केंद्र ने खारिज किए ममता के आरोप, बताया - पूर्व मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने का कारण

केंद्र ने खारिज किए ममता के आरोप, बताया - पूर्व मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने का कारण
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नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने आज मंगलवार को पश्चि बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के के अपने कदम का बचाव किया और इसके स्थानांतरण आदेश को 'संवैधानिक' बताया। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने एक न्यूज एजेंसी को बताया की "आदेश पूरी तरह से संवैधानिक है क्योंकि मुख्य सचिव एक अखिल भारतीय सेवा अधिकारी हैं। उन्होंने अपने संवैधानिक कर्तव्यों की उपेक्षा करना चुना, जिसके परिणामस्वरूप प्रधान मंत्री को कोई प्रस्तुति नहीं दी गई और पश्चिम बंगाल सरकार का कोई भी अधिकारी प्रधान मंत्री की समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुआ।

उन्होंने कहा की पूर्व मुख्य सचिव को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए बुलाया गया था क्योंकि वह पिछले सप्ताह चक्रवात यास समीक्षा बैठक में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक प्रस्तुति देने में विफल रहे थे। सूत्रों के मुताबिक वह बिना उचित कारण बताए मुख्यमंत्री के साथ बैठक से निकल गए।

समीक्षा बैठक में देर से पहुंचे -

बता दें की यास चक्रवात के बाद तूफान से हुए नुकसान के निरिक्षण पर करने बंगाल पहुंचे प्रधानमंत्री को उनका 15 मिनट इन्तजार करना पड़ा था। इसके बाद मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आए और तुरंत ही चले भी गए। जिसके बाद केंद्र सरकार में मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), नई दिल्ली को रिपोर्ट करने के नर्देश दिए थे। जिसके एक दिन बाद बंदोपाध्याय ने मुख्य सचिव के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार में उनके मुख्य सलाहकार के रूप में शामिल हो गए।

ममता बनर्जी बैकफुट पर -

केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी पर मुख्य सचिव को कार्यवाही से बचाने का आरोप लगाया था। केंद्र ने कहा की मुख्य सचिव की सेवानिवृत्ति से पता चलता है कि ममता बनर्जी बैकफुट पर हैं। वह जानती हैं कि मामले के तथ्य मुख्य सचिव के खिलाफ हैं और उनका व्यवहार ऐसा था कि उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। बंदोपध्याय एक अखिल भारतीय सेवा अधिकारी हैं इसलिए ये उनका कार्य था की वे सुनिश्चित करें की समीक्षा बैठक समय पर आयोजित हो। ममता यह सब जानती हैं और उनकी सेवानिवृत्ति उन्हें बचाने के लिए किया गया काम है।'सरकारी सूत्रों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा लगाए गए अन्य आरोपों का भी खंडन किया कि उन्हें समय पर प्रधानमंत्री की बैठक के बारे में सूचित नहीं किया गया था। सूत्रों ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने ममता बनर्जी को बैठक से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी, जैसा कि उन्होंने दावा किया था।


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