता को मद्देनजर रखते हुये वर्ष 2020 में भारतीय तेल ताड़ अनुसंधान संस्थान (आईआईओपीआर) ने पाम ऑयल की खेती के लिये एक विश्लेषण किया था। देश मे 28 लाख हेक्टयर भूमि पर पाम तेल की खेती हो सकती है। इसमें से 9 लाख हेक्टेयर भूमि उत्तर-पूर्व में है। इस योजना के लिये 11,040 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय निर्धारित किया गया है, जिसमें से केंद्र सरकार 8,844 करोड़ रुपये का वहन करेगी। इसमें 2,196 करोड़ रुपये राज्यों को वहन करना है। वर्ष 1991-92 से भारत सरकार ने तिलहन और पाम ऑयल की पैदावार बढ़ाने के अनेक प्रयास किये थे। वर्ष 2014-15 में 275 लाख टन तिहलन का उत्पादन हुआ था, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 365.65 लाख टन हो गया है।