​चाइनीज ऐप ​पर बैन लगाने से बौखलाया चीन ​

​चाइनीज ऐप ​पर बैन लगाने से बौखलाया चीन ​
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​चीनी कारोबारियों ने भारत के बीच ​​व्यापार में 50 फीसदी तक गिरावट​ ​होने की आशंका जताई
​​सरकार के मुखपत्र ने लिखा, चीन का विकल्प ढूंढने में भारत को सालों लग जाएंगे

नई दिल्ली​​। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नाम संबोधन से एक दिन पहले 59 ​​​​चाइनीज ऐप पर बैन लगाकर ​गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों की शहादत के लिए जिम्मेदार चीन ​​को सख्त संदेश दिया है।​ इससे पहले ​​भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने देश के लिए खतरा बने ​​चाइनीज ऐप की एक सूची केंद्र सरकार को भेजकर इनको बैन करने और फिर लोगों से इन्हें अपने मोबाइल से हटाने को कहा था​​​​​​।​ भारत के इस कदम की पूरा देश सराहना कर रहा है। सरकार के इस फैसले से चीन को आर्थिक नुकसान होना स्वाभाविक है​, इसलिए चीनी मीडिया से तीखी प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं​​।

चीन ​​सरकार के मुखपत्र ​'​ग्लोबल टाइम्स​'​ के संपादक हु शिजिन ने भारत में 59 चीनी ऐप बैन होने के बाद ट्वीट में तंज किया, 'अगर चीनी लोग भारतीय वस्तुओं का बहिष्कार करना भी चाहें तो उन्हें बहुत भारतीय वस्तुएं मिलेंगी ही नहीं​​।​​​' इसके बाद उन्होंने 'भारतीय दोस्तों' को आगाह करने की कोशिश की कि राष्ट्रवाद से ज्यादा कई दूसरी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है​​​​।​ ​ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है​ कि ​ऐसी परिस्थितियों में ​​चीन और भारत के बीच होने वाला व्यापार साल 2020 में एक-तिहाई तक कम हो सकता है​​।​ यहां तक कि द्विपक्षीय ​​व्यापार में 50 फीसदी तक की भी गिरावट हो सकती है​​।​ पिछले कुछ सालों में भारत और चीन ​​के ​बीच ​आर्थिक साझेदारी मजबूत हुई है और ऑटो, टेलिकम्युनिकेशन और फार्मा सेक्टर में दोनों पक्षों को फायदा हो रहा है​​।​ संपादकीय में कहा गया है, "चीनी आपूर्ति पर निर्भर भारतीय उद्योग चीनी माल का बहिष्कार नहीं कर पाएंगे​​।​ ​​चीन का विकल्प ढूंढने में भारत को सालों लग जाएंगे, चाहे वह अपनी इंडस्ट्री का विस्तार करने की कोशिश करे या दूसरे देशों से निवेश लाने की​​।​​​"​​

अखबार ने इस मुद्दे पर चीनी ​​विश्लेषकों ​के हवाले से कहा है कि चीनी कंपनियों द्वारा विकसित 59 ऐप पर भारत सरकार के प्रतिबंध से भारत के प्रौद्योगिकी और इंटरनेट स्टार्टअप को नुकसान होगा, जब वे चीनी निवेश खो देंगे।​ यिंगके लॉ फर्म के इंडिया इन्वेस्टमेंट सर्विसेज सेंटर के कार्यकारी भागीदार शा जून ने ​कहा "भारत सरकार का व्यवहार ​'​बहुत बचकाना और भावनात्मक​'​ ​है और यह भारत में आगे चीनी निवेश के लिए बहुत बुरा संकेत है।​"​ भारत ​को अपने बाजार से चीनी प्रभाव को काटना मुश्किल है, क्योंकि चीनी तकनीक कंपनियां भारत के बढ़ते तकनीकी परिदृश्य पर अधिक दांव लगा रही हैं।

​विश्लेषकों ने चेतावनी ​भरे लहजे में कहा है कि ​भारत के एक फंड मैनेजमेंट कंपनी आयरन पिलर फंड के मुताबिक 2019 के अंत तक भारत की 31 यूनिकॉर्न कंपनियों में से आधे से अधिक चीनी टेक दिग्गज अलीबाबा और टेनसेंट ने निवेश किया था।​ ​चीनी पूंजी द्वारा समर्थित कंपनियां ​राइड-हीलिंग ​​ओला, ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म पेटीएम और डिलीवरी प्लेटफॉर्म ​जोमेटो से लेकर बिजनेस स्पेक्ट्रम तक फैल चुकी हैं।​ चीन के वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार भारत में चीनी गैर-वित्तीय निवेश 2020-18 से 9.7 गुना बढ़ गया​ है​। प्रौद्योगिकी में निवेश कुल निवेश के साथ 8 बिलियन डॉलर से अधिक रहा।​ परिणामस्वरूप, चीनी ऐप को ​बैन करने ​से भारतीय स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को भारी झटका होगा।

​चीनी अकादमी के राष्ट्रीय ​अंतरराष्ट्रीय रणनीति में दक्षिण पूर्व एशियाई मामलों के विशेषज्ञ ​झाओ जियांगलिन​ ने कहा कि ​प्रतिबंधित किये गए ऐप भारतीय लोगों के जीवन में ​शामिल हो गए हैं और इसलिए इन्हें हटाना मुश्किल होगा।​ झाओ ने कहा कि अगर भारत सरकार के पास घरेलू तकनीक स्टार्टअप और प्रतिभा के विकास के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है, तो चीनी कंपनियों को बाजार से बाहर करना असंभव होगा।​ ​चीन के रेनमिन विश्वविद्यालय में चोंगयांग इंस्टीट्यूट फॉर फ़ाइनेंशियल स्टडीज़ के एक वरिष्ठ शोध साथी झोउ रोंग ने कहा कि ​भारत की इस ​नीति का उद्देश्य चीन विरोधी भावना को ​पैदा करना है जो दोनों देशों के बीच हालिया सीमा संघर्ष से उत्पन्न हुई है लेकिन ​ऐप पर प्रतिबंध ​लगाना बहुत कठिन है।​

झोउ ने कहा, ​भारत ​सरकार ने विस्तार से ​यह ​नहीं बताया है कि चीनी ऐप भारत की सुरक्षा के लिए ​किस तरह ​खतरा पैदा कर रहे हैं और तकनीकी रूप से ऐप्स को हटाना एक कठिन प्रक्रिया है जिसमें कई इंटरनेट सेवा प्रदाता शामिल हैं।​ ​उन्होंने चेतावनी दी​ कि चीनी ऐप्स को हटाने से भारतीय बाजार में एक वैक्यूम छोड़ जाएगा, अनौपचारिक ऐप के लिए जगह बनाई जाएगी जो और भी बड़े सुरक्षा जोखिम पैदा​​ कर सकता है​।

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