केंद्र ने SC से कहा - तब्लीगी जमात केस की जाँच CBI को सौंपने की जरूरत नहीं

केंद्र ने SC से कहा - तब्लीगी जमात केस की जाँच CBI को सौंपने की जरूरत नहीं
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नई दिल्ली। केन्द्र ने शुक्रवार (5 जून) को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि पूर्वी दिल्ली में आनंद विहार बस अड्डे पर लोगों के जमावड़े और निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात के मामले की दिल्ली पुलिस दैनिक आधार पर जांच कर रही है और इसकी सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है। गृह मंत्रालय ने शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में दिल्ली पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण दिया है। इसमें कहा गया है कि पुलिस एक समय सीमा के भीतर जांच पूरी कर निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए सभी प्रयास कर रही है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने याचिकाकर्ता सुप्रिया पंडिता को गृह मंत्रालय के जवाब पर अपना हलफनामा दाखिल करने की अनुमति प्रदान करते हुए इस मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध कर दिया। सुप्रिया पंडिता ने अपनी याचिका में देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद आनंद विहार बस अड्डे और निजामुद्दीन में मरकज में लोगों के जमावड़े की घटना की सीबीआई जांच कराने सहित अनेक राहत देने का अनुरोध न्यायालय से किया है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली पुलिस लोगों को नियंत्रित करने में विफल रही है और निजामुद्दीन मरकज का मुखिया मौलाना साद अभी भी गिरफ्तार से बच रहा है। गृह मंत्रालय ने इस मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए कहा है कि मरकज मामले की दैनिक आधार पर कानून के प्रावधानों के मुताबिक जांच हो रही है और समयबद्ध तरीके से निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए जांच रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

हलफनामे कहा गया है कि सारे तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर अनुरोध किया जाता है कि याचिका में सीबीआई जांच कराने के अनुरोध पर विचार की आवश्यकता नहीं है और इसका निबटारा कर देने की आवश्कता है। हलफनामे के अनुसार मौलाना साद और अन्य ने बगैर किसी सामाजिक दूरी के लंबे समय तक परिसर के भीतर बड़ी संख्या में लोगों को एकत्र होने की अनुमति दी और ऐसे हालात पैदा किए जिसकी वजह से कोविड-19 के संक्रमण का प्रसार होने और वहां रहने वालों की जान को खतरा हो सकता था।

हलफनामे में कहा गया है कि अपराधा शाखा थाने ने मौलाना साद के खिलाफ महामारी बीमारी कानून, आपदा प्रबंधन कानून और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है और जांच के दौरान विदेशी नागरिक कानून के तहत भी इसमें आरोप जोड़े गए हैं।

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