केंद्र सरकार कृषि ढांचों को तोड़ना चाहती है : राहुल गांधी

केंद्र सरकार कृषि ढांचों को तोड़ना चाहती है : राहुल गांधी
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पीलीबंगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केन्द्रीय कृषि सुधार कानूनों के माध्यम से देश का कृषि ढांचा तोड़ना चाहते हैं। इन कानूनों के पीछे उनकी सोच और लक्ष्य सिर्फ इतना ही है कि देश की 40 प्रतिशत जनता का कृषि पर आधारित बिजनेस उनके दो पूंजीपति मित्रों के हाथ में चली जाए। राहुल गांधी ने ये बात हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा स्थित कृषि मंडी में आयोजित किसान महापंचायत के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि कल उन्होंने संसद में किसानों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि देश में सबसे बड़ा बिजनेस कृषि पर आधारित है। सिर्फ हिन्दुस्तान ही नहीं, यह दुनियाभर का सबसे बड़ा बिजनेस है। क्योंकि, इससे करोड़ों लोगों को रोजगार मिलता है। इस बिजनेस को कोई एक व्यक्ति नहीं चलाता है, हिन्दुस्तान की 40 प्रतिशत जनता इस बिजनेस की भागीदार है। कांग्रेस की हमेशा यह कोशिश रही कि इस बिजनेस को किसी एक व्यक्ति के हाथ में नहीं जाने दें। आजादी के बाद से कांग्रेस इस कोशिश के लिए लड़ती रही है।

छोटे फुटकर व्यापारी खत्म हो जाएंगे -

उन्होंने कहा कि पहले कानून में कोई एक व्यक्ति अनलिमिटेड अनाज खरीद सकता है तो फिर देश में मंडियों की क्या जरूरत है। यह कानून मंडियों को खत्म करने के लिए है। दूसरा कानून कहता है कि कोई भी उद्योगपति कितना भी अनाज स्टोर कर सकता है। इसका मतलब यह है कि वही उद्योगपति दामों को कंट्रोल करेगा। जैसे ही यह कानून लागू होगा, वैसे ही हिन्दुस्तान के सबसे अमीरपति लोग जमाखोरी करना शुरू कर देंगे। तीसरा कानून कहता है कि जब किसान अरबपति जमाखोरों से अपनी उपज के सही दाम मांगेगा तो वह अदालत में नहीं जा सकेगा। लक्ष्य सिर्फ यही है कि 40 प्रतिशत हिन्दुस्तान की जनता का बिजनेस दो अमीरपतियों के हाथ में चला जाए। जब बड़ी कंपनियां ही जनता का बिजनेस चलाएंगी तो छोटे फुटकर व्यापारी खत्म हो जाएंगे।

सैंकड़ों किसान अपनी जान क्यों गंवा चुके -

राहुल ने कहा कि यह कानून सिर्फ किसानों के खिलाफ ही नहीं, देश की 40 फीसदी आबादी के विरुद्ध है। मोदीजी कहते हैं कि यह किसानों के हित में है तो फिर पूरे देश में विरोध क्यों है? दिल्ली के बॉर्डर पर सैंकड़ों किसान अपनी जान क्यों गंवा चुके हैं? उन्होंने यह 'हम दो-हमारे दो' लोगों के लिए किया है। चार लोग इस देश की सरकार चलाते हैं। यह आज से नहीं हो रहा है। पहला आक्रमण नोटबंदी के समय हुआ। गरीबों के घर से पैसा निकाला। जनता जोश में आ गई लेकिन बाद में पछतावा हुआ। उसके बाद जीएसटी ने छोटे कारोबारियों को खत्म कर दिया। नरेन्द्र मोदी अपने पूंजीपति मित्रों के लिए रास्ता साफ करना चाहते हैं। जीएसटी आजतक छोटे कारोबारियों को समझ में नहीं आई। कई बिजनेस बंद हो गए। इसी दौरान एक लाख 50 हजार करोड़ रुपये पूंजीपति मित्रों का कर्जा माफ कर दिया गया।

किसान का ही नहीं, गरीबों का मुद्दा-

उन्होंने कहा कि इस देश को रोजगार किसान देता है। छोटा व्यापारी देता है, उन्हें खत्म कर दिया गया। पूरा देश देख रहा है कि बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। पार्लियामेंट में मोदीजी कहते हैं कि हम किसानों से बात करना चाहते है। उन्होंने कहा कि आप कानून वापस ले लीजिए, किसान बात कर लेंगे। यह सिर्फ किसान का ही नहीं, गरीबों का मुद्दा है। कृषि का पूरा एक सिस्टम है, जिसे नरेन्द्र मोदी तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

किसान अपने हक की आवाज को लेकर आंदोलनरत -

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जो किसान अपने हक की आवाज को लेकर आंदोलनरत हैं, उन्हें खालिस्तानी एवं आतंकवादी तक कहा गया। मोदी सरकार ने लोकतांत्रिक मूल्यों को ताक पर रखकर किसान आंदोलन को कुचलने का कुचक्र रचा, लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके। कई किसानों की मौत हो चुकी है लेकिन इनको चिंता नहीं है। केन्द्र सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। जबसे मोदी सरकार आई है, आम आदमी और किसान दुखी हैं। गहलोत ने कहा कि श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जैसे सरहदी जिलों के विकास के लिए हमारी सरकार गंभीर रही है। हम पंजाब के मुख्यमंत्री से लगातार संपर्क में रहकर यहां के किसानों की समस्याओं के समाधान के प्रति कृत संकल्पित रहे हैं। आज पूरे देश का किसान राहुल गांधी की तरफ देख रहा है, क्योंकि राहुल उनकी आवाज को लगातार उठा रहे हैं।

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