भारतीय सशस्त्र बलों को हमेशा विवादित सीमाओं पर सतर्क रहने की आवश्यकता : सीडीएस
नईदिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा कि चीन और पाकिस्तान की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षा को देखते हुए भारतीय सशस्त्र बलों को हमेशा विवादित सीमाओं और तटीय क्षेत्रों में साल भर सतर्क और तैनात रहने की आवश्यकता है। हमें 1962 के बाद चीनियों के साथ कई झड़पें करनी पड़ी हैं जिसमें 1967 में सिक्किम के नाथू ला में, 1986 में वांगडुंग में, 2017 में डोकलाम में और हाल ही में पूर्वी लद्दाख में हुईं झड़पें हैं। इसके बाद दोनों पक्षों ने सीमा पर धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी।
Delivering the annual #SardarPatel Memorial Lecture organised by All India Radio on "Role of Indian Armed Forces in Nation Building", CDS General Bipin Rawat says, Sardar Patel's contribution in integrating 565 princely states into a new independent India is unforgettable.
— All India Radio News (@airnewsalerts) October 31, 2021
सीडीएस जनरल रावत ऑल इंडिया रेडियो में सरदार पटेल स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दूरदर्शी सरदार पटेल ने भारत और चीन के बीच बफर राज्य के रूप में स्वतंत्र तिब्बत की आवश्यकता पर जोर दिया था। इस बात का उल्लेख तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ उनके पत्राचार में किया गया है। रावत ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी कोई देश अपने सशस्त्र बलों की उपेक्षा करता है, तो बाहरी ताकतें उसका तेजी से शोषण करती हैं।
इतिहास से सबक जरूरी -
रावत ने कहा कि 1950 के दशक में भारत ने इतिहास के इस महत्वपूर्ण सबक की अनदेखी की जिसका नतीजा यह हुआ कि 1962 में हमें इसका सबक अपमानजनक अनुभव के रूप में मिला। हमें 1962 के बाद चीनियों के साथ कई झड़पें करनी पड़ी हैं जिसमें 1967 में सिक्किम के नाथू ला में, 1986 में वांगडुंग में, 2017 में डोकलाम में और हाल ही में पूर्वी लद्दाख में हुईं झड़पें हैं। उन्होंने कहा कि इन झड़पों के परिणामों ने स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय सशस्त्र बल राष्ट्रीय क्षेत्र की रक्षा के लिए सतर्क और दृढ़ हैं। उन्होंने कहा कि इससे चीन और भारत को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बनाए रखने के लिए समझौतों और संबंधों में सुधार के लिए कई अन्य विश्वास बहाली के उपायों को आगे बढ़ाने में मदद मिली है।
सशस्त्र बलों को सतर्क रहने की जरूरत -
सीडीएस ने कहा कि चीन और पाकिस्तान की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षा के लिए भारत के सशस्त्र बलों को सतर्क रहने और विवादित सीमाओं के साथ-साथ तटीय क्षेत्रों में साल भर तैनात रहने की आवश्यकता है। भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मौजूदा सीमा गतिरोध पिछले साल मई में पूर्वी लद्दाख में एक हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ। इसके बाद दोनों पक्षों ने सीमा पर धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं की एक शृंखला के परिणामस्वरूप भारत और चीन ने अगस्त में गोगरा क्षेत्र में और फरवरी में पैन्गोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर विस्थापन प्रक्रिया पूरी की। मौजूदा समय में एलएसी के संवेदनशील क्षेत्र में दोनों पक्षों के लगभग 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं।