खुलासा : कनाडा ने दिया चीनी सेना को विंटर वार फेयर का प्रशिक्षण
नईदिल्ली। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के किसानों के समर्थन में बयान के बाद अब एक नया खुलासा हुआ है। जिससे सवाल खड़ा होता है की क्या एलएसी पर तैनाती और युद्ध के लिए चीन लंबे समय से तैयारी कर रहा था। ये सवाल खड़ा करती है कनाडा की मीडिया रिपोर्ट जिसमें कनाडा और चीन सरकार के बीच विंटरवारफेयर मतलब सर्द क्षेत्र में युद्ध का प्रशिक्षण देने के लिए हुए समझौते हुआ था। जिसके तहत कनाडा की सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को 'विंटर-वॉरफेयर' सर्दी में युद्ध करने का प्रशिक्षण दिया था।
दरअसल, कनाडा की मीडिया ने 'चायना-फाइल्स' के नाम से कनाडाई और चीनी सरकार के बीच हुए इस करार का खुलासा किया है। कनाडा सरकार के गोपनीय दस्तावेज में इस बात का उल्लेख है कि चीनी सेना के कमांडर्स और सैनिकों ने 2013 से कनाडा में हाई-आल्टिट्यूड और भारी बर्फबारी में लड़ने की ट्रेनिंग ली है। यह प्रशिक्षण कनाडाई सेना के टोरंटो कॉलेज, किंगस्टन स्थित मिलिट्री-ठिकानों और ऑनटेरियो के करीब पेटवावा-गैरिसन में 'कोल्ड-वैदर मिलिट्री टैकटिक्स' में दिया गया है। 'विंटर-वॉरफेयर' की ट्रेनिंग के लिए वर्ष 2013 में किम कैंपबेल के प्रधानमंत्रित्व काल में दोनों सरकारों के बीच करार हुआ था, तबसे चीनी सैनिक हर साल कनाडा जाकर ठंडे जलवायु में युद्ध लड़ने की ट्रेनिंग ले रहे थे।
पीएम ट्रुडो प्रशिक्षण रद्द होने पर नाराज -
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2015 में स्टीफन हार्पर के प्रधानमंत्रित्वकाल में जब चीन ने कनाडा के दो नागरिकों का अपहरण कर लिया तो इसके विरोध में कनाडाई सरकार ने यह समझौता रद्द करके प्रशिक्षण देना बंद कर दिया। इसके बाद आये कनाडा के मौजूदा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो चीन के साथ मिलिट्री ट्रेनिंग रद्द करने से नाराज हो गए थे लेकिन फिर यह ट्रेनिंग दोबारा शुरू नहीं हो पाई। कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन ने अपने देश की संसद में सफाई देते हुए बताया है कि यह समझौता कनाडा की पुरानी सरकार ने किया था और फिलहाल अब ये ट्रेनिंग बंद कर दी गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को खालिस्तान समर्थक माना जाता है। उन्होंने भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर हाल ही में टिप्पणी भी की थी जिस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने ऐतराज जताया था।
ऑक्सीजन की कमी से चीनी सैनिकों की हालत खराब -
पूर्वी लद्दाख में तापमान गिरते ही पीएलए सैनिकों की हालत खराब होने लगी है। मौसम में तेजी से बदलाव आने की वजह से चीनी सैनिक ऑक्सीजन की कमी से बेहोश होने लगे हैं। फिंगर एरिया में ठंड का शिकार हुए चीनी सैनिकों की जगह नए सैनिकों को लाया जा रहा है लेकिन उनकी भी हालत एक ही दिन में ख़राब हो रही है। फिंगर-4 क्षेत्र से निकाले गए चीनी सैनिकों को अंतरिम उपचार के लिए फिंगर-6 के पास स्थित फील्ड अस्पताल में ले जाया जा रहा है। चीनी सैनिक शीतदंश, चिलब्लेन्स और खतरनाक उच्च ऊंचाई वाले फुफ्फुसीय एडिमा से ग्रस्त हो रहे हैं।
तिब्बतियों को पीएलए में भर्ती करना चाहता है चीन
पूर्वी लद्दाख में तापमान -40 डिग्री सेल्सियस पहुंचने के बाद कड़ाके की ठंड है जिससे 15 से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनात चीनी सैनिक बेहाल हैं। यही वजह है कि एलएसी पर बीमार पड़ रहे पीएलए सैनिकों के बदले अब चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी तिब्बती मूल के सैनिकों को शामिल करने की इच्छुक है। तिब्बतियों की भर्ती के लिए पीएलए ने कुछ शर्तें भी रखी हैं, जैसे;- उन्हें ऐसे युवा पुरुष चाहिए जिनके माता-पिता या रिश्तेदार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का हिस्सा रहे हों। उनके सम्बन्ध दलाई लामा या उनके अनुयायियों के साथ नहीं होने चाहिए। उनके किसी भी तरह के लिंक विदेशी संगठनों से नहीं होने चाहिए।